Nimisha Priya Dealth Peanalty Case: यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मुश्किलें बढ़ गई हैं क्योंकि यमन की सर्वोच्च अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी है। निमिषा मूल रूप से केरल के पलक्कड़ की रहने वाली है। वह करीब 12 साल पहले यमन गई थी। हालांकि उनके पति और बेटी 2014 में वहां से लौट आए लेकिन वह काम की वजह से वापस नहीं लौट सकीं।
गृह युद्ध के बाद बिगड़ गए हालात
निमिषा ने यमन के तलाल अब्दो मेहदी के साथ हाॅस्पिटल शुरू किया था। कुछ समय के बाद दोनों में विवाद हो गया। इसके बाद तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट छीनकर अपने पास रख लिया। इस पर निमिषा ने इसकी शिकायत वहां के अथाॅरिटीज से की। अथाॅरिटी के पूछने पर तलाल ने बताया कि निमिषा उसकी पत्नी है। इसके बाद अथाॅरिटी ने पति-पत्नी का आपसी विवाद समझकर मामले को रफा-दफा कर दिया।
Nimisha priya is facing death sentence in yemen. Nimisha was convicted of Yemeni national after she injected him with sedatives in order to get her passport from his possession in 2017. She worked in yemen from 2011. In 2014 her husband and daughter returned to india. pic.twitter.com/NUqDerzh01
— liberal (@triggerlibreal) November 17, 2023
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ऐसे हुई निमिषा के बिजनेस पार्टनर की मौत
इसके बाद निमिषा ने 25 जुलाई 2017 को तलाल को बेहोशी का इंजेक्शन दे दिया। ताकि वह वहां से भाग सकें लेकिन ओवरडोज की वजह से तलाल की मौत हो गई। इसके बाद निमिषा ने अपने सहयोगी के साथ मिलकर लाश को ठिकाने लगा दिया लेकिन चार दिन बाद ही मामले का खुलासा हो गया और निमिषा को फांसी की सजा हो गई वहीं उसके सहयोगी को उम्रकैद की सजा हुई।
2022 में हाईकोर्ट ने रद्द की थी ‘सेव निमिषा’ याचिका
इसके बाद निमिषा को बचाने की मुहिम शुरू हुई। इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई जिसमें कहा गया कि कोर्ट केंद्र सरकार को आदेश दें कि वह ब्लड मनी जमा कराकर निमिषा की यमन से रिहाई सुनिश्चित करें। हालांकि कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश पारित करने से इंकार कर दिया। इसके बाद केंद्र सरकार ने 2022 में ब्लड मनी देकर निमिषा की जान बचाने की बात कही थी लेकिन बाद में मामला शांत हो गया।
क्या है ‘ब्लड मनी’
यमन के कानून के मुताबिक हत्या के जरिए मारे गए शख्स का परिवार दोषी के परिवार से ब्लड मनी लेकर माफी दे सकता है। इसे ही ब्लड मनी कहा जाता है। अगर दोनों पक्षों में समझौता हो जाता है तो इसकी जानकारी हलफनामे के जरिए कोर्ट को देनी होती है इसके बाद कोर्ट दोषी की सजा माफ करने का आदेश देता है।