---विज्ञापन---

Mood Swings से लेकर जहरीली हवाएं 6 तरीकों से खराब कर रही हैं Mental Health, ऐसे करें बचाव

Air Pollution Is Affecting Our Mental health: हवा की क्वालिटी लगातार खराब होने से क्या आप तनाव और उदास महसूस करते हैं? वायु प्रदूषण कैसे मेंटल हेल्थ पर असर कर रहा है, जानिए।

Edited By : Deepti Sharma | Updated: Nov 5, 2023 11:23
Share :
6 ways toxic air is affecting our mental health pdf 6 ways toxic air is affecting our mental health essay air quality
Image Credit: Freepik

 

Air Pollution Is Affecting Our Mental health: प्रदूषण न केवल हमारे फिजिकल एनवायरनमेंट को नुकसान करने के साथ-साथ मेंटल हेल्थ पर भी असर डाल रहा है। प्रदूषण के लेवल में बढ़ोतरी होने से हमारी मेंटल हेल्थ पर नेगेटिव असर हो रहा है। चाहे वह केमिकल्स, शोर, पानी या हवा से हो। प्रदूषण पर असर करने वाले छह तरीकों के बारे में बात करते हैं, जिससे हमारा मानसिक स्वास्थ्य पर असर हो रहा है।

ज्यादा प्रदूषण खासकर शहरों में, तनाव और चिंता का कारण बन सकता है। जब हम लगातार पॉल्यूटेड तत्वों, शोर और खराब हवा के संपर्क में रहते हैं तो तनाव वाले हार्मोन जारी होते हैं, जिसका हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। माइंडफुलनेस, ध्यान और योगा जैसी रोजाना करने से तनाव कम होता है और चिंता से निपटने में मदद कर सकती हैं। Primary Health Care Hospital, Doctor Mona Sharma के अनुसार, वायु प्रदूषण बढ़ने से दिल पर भी गंभीर असर पड़ सकता है। इसके साथ ही सांस से जुड़ी बीमारियों और फेफड़ों के कैंसर का भी कारण बनता है।

मूड से जुड़े विकारों के बढ़ते जोखिम और डिप्रेशन तथा वायु प्रदूषण के बीच एक संबंध दिखाया है। दिमाग की काम करने वाले प्रोसस में प्रदूषण से प्रभावित हो सकती है, जो मूड को बदल सकती है। घर के अंदर वायु की क्वालिटी बढ़ाना, बाहरी प्रदूषण के संपर्क को कम करना और मूड में गड़बड़ी का अनुभव होने पर पेशेवर मदद लेना प्रदूषण से जुड़े डिप्रेशन और मूड डिसऑर्डर से निपटने के लिए जरूरी कदम हैं।

ये भी पढ़ेंं- एलर्जी, अस्थमा और धूम्रपान क्या है? तीनों सेहत के लिए कितने खतरनाक? कैसे करें बचाव 

Doctor Mona Sharma के मुताबिक, प्रदूषण के जोखिम, विशेष रूप से सूक्ष्म कण पदार्थ (PM2.5) के संपर्क में आने से डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर (Neurodegenerative Disorders) के हाई फैक्टर के साथ-साथ डिमेंशिया भी जुड़ा हुआ है। एयर प्यूरीफायर, वेंटिलेशन और जीवनशैली में बदलाव, भारी प्रदूषित क्षेत्रों में मास्क लगाना, वायु प्रदूषण के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।

यातायात और इंडस्ट्रियल एक्टिविटी से होने वाला साउंड प्रदूषण, विशेष रूप से, नींद के पैटर्न को रोक सकता है और अनिद्रा और स्लीप एपनिया (Sleep Apnea) जैसी नींद से जुड़े डिसऑर्डर को जन्म दे सकता है। शोर कम करने के लिए साउंड प्रूफ आवास, इयरप्लग पहनना उपयोगी है और नींद में सुधार करने में मदद कर सकता है।

ये भी पढ़ें- Snake Venom ही नहीं, 4 और जानवरों के जहर का नशा करते हैं लोग, कितने खतरनाक जान लें? 

Doctor Mona Sharma कहती हैं कि प्रदूषण का हाई लेवल सेहत से जुड़ी चिंताओं के कारण बाहरी गतिविधियों और सामाजिक मेलजोल को खराब कर सकता है, जिससे आइसोलेशन और अकेलेपन की भावना पैदा हो सकती है। कम्युनिटी इनवॉलमेंट (Community Involvement) को बढ़ावा देना और सफाई, हरियाली वाले स्थान बनाना सामाजिक मेलजोल को बढ़ावा दे सकता है।

बढ़ता चिड़चिड़ापन और आक्रामक बिहेवियर को वायु प्रदूषण से जोड़ा गया है, जो पर्सनल रिलेशनशिप को प्रभावित कर सकता एंगर मैनेजमेंट टेक्निकों का अभ्यास करना, लोकल एयर क्वालिटी के बारे में सूचित रहना चाहिए। साफ हवा में रहने से प्रदूषण से जुड़ा चिड़चिड़ापन और आक्रामकता से निपटने में हेल्प मिल सकती है। इस वीडियो के माध्यम से आप अधिक जानकारी ले सकते हैं, बस इसके लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें  और घर बैठे-बैठे डॉक्टर के द्वारा बताई बातों पर ध्यान दें-

 

Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।

First published on: Nov 03, 2023 06:56 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें