नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) विधायक बसंत सोरेन की अयोग्यता के मामले पर राज्यपाल रमेश बैस को अपनी राय भेज दी है। चुनाव आयोग ने बैस से प्राप्त संदर्भ में 29 अगस्त को अपनी सुनवाई समाप्त की थी। सूत्रों ने कहा कि बैस को शुक्रवार शाम इस मामले पर चुनाव आयोग की राय मिली।
पद का कथित रूप से दुरुपयोग करने का आरोप
राज्यपाल ने राज्य के भाजपा सदस्यों द्वारा दायर एक शिकायत पर आयोग से राय मांगी थी, जिसमें बसंत सोरेन को राज्य विधानसभा से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 ए के तहत एक खनन फर्म के सह-मालिक होने और अपने चुनाव में इसका खुलासा नहीं करने के लिए अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी। विकास आयोग द्वारा झारखंड के मुख्यमंत्री की उसी धारा (धारा 9 ए) के तहत अयोग्यता की सिफारिश करने के दो सप्ताह बाद आता है, जो पिछले साल खुद को एक पत्थर खनन पट्टा आवंटित करने के लिए अपने पद का कथित रूप से दुरुपयोग करने के लिए था।
शुक्रवार शाम इस मामले पर चुनाव आयोग की राय मिली
चुनाव आयोग ने बैस से प्राप्त संदर्भ में 29 अगस्त को अपनी सुनवाई समाप्त की थी। सूत्रों ने कहा कि बैस को शुक्रवार शाम इस मामले पर चुनाव आयोग की राय मिली। राज्यपाल ने राज्य के भाजपा सदस्यों द्वारा दायर एक शिकायत पर आयोग से राय मांगी थी, जिसमें बसंत सोरेन को राज्य विधानसभा से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 ए के तहत एक खनन फर्म के सह-मालिक होने और अपने चुनाव में इसका खुलासा नहीं करने के लिए अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी।
झारखंड की राजनीति में आया था भूचाल
बता दें कि राज्य राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है, क्योंकि आज तक बैस ने सीएम हेमंत सोरेन की विधायक के रूप में बने रहने की पात्रता पर चुनाव आयोग के विचार से राज्य सरकार को आधिकारिक रूप से अवगत नहीं कराया है। झामुमो ने तब से भाजपा द्वारा सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को खरीदने का कथित प्रयास किया है, और उनमें से 32 को रांची से कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में रायपुर ले गया।
राज्यपाल को झामुमो के ज्ञापन में कहा गया है कि इस मुद्दे पर “आपके (राज्यपाल के) कार्यालय से चुनिंदा लीक” के कारण “अराजकता, भ्रम और अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है, जो राज्य के प्रशासन और शासन को प्रभावित करती है”।