Red Sea Crisis: दुनिया के दो छोरों पर चल रहे दो अलग-अलग युद्ध (रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास) की आग अभी शांत भी नहीं हो पाई है कि लाल सागर के संकट ने भी दस्तक दे दी है. 19 अक्टूबर 2023 से शुरू हुए लाल सागर के संकट ने अब धीरे-धीरे विकराल रूप ले लिया है और एक ऐसी आग बन गया है जिसने पूरे मिडिल ईस्ट को अपने दायरे में खींच लिया है. लाल सागर विवाद की आंच अब भारत की अर्थव्यवस्था तक भी पहुंच रही हैं।
जानें क्या है लाल सागर विवाद
19 अक्टूबर 2023 से सुलग रहे इस संकट की जड़ें यमन के हूथी विद्रोहियों और दक्षिणी इजराइल के बीच बढ़ते तनाव में हैं। हूतियों ने इजराइल-समर्थित जहाजों पर हमले करने शुरू किए, जो उनके अनुसार क्षेत्र में इजराइली गतिविधियों का समर्थन कर रहे थे। हालांकि, कई बार ऐसे जहाज भी निशाना बने जो इजराइल से सीधे सम्बंध नहीं रखते थे। यह संकट मिडिल ईस्ट में व्यापक युद्ध की आशंका जगा रहा है। सऊदी अरब और ईरान के बीच दशकों पुराने तनाव ने अब आग पकड़ ली है। सऊदी अरब इजराइल का सहयोगी है, जबकि ईरान हूतियों को समर्थन देता है। इन देशों के बीच सीधा टकराव क्षेत्र में भूकंप ला सकता है और वैश्विक तेल आपूर्ति को भी बाधित कर सकता है।
The war in #Gaza has expanded fears of a #region-wide escalation, which in part is already taking place as proxies aligned with #Tehran such as the #Houthis in #Yemen have been targeting commercial shipping across the #RedSea: @Shivam05S & @KabirTaneja https://t.co/ZBk5pS9j0f
— ORF (@orfonline) January 29, 2024
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भारतीय अर्थव्यवस्था की मुश्किलें बढ़ीं
इस संकट की भारत की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। लाल सागर भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग है। गल्फ देशों से तेल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों के साथ-साथ अफ्रीका से कच्चे माल का एक बड़ा हिस्सा इसी रास्ते से आता है। संकट के कारण जहाजों का मार्ग बदलना पड़ रहा है, जिससे यात्रा की दूरी बढ़ गई है और परिणामस्वरूप माल ढुलाई का खर्च भी बढ़ा है। इससे इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट व्यापार प्रभावित हो रहा है, जिसका भार आखिर में उपभोक्ताओं पर ही पड़ता है। इसके अलावा, लाल सागर के बंद होने से वैश्विक व्यापार भी प्रभावित हो रहा है। इसका मतलब है कि कच्चे माल की कमी और कीमतों में वृद्धि, जो भारतीय व्यापार और इंडस्ट्री पर नेगेटिव प्रभाव डाल सकती है।
🔺A British war ship has shot down a #Houthi drone targeting the vessel in the #RedSea.
🔺The Ministry of Defence (MoD) said in a statement that HMS Diamond had deployed the missile on Saturday, and no injuries or damage were sustained.#RedSeaCrisis pic.twitter.com/ndmIKBpSI0— Record GBA (@RecordGBA) January 29, 2024
कैसे भारत पर असर डाल सकता है लाल सागर विवाद
स्टील इंडस्ट्री: भारत स्टील उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर कोयले का इम्पोर्ट करता है। अफ्रीका से आने वाले कोयले का एक बड़ा हिस्सा लाल सागर के रास्ते आता है। जहाजों के मार्ग बदलने से कोयले की लागत बढ़ी है, जिससे घरेलू स्टील उत्पादन का खर्च भी बढ़ गया है।
तेल इंडस्ट्री: भारत अपनी तेल आवश्यकता का एक बड़ा हिस्सा गल्फ देशों से पूरा करता है। लाल सागर के बंद होने से भारत को तेल का इम्पोर्ट अन्य रास्तों से करना पड़ रहा है, जिससे लागत बढ़ रही है और मुद्रा भंडार पर दबाव डाल रहा है।
मेडिसिन इंडस्ट्री: भारत कई दवाओं के लिए आवश्यक कच्चे माल चीन से इम्पोर्ट करता है। लाल सागर के बंद होने से चीन से होने वाले इम्पोर्ट प्रभावित हो रहे हैं, जिससे दवाओं की आपूर्ति में बाधा आ सकती है।
French sailors showed footage of the Marlin Luanda tanker, carrying Russian oil, which was recently attacked by the Houthis #Yemen #RedSea #Gaza pic.twitter.com/7eUzeIb0sb
— Skënderbeü_ (@AncientAlien01) January 29, 2024
कैसे हो सकता है इसका समाधान
लाल सागर संकट का समाधान निकालना तत्काल जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, क्षेत्रीय शक्तियां और संघर्षरत गुटों को शांतिपूर्ण समाधान तलाशने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। भारत को भी इस संकट का समाधान ढूंढने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए, क्योंकि इससे न केवल क्षेत्र की शांति बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिरता भी जुड़ी हुई है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि किसी एक देश का संकट पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है। लाल सागर का संकट वैश्विक चिंता का विषय है और इसका समाधान तभी संभव है जब सब मिलकर काम करें।