Google Offers ai Bug Bounty Program 2025: गूगल ने एक बार फिर साइबर दुनिया में बड़े चैलेंज के साथ कदम रखा है. कंपनी ने अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिस्टम में बग खोजने के लिए नया बग बाउंटी प्रोग्राम शुरू किया है. इस प्रोग्राम के तहत अगर कोई एक्सपर्ट गूगल के AI सिस्टम में गंभीर खामी ढूंढ लेता है, तो उसे 30 हजार डॉलर यानी करीब 26 लाख रुपये तक का इनाम मिल सकता है. यह पहल सुरक्षा और टेक्नोलॉजी में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए है.
नया बग बाउंटी प्रोग्राम खास क्यों है?
यह प्रोग्राम गूगल के Vulnerability Reward Program का विस्तार है. पहले भी कई साइबर रिसर्चर्स ने गूगल की सिस्टम कमजोरियों को ढूंढकर लाखों डॉलर कमाए हैं. इस बार इसका फोकस खासतौर पर AI तकनीक पर रखा गया है. इसका मकसद है कि AI सिस्टम में मौजूद खामियों को पहले ही खोज लिया जाए, ताकि उनका गलत इस्तेमाल रोका जा सके.
कौन से बग्स होंगे मान्य?
गूगल ने बताया कि इस प्रोग्राम में ऐसे बग्स की तलाश होगी जो AI सिस्टम को धोखा दे सकें या डेटा की सुरक्षा को खतरे में डाल सकें. उदाहरण के लिए-
- कोई हैकर Google Home डिवाइस को ट्रिक करके स्मार्ट लॉक खोल दे.
- किसी छिपे कमांड से Gmail के ईमेल डेटा तक पहुंच बनाई जाए.
ऐसे बग्स को गंभीर AI खामी माना जाएगा और इनके लिए सबसे बड़ा इनाम भी दिया जाएगा.
कौन से प्लेटफॉर्म शामिल हैं?
इस बग बाउंटी प्रोग्राम में गूगल के प्रमुख प्रोडक्ट्स शामिल हैं-
- Google Search
- Gmail
- Google Drive
- Gemini ऐप्स
यदि कोई एक्सपर्ट इन प्लेटफॉर्म्स में बग खोजता है, तो उसे 20 हजार डॉलर तक का इनाम मिलेगा. वहीं, अगर रिपोर्ट बहुत खास या अनोखी साबित होती है, तो इनाम 30 हजार डॉलर तक जा सकता है.
नए AI टूल का योगदान
पिछले दो सालों में रिसर्चर्स ने केवल AI से जुड़े खतरों को ढूंढकर 4 लाख 30 हजार डॉलर से अधिक कमाए हैं. गूगल ने अब CodeMender नाम का नया AI टूल भी लॉन्च किया है. यह टूल ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर में मौजूद सुरक्षा खामियों को खुद-ब-खुद ढूंढकर सुधार देता है.
CodeMender की कामयाबी और फ्यूचर सेफ्टी
अब तक CodeMender ने 70 से अधिक बग्स को पहचानकर सुधार भी किया है. गूगल का मानना है कि ऐसे टूल्स यह साबित करते हैं कि AI सिर्फ खतरा नहीं बल्कि टेक्नोलॉजी को सुरक्षित और मजबूत बनाने का जरिया भी है. यह पहल दिखाती है कि बड़ी टेक कंपनियां अपने AI सिस्टम को लेकर कितनी सतर्क और गंभीर हैं.