NSE CEO Ashish Chauhan: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के MD & CEO आशीष कुमार चौहान का कहना है कि डॉलर करेंसी वर्ल्ड पर राज करता रहेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर का कोई मजबूत विकल्प मौजूद नहीं है। साथ ही उन्होंने शेयर बाजार में आई गिरावट को आर्थिक जीवन का हिस्सा बताया।
गिरावट आर्थिक जीवन का हिस्सा
सिंगापुर में आयोजित एक पैनल डिस्कशन में चौहान ने कहा कि बाजार में आने वाली तेजी-गिरावट में कोई खराबी नहीं, बल्कि यह आर्थिक जीवन का हिस्सा है। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह बिल्कुल दिल की धड़कन की तरह है। अगर धड़कन रुक जाए, तो जीवन भी रुक जाएगा। इसी तरह, अगर बाजार पूरी तरह स्थिर हो जाए, तो विकास भी रुक जाएगा।
उथल-पुथल का कारण समझाया
उन्होंने कहा कि बाजार में उथल-पुथल तब अधिक होती है जब उम्मीदें हकीकत से ज्यादा आगे निकल जाती हैं। बाजार लोग, समाज और देशों के आपसी संबंधों से चलता है। आजकल पारंपरिक आर्थिक आंकड़ों से ज्यादा असर राजनीतिक घटनाओं का देखने को मिल रहा है। अब जिओ पॉलिटिक्स ही अर्थव्यवस्था को कंट्रोल कर रही है। चौहान ने कहा कि भारत में लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट की मानसिकता वाले निवेशक अधिक हैं। उन्होंने SIP तारीफ करते हुए कहा कि SIP ने भारतीय बाजार को स्थिर बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाई है। यह दर्शाता है कि देश में अनुशासित निवेश की संस्कृति तेजी से बढ़ रही है।
कैसा है डॉलर का भविष्य?
अमेरिकी डॉलर के भविष्य पर बात करते हुए NSE के सीईओ ने कहा कि डॉलर दुनिया की प्रमुख मुद्रा बना रहेगा, क्योंकि इसका कोई मजबूत विकल्प मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था मजबूत होने के बावजूद वहां वैश्विक रिजर्व मुद्रा के लिए जरूरी वित्तीय पारदर्शिता नहीं है। जब तक कोई दूसरा देश मजबूत आर्थिक और राजनीतिक ढांचा तैयार नहीं करता, तब तक डॉलर अपना दबदबा बनाए रखेगा। बता दें कि डॉलर की तुलना में भारतीय रुपया काफी कमजोर हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं पर कही बड़ी बात
आशीष कुमार चौहान ने यह भी कहा कि बड़े अंतरराष्ट्रीय संगठन अब कमजोर हो रहे हैं। यूनाइटेड नेशन (UN), विश्व व्यापार संगठन (WTO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थिति पहले के मुकाबले कमजोर हुई है। इसका मतलब है कि दुनिया अब नियमों से नहीं, बल्कि आपसी समझौतों से चल रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका, जो पहले इन वैश्विक संस्थाओं को संभालता था, अब खुद पहचान के संकट से जूझ रहा है। लिहाजा, चीन और भारत जैसी उभरती शक्तियों को आगे आना होगा।
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