Meta Accused of Compromising User Privacy: दिग्गज कंपनी मेटा पर चीन के साथ यूजर्स के डेटा को शेयर करने और वहां अपने प्लेटफॉर्म को लाने के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी यानी CCP की शर्तों के आगे झुकने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस बात का खुलासा मेटा की पूर्व ग्लोबल पॉलिसी डायरेक्टर सारा व्यान-विलियम्स की नई व्हिसलब्लोअर शिकायत में किया गया है। दरअसल, सारा व्यान-विलियम्स ने ये दावा किया है कि मेटा चीन में एंट्री लेने के लिए इतना बेताब था कि उसने चीनी सरकार को सोशल मीडिया कंटेंट की पूरी निगरानी और राजनीतिक असहमति को दबाने की परमिशन देने तक के लिए सहमति तक जताई थी।
मार्क जकरबर्ग पर भी लगे ये आरोप
वहीं, वाशिंगटन पोस्ट द्वारा देखी गई इस 78-पेज की शिकायत के बताया गया है कि मेटा ने 2015 में चीन के लिए एक खास सेंसरशिप सिस्टम तैयार किया था। कंपनी ने एक ‘Chief Editor’ अप्पोइंट करने की प्लानिंग भी बनाई थी, जो यह तय करेगा कि कौन-से कंटेंट को हटाया जाए।
यही नहीं शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि मेटा के CEO मार्क जकरबर्ग ने एक चीनी अधिकारी के दबाव में आकर अमेरिका में रहने वाले एक हाई-प्रोफाइल अकाउंट पर कार्रवाई करने पर सहमति जताई थी। कंपनी को उम्मीद थी कि इससे उसे चीन में एंट्री करने में मदद मिल सकती है।
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इन्वेस्टर्स को गुमराह करने का आरोप
इसके अलावा शिकायत में ये भी कहा गया है कि मेटा के अधिकारियों ने चीन में एंट्री के प्रयासों के बारे में अमेरिकी नियामकों और इन्वेस्टर्स को बार-बार गुमराह किया और अधूरी या गलत जानकारी दी। यही नहीं मेटा पर चीनी अधिकारियों ने दबाव डाला कि वह चीनी यूजर्स का डेटा लोकल डेटा सेंटर में स्टोर करें। व्यान-विलियम्स का आरोप है कि इससे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए अपने लोगों की प्राइवेट बातों तक पहुंचना आसान हो जाता।
सारा का बयान
सारा व्यान-विलियम्स ने यह भी बताया कि कई सालों तक मेटा ने चीनी सरकार को अपने लेटेस्ट टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट्स के बारे में जानकारी दी और इसके बारे में झूठ बोला। लोगों को ये सच्चाई जानने का हक है।” अब यह खुलासा मेटा के लिए एक और बड़ा झटका साबित हो सकता है, खासकर तब जब कंपनी पहले से ही डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी को लेकर कई कॉन्ट्रोवर्सी का सामना कर रही है।