दिल्ली मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। भाजपा की ओर से मेयर पद का चुनाव सरदार राजा इकबाल सिंह लड़ेंगे। डिप्टी मेयर पद के लिए चुनावी रण में भाजपा ने जयभगवान यादव को उतारा है। वहीं आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में भाजपा के लिए ट्रिपल सरकार बनाने का रास्ता साफ कर दिया है।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव हारने के बाद दिल्ली नगर निगम की परिस्थितियों को भांपते हुए आम आदमी पार्टी ने मेयर चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। आम आदमी पार्टी के चुनाव से पीछे हटने के बाद राजा इकबाल का दिल्ली का महापौर बनना लगभग तय है। जयभगवान यादव का उप-महापौर बनना भी तय माना जा रहा है। आइए भाजपा के उम्मीदवारों के बारे में जानते हैं…
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राजा इकबाल सिंह कौन हैं?
सरदार राजा इकबाल सिंह के पिता का नाम दिलजीत सिंह हैं। राजा इकबाल वर्तमान में नेता विपक्ष हैं और साल 2023 से इसी पद पर हैं। वे साल 2021 में उत्तरी दिल्ली के मेयर भी रहे। राजा इकबाल सिंह अमेरिका में बिजनेस करते थे। ससुर ने अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने के लिए उन्हें भारत बुला लिया। साल 2017 में उन्होंने नगर निगम का चुनाव लड़ा और पार्षद बने। साल 2017 में वह सिविल लाइंस जोन के चेयरमैन थे। साल 2018 में वह जोन चेयरमैन बने।
सितंबर 2020 में शिरोमणि अकाली दल ने कृषि कानूनों को लेकर NDA से नाता तोड़ लिया था। तब राजा इकबाल सिंह ने सिविल लाइंस में अध्यक्ष का पद छोड़ने से इनकार कर दिया था। इसके बाद वे साल 2022 में अकाली दल छोड़ भाजपा में आ गए। राजा इकबाल ने साल 2022 में भी फिर निगम पार्षद का चुनाव जीता और भाजपा ने उन्हें उत्तर दिल्ली का मेयर पद देकर पुरस्कृत किया। साल 2023 से वे नेता विपक्ष हैं। GTB नगर का प्रतिनिधित्व भी किया है।
साल 1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज से BSC की थी। CCS विश्वविद्यालय से लॉ की। राजा इकबाल का परिवार शिरोमणि अकाली दल का वफादार रहा है। उनके ससुर जहांगीरपुरी से अकाली दल के पार्षद थे। राजा इकबाल के साले अकाली दल के एक्टिव मेंबर हैं। राजा इकबाल नेकरीबियों के अनुसार राजा इकबाल सिंह कम बोलने वाले व्यक्ति हैं। वे अपने पत्ते अपने पास ही रखते हैं। सही समय पर कदम उठाने में विश्वास करते हैं।
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जयभगवान यादव कौन?
बता दें कि उप-महापौर पद के लिए भाजपा प्रत्याशी जयभगवान यादव कभी नगर निगम में शिक्षक थे। वह शिक्षकों के नेता भी रहे थे, लेकिन दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के कहने पर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए थे। उनकी पत्नी भी पार्षद रह चुकी है। वह खुद दूसरी बार पार्षद बने हैं।