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Bhairav Baba Chalisa And Aarti in Hindi: रविवार को जरूर पढ़ें भैरव बाबा की ये चालीसा और आरती, हर इच्छा होगी पूर्ण

Bhairav Baba Chalisa And Aarti Lyrics In Hindi: भैरव बाबा को देवों के देव महादेव का रुद्र अवतार और रूप दोनों माना जाता है, जिनकी पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है. खासकर, रविवार के दिन भैरव बाबा की पूजा करना शुभ होता है क्योंकि ये दिन उन्हीं को समर्पित है. चलिए अब जानते हैं भैरव बाबा की चालीसा और आरती के बारे में.

Author Written By: Nidhi Jain Author Published By : Nidhi Jain Updated: Oct 14, 2025 16:29
Bhairav Baba Chalisa And Aarti Lyrics In Hindi
Credit- Social Media

Bhairav Baba Chalisa And Aarti Lyrics In Hindi: भगवान शिव, हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं, जिन्हें विनाश, सृजन और समय का देवता भी माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिव जी के करीब 19 अवतार और 8 मुख्य रूप हैं. भैरव बाबा को भगवान शिव का पांचवां अवतार और एक मुख्य रूप माना जाता है. भैरव बाबा रक्षा और दंड दोनों के देवता हैं, लेकिन उनका ये उग्र रूप मुख्य रूप से विनाश से संबंधित है. देश के कई राज्यों में भैरव बाबा को काल भैरव के नाम से भी जाना जाता है.

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, रविवार का दिन भगवान शिव के अलावा भैरव बाबा को भी समर्पित है. रविवार के दिन भैरव बाबा की चालीसा और आरती पढ़नी व सुननी बेहद शुभ होती है. इससे भैरव बाबा की विशेष कृपा प्राप्त होती है. कहा जाता है कि जिन लोगों के ऊपर भैरव बाबा की विशेष कृपा होती है, उन्हें भय, नकारात्मक ऊर्जा, शत्रु और संकटों से मुक्ति मिलती है. साथ ही हर काम में सफलता मिलती है. इसके अलावा राहु और केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए भी भैरव बाबा की पूजा की जाती है. आइए अब जानते हैं भैरव बाबा की चालीसा और आरती के बारे में.

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भैरव बाबा चालीसा (Bhairav Baba Chalisa Lyrics in Hindi)

दोहा

श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ।
चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ॥
श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल।
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥

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जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी- कुतवाला॥
जयति बटुक- भैरव भय हारी। जयति काल- भैरव बलकारी॥
जयति नाथ- भैरव विख्याता। जयति सर्व- भैरव सुखदाता॥
भैरव रूप कियो शिव धारण। भव के भार उतारण कारण॥
भैरव रव सुनि हवै भय दूरी। सब विधि होय कामना पूरी॥
शेष महेश आदि गुण गायो। काशी- कोतवाल कहलायो॥
जटा जूट शिर चंद्र विराजत। बाला मुकुट बिजायठ साजत॥
कटि करधनी घुंघरू बाजत। दर्शन करत सकल भय भाजत॥
जीवन दान दास को दीन्ह्यो। कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो॥
वसि रसना बनि सारद- काली। दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन॥
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा। कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत। अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥
रूप विशाल कठिन दुख मोचन। क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत। बम बम बम शिव बम बम बोलत॥
रुद्रकाय काली के लाला। महा कालहू के हो काला॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा। श्‍वेत रक्त अरु श्याम शरीरा॥
करत नीनहूं रूप प्रकाशा। भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा॥
रत्‍न जड़ित कंचन सिंहासन। व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन॥
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं। विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय। जय उन्नत हर उमा नन्द जय॥
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय। वैजनाथ श्री जगतनाथ जय॥
महा भीम भीषण शरीर जय। रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय॥
अश्‍वनाथ जय प्रेतनाथ जय। स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय॥
निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥
त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय। क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय। कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय॥
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर। चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत। चौंसठ योगिन संग नचावत॥
करत कृपा जन पर बहु ढंगा। काशी कोतवाल अड़बंगा॥
देयं काल भैरव जब सोटा। नसै पाप मोटा से मोटा॥
जनकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा॥
श्री भैरव भूतों के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा॥
ऐलादी के दुख निवारयो। सदा कृपाकरि काज सम्हारयो॥
सुन्दर दास सहित अनुरागा। श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो। सकल कामना पूरण देख्यो॥

दोहा

जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार।
कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार॥

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भैरव बाबा की आरती (Bhairav Baba Ki Aarti Lyrics in Hindi)

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।

तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।

वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।

तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।

तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।

पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।

बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Oct 11, 2025 03:55 PM

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