Indian Predator Beast Of Bangalore: 90 के दशक में बेंगलुरु शहर की सड़कों पर एक खौफनाक अपराधी सरेआम घूम रहा था। उस शख्स का डर इस कदर था कि महिलाएं उसका नाम सुनते ही थर-थर कांपने लगती थीं। साल 2022 में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई डॉक्यूसीरीज ‘इंडियन प्रीडेटर: बीस्ट ऑफ बैंगलोर’ में इसी खतरनाक हत्यारे की कहानी दिखाई गई है। आखिर कौन था वो, क्या करता था और महिलाएं उसके नाम से क्यों डरने लगती थीं चलिए आपको बताते हैं।
सीरियल किलर उमेश रेड्डी की कहानी
उसका नाम था उमेश रेड्डी, जिसे लोग बैंगलोर का दरिंदा कहते थे। ये एक ऐसा सीरियल किलर था, जिसकी दरिंदगी ने न सिर्फ कर्नाटक राज्य बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। उमेश रेड्डी के क्रूर अपराधों को सीरीज में दिखाया गया है। इस सीरीज में उस खौफनाक कहानी को सामने लाया गया है, जिसमें रेड्डी ने महिलाओं पर किए गए हिंसात्मक कुकर्मों से समाज को हिलाकर रख दिया था।
उमेश रेड्डी का आपराधिक सफर 1996 में शुरू हुआ, जब वो एक अर्धसैनिक बल का सदस्य था। जम्मू-कश्मीर में तैनात रेड्डी की विकृत मानसिकता तब सामने आई जब उसने एक वरिष्ठ अधिकारी की बेटी का यौन शोषण करने की कोशिश की। इस घटना के बाद वो कर्नाटक के चित्रदुर्ग लौट आया और जिला सशस्त्र रिजर्व में शामिल हो गया। डीएआर के अधिकारियों को उसके इतिहास के बारे में नहीं पता था। बस यहीं से उमेश रेड्डी की हैवानियत का असली चेहरा समाज के सामने आने वाला था।
विधवा महिलाओं को बनाता था शिकार
रेड्डी ने अविवाहित और विधवा महिलाओं को अपना निशाना बनाना शुरू किया। उसके अपराध का पैटर्न ऐसा था कि वो पहले महिलाओं के साथ दुष्कर्म करता और फिर उनके आभूषण और कपड़े चुराकर फरार हो जाता। उसकी हैवानियत यहीं नहीं रुकती थी, वो उन महिलाओं की हत्या कर देता था ताकि वो अपने कुकर्मों का पर्दाफाश होने से बचा सके। रेड्डी के खौफ का आलम यो था कि महिलाओं ने घर से बाहर निकलने में भी डर महसूस करना शुरू कर दिया था।
रेड्डी की दरिंदगी की कहानी तब सामने आई, जब उसने बैंगलोर में कई और महिलाओं पर हमला किया और उनकी हत्या कर दी। जनवरी 1997 में गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड के दौरान एक महिला ने उसे पहचान लिया। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया, लेकिन वो हिरासत से भाग निकला। रेड्डी ने बाद में कई और महिलाओं पर हमले किए, जिनमें एक आयकर अधिकारी की पत्नी भी शामिल थी।
महिलाओं के अंडरगारमेंट्स चुरा लेता था
उमेश रेड्डी की घिनौनी हरकतों का भयानक पहलू ये भी था कि वो महिलाओं के अंडरगारमेंट्स चुराने का भी काम करता था। जब 1997 में बैंगलोर पुलिस ने उसे पकड़ा, तो उसके कमरे से बड़ी मात्रा में महिलाओं के इस्तेमाल किए गए अंडरगारमेंट्स बरामद हुए। इससे पुलिस को उसके मानसिक विकारों का अंदाजा हुआ और उसके अपराधों की गहराई का पता चला।
रेड्डी ने कुल 18 महिलाओं के साथ दुष्कर्म और उनकी हत्या की बात कबूली। हालांकि, कई अपराधों में सबूतों की कमी के कारण उसे सिर्फ 9 मामलों में दोषी ठहराया जा सका। साल 2006 में बैंगलोर की एक अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई, लेकिन 2022 में उसकी दया याचिका पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा को कम करके 30 साल के कारावास में बदल दिया।
आज उमेश रेड्डी बेलगावी जेल में बंद है, लेकिन उसके अपराधों की छाया अब भी समाज के ऊपर मंडरा रही है। उसकी कहानी एक भयानक याद के तौर पर समाज में मौजूद है, जो बताती है कि कैसे एक व्यक्ति की हैवानियत न केवल उसकी पीड़िता को बल्कि पूरे समाज को गहरे जख्म दे सकती है।
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