Kelly Mack Death: सिनेमा जगत से एक दुखद खबर सामने आई है। जी हां, हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री केली मैक का महज 33 साल की उम्र में निधन हो गया है, जो सभी को चौंका रहा है। उन्होंने वेब सीरीज वॉकिंग डेड से लोगों के बीच अपनी जगह बनाई थी। इस बारे में उनके परिवार वालों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर जानकारी दी थी। क्या आप जानते हैं केली एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थी। उन्हें ग्लियोमा नामक बीमारी हुई थी, जो कैंसर का ही एक प्रकार होता है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में।
क्या है ग्लियोमा?
ग्लियोमा ब्रेन ट्यूमर होता है, जो धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी में फैलता है और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है। इनमें मौजूद कोशिकाएं मस्तिष्क के न्यूरॉन्स को सपोर्ट और सुरक्षा प्रदान करती हैं लेकिन जब इनमें असामान्य वृद्धि होने लगती है, तो वह ट्यूमर का रूप ले लेती हैं।
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ग्लियोमा के प्रकार
ग्लियोमा को कोशिकाओं के प्रकार और ट्यूमर की वृद्धि दर के आधार पर कई भागों में बांटा जाता है-
एस्ट्रोसाइटोमा- इसमें ग्लियल सेल्स में से एस्ट्रोसाइट्स से बनता है। यह धीमी गति से बढ़ने वाला या तेजी से बढ़ने वाला हो सकता है। ब्रेन कैंसर का यह प्रकार बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है।
ग्लियोब्लास्टोमा- ग्लियोमा का सबसे आक्रामक प्रकार होता है। यह वयस्कों को होने वाला कैंसर है।
ओलिगोडेंड्रोग्लियोमा- यह मस्तिष्क में न्यूरॉन्स को इंसुलेट करते हैं। यह भी मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास फैलता है। ये बच्चों की तुलना में वयस्कों में ज्यादा कॉमन होता हैं।
ग्लियोमा का रिस्क किसे ज्यादा?
ग्लियोमा का सटीक कारण अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुआ है लेकिन निम्नलिखित कारणों की वजह से ये हो सकती है।
अनुवांशिक कारण- यदि परिवार में पहले किसी को ग्लियोमा हुआ है तो उन्हें भी हो सकता है।
रेडिएशन एक्सपोजर- अगर किसी का सिर बार-बार रेडिएशन के संपर्क में आता है तो उसे भी ग्लियोमा हो सकता है।
बढ़ती उम्र- इस प्रकार के कैंसर होने की संभावना अधिकतर 45-70 आयु वर्ग के लोगों में रहती है। वहीं, ग्लियोमा पुरुषों में थोड़ा आम प्रकार का कैंसर भी है।
ग्लियोमा के लक्षण
क्लीवलैंड क्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं-
- लगातार सिर दर्द होना, खासकर सुबह के समय
- मिर्गी के दौरे पड़ना।
- याददाश्त में कमी होना।
- बोलने या समझने में कठिनाई होना।
- शरीर का संतुलन बनाए रखने में दिक्कत या कमजोरी होना।
- देखने में समस्या होना या डबल विजन।
इलाज क्या है?
ग्लियोमा के इलाज का चयन ट्यूमर के प्रकार, ग्रेड और स्थिति के मुताबिक किया जाता है।
सर्जरी- ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी करवाई जा सकती है।
रेडियोथेरेपी- सर्जरी के बाद बची हुई कैंसर सेल्स को नष्ट करने के लिए थेरेपी ली जाती है।
कीमोथेरेपी- इसमें दवाओं के जरिये ट्यूमर को खत्म करने की प्रक्रिया को अपनाया जाता है।
इम्यूनोथेरेपी- हालांकि, यह कैंसर के इलाज की नई प्रक्रिया है मगर इसे काफी हद तक सफल माना जा रहा है।
हालांकि, डॉक्टर्स के मुताबिक, ग्लियोमा का इलाज तब ही संभव है जब समय से इसका इलाज शुरू होगा।
भारत में ग्लियोमा का रिस्क कितना?
हर साल भारत में करीब 40,000-50,000 ब्रेन ट्यूमर के मामले सामने आते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या ग्लियोमा की होती हैं। ग्लियोब्लास्टोमा के मामले सबसे अधिक खतरनाक होते हैं, जिनमें 5 साल ही सर्वाइवल रेट होता है। देश में इस बीमारी के बढ़ने की वजह जागरूकता की कमी और देर से डायग्नोसिस होना है।
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