China Rebuilding Old Nuclear Test Base : चीन के पश्चिमी इलाके शिनजियांग में स्थित एक रेगिस्तान में कभी इसका एक न्यूक्लियर टेस्ट बेस लोप नुर (Lop Nur) हुआ करता था। अब ऐसी रिपोर्ट्स आई हैं कि चीन ने यहां अपनी गतिविधियां फिर शुरू कर दी हैं। भारत के पड़ोसी इस देश ने यहां अपना पहला परमाणु बम परीक्षण 1964 में किया था।
इसे लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कुछ सैटेलाइट तस्वीरों का जिक्र किया गया है जिनमें इस बेस पर निर्माण कार्य होने की जानकारी सामने आई है। विशेषज्ञों को डर है कि चीन फिर से नए न्यूक्लियर टेस्ट करने की तैयारी कर रहा है। लेकिन, बीजिंग ने इस तरह के दावों को खारिज किया है। जानिए यह पूरा मामला क्या है।
Concerns rise as satellite images suggest #China may reactivate #LopNur nuclear test facility. Analysts warn of potential nuclear tests, raising geopolitical tensions amid delicate US-China relations.
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लोप नुर की सैटेलाइट तस्वीरों में एक गहरी वर्टिकल शाफ्ट देखी गई है जिसे हाल ही में एक ड्रिलिंग रिग के जरिए लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार यह शाफ्ट लगभग 1760 फीट की गहराई तक जा सकती है। इसमें आगे कहा गया है कि साल 2017 से अब तक यहां के मुख्य सपोर्ट बेस पर लगभग 30 इमारतों का निर्माण हुआ है।
एयरबेस हुआ अपग्रेड, नई सड़कें बनीं
यहां के विशाल एयरबेस को भी अपग्रेड किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले न्यूक्लियर टेस्ट्स के लिए बनाई गई कम से कम एक सुरंग में खुदाई और निर्माण के संकेत भी मिले हैं। इसके अलावा लोप नुर न्यूक्लियर टेस्ट बेस पर कई नई सड़कों, पावर लाइंस और एक इलेक्ट्रिकल सबस्टेशन का निर्माण भी किया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि हो सकता है चीन अपने पुराने न्यूक्लियर टेस्ट बेस पर सुधार और विस्तार करके फुल स्केल न्यूक्लियर टेस्ट कराने की तैयारी कर रहा हो या फिर यहां पर कुछ सबक्रिटिकल एक्सपेरिमेंट करना चाहता हो। बता दें कि सबक्रिटिकल एक्सपेरिमेंट्स का परिणाम न्यूक्लियर एक्सप्लोशन नहीं होता है।
चीन ने खारिज किए हैं इस तरह के दावे
बता दें कि 1990 के दशक में दुनिया की परमाणु शक्तियों ने परमाणु परीक्षणों पर स्वैच्छिक प्रतिबंध लगाने पर सहमति जताई थी। इसके बाद से ही चीन ने बड़े स्तर पर न्यूक्लियर टेस्ट नहीं किए हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि चीन सबसे खराब हालात बनने की स्थिति को लेकर अपनी तैयारी करने में भरोसा करता है।
हालांकि, चीन ने लोप नुर को लेकर इस रिपोर्ट में किए गए दावों को गैरजिम्मेदाराना बताया है। देश के विदेश मंत्री वांग यी ने न्यूयॉर्क टाइम्स से एक बयान में कहा है कि उसकी रिपोर्ट में कोई तथ्य नहीं हैं और इसमें बिना किसी आधार के ‘चीनी परमाणु खतरे’ का माहौल बनाया जा रहा है जो कि पूरी तरह से गलत है।
लगातार अपने हथियार बढ़ा रहा है चीन
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने इसी साल अक्टूबर में दावा किया था कि चीन ने पिछले साल के दौरान अपने परमाणु हथियारों के जखीरे का तेजी से विस्तार किया है। इसके अलावा, पेंटागन की एक सालाना रिपोर्ट में भी कहा गया है कि चीन 2030 तक 1000 से ज्यादा परमाणु हथियार अपने आर्सेनल में शामिल करने की तैयारी कर रहा है।
एक अन्य रिपोर्ट बताती है कि करीब 10 साल पहले तक चीन के पास करीब 50 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें थीं। इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अब चीनी सेना की रणनीतिक ब्रांच ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स’ साल 2028 तक 1000 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चर तैनात करने की तैयारी में जुटी हुई है।
क्या भारत को चिंता करने की जरूरत है?
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट भारत के लिए चिंता को जन्म देने वाली है। भारत के चीन के साथ संबंध भी लंबे समय से खासे तनावपूर्ण हैं। चीन के मुकाबले भारत के पास हथियारों का जखीरा भी कम है। बता दें कि भारत ने साल 1998 में किए गए पोकरण टेस्ट के बाद परमाणु परीक्षणों पर एकतरफा रोक लगाने का ऐलान किया था।
जानकारों का कहना है कि लोप नुर न्यूक्लियर टेस्ट बेस को फिर से एक्टिवेट करने के लिए चीन की किसी भी कोशिश का क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर पड़ना तय है। ऐसे में अगर यह रिपोर्ट सही है तो ये भारत के लिए चिंता का कारण बन जाती है। उल्लेखनीय है कि दोनों ही देशों के बीच सीमा पर तनाव पहले से ही चलता आ रहा है।
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