TRAI OTT Regulation: भारत में मुख्य रूप से 3 प्राइवेट टेलीकॉम आपरेटर्स है, जिसमें जियो, एयरटेल और वीआई शामिल है। हाल ही में TRAI ने इन पर कुछ सख्त नियम लागू किए है, ताकि स्कैम से सुरक्षित रहा जा सके। इसी सिलसिले में एयरटेल ने OTT प्लेटफॉर्म पर भी रेगुलेटरी नियम लगाने की बात कही है। बता दें कि भारती एयरटेल के वाइस-चेयरमैन और एमडी गोपाल विट्टल ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) से अपील की है कि ओवर-द-टॉप (OTT) कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म को भी रेगुलेटरी नियम में लाया जाए।
इसके लिए उन्होंने TRAI को एक पत्र लिखा है। इस लिस्ट में WhatsApp, Telegram और Signal जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ऐप शामिल है। उनका कहना है कि ऐसा करने से बढ़ते स्पैम, फ्रॉड और फिशिंग अटैक को रोक लगाई जा सकती है। आइए इसके बारे में जानते हैं।
OTT प्लेटफॉर्म्स पर लगाए नियम
- अपने लेटर में विट्टल ने TRAI को तीन जरूरी कदम उठाने का सुझाव दिए हैं, जिससे OTT प्लेटफॉर्म पर बढ़ते स्पैम और साइबर धोखाधड़ी पर कंट्रोल पाया जा सकता है।
- इसके तहत डिजिटल कंसेंट अधिग्रहण (DCA) फ्रेमवर्क का एक्सटेंशन किया जाए। इस सिस्टम के जरिए यूजर टेलीकॉम और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अपने परमिशन्स को कंट्रोल कर सकेंगे।
- OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए KYC वेरिफिकेशन लागू करें। यानी जिस तरह मोबाइल नंबर के लिए KYC प्रोसेस जरूरी होता है, वैसे ही OTT मैसेजिंग ऐप्स को भी यूजर की पहचान वेरिफाई करनी चाहिए।
- सेंट्रलाइज्ड ब्लैकलिस्ट सिस्टम को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। ऐसे में एक ब्लैकलिस्ट मैकेनिज्म बनाया जाना चाहिए, जिससे बार-बार स्पैम भेजने वालों को सिस्टम से हटाया जा सके और वे दोबारा प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल न कर सकें।
OTT प्लेटफॉर्म्स पर साइबर स्कैम
TRAI के कड़े नियमों के कारण SMS और वॉयस कॉल के माध्यम से स्पैम काफी हद तक कम हो गया है। हालांकि, अब साइबर अपराधी अपने फर्जीवाड़े को OTT मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर ले जा रहे हैं, क्योंकि ये प्लेटफॉर्म अभी TRAI के कंट्रोल से बाहर हैं।
विट्टल ने चेतावनी दी कि यह कानूनी खामी कंज्यूमर्स को फिशिंग अटैक, फाइनेंशियल स्कैम और प्राइवेसी रिस्क के प्रति असुरक्षित बना रही है। आगे उन्होंने कहा कि यदि इन प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट नहीं किया गया, तो स्पैम और साइबर क्राइम को रोकना और भी मुश्किल हो जाएगा।
एयरटेल का AI-पावर्ड एंटी-स्पैम सिस्टम
एयरटेल पहले ही एक AI-ड्रिवन एंटी-स्पैम टूल लॉन्च कर चुका है, जिससे स्पैम कॉल्स की पहचान करना आसान हो जाता है।
- 25.2 करोड़ कस्टमर्स को स्पैम कॉल और मैसेजेस के बारे में अलर्ट भेजा।
- हर दिन 10 लाख स्पैमर्स की पहचान की, जो लगभग 13 करोड़ स्पैम कॉल्स करते थे।
- एक दिन में एक ट्रिलियन डेटा रिकॉर्ड्स प्रोसेस करके फर्जीवाड़े का पता लगाया।
Caller ID Spoofing की मांग
विट्टल ने TRAI से यह भी आग्रह किया कि वह टेलीमार्केटिंग कंपनियों और बिजनेस सेक्टर के लिए सख्त दंड और अनुपालन नियम लागू करे। उन्होंने कहा कि Caller ID Spoofing पर ग्लोबल स्टैंडर्ड के आधार पर कड़े नियम बनाए जाने चाहिए, ताकि धोखाधड़ी करने वाले नंबरों को ट्रैक और ब्लॉक किया जा सके।
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