Lonely Deaths Of Bollywood: आज सुबह फिल्म इंडस्ट्री से बेहद दुखद खबर सामने आई। इस खबर से पूरे फिल्म जगत में शोक की लहर है। दरअसल, आज सुबह कला निर्देशक नितिन देसाई (Nitin Desai) ने सुसाइड कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
देसाई के निधन से हर किसी को झटका लगा और फैंस से लेकर सेलेब्स हर कोई देसाई के निधन से दुखी है। वहीं, अब देसाई के निधन पर विवेक अग्निहोत्री ने भी ट्विटर कर लंबा-चौड़ा नोट साझा किया है।
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Lonely Deaths Of Bollywood पर विवेक अग्निहोत्री ने किया पोस्ट
विवेक अग्निहोत्री ने अपने पोस्ट में ‘बॉलीवुड की लोनली डेथ्स’ पर एक लंबी पोस्ट साझा की है। उन्होंने लिखा कि “यह एक ऐसी दुनिया है, जहां आप चाहे कितने भी सफल हो जाएं, अंत में आप केवल एक हारे हुए व्यक्ति हैं। अंततः, सब कुछ आपके आसपास है लेकिन आपके साथ कुछ भी नहीं, आपके लिए, आपके द्वारा।
LONELY DEATHS OF BOLLYWOOD:
It’s a world were however successful you become, in the end, you are only a loser.
In the end, everything is around you but nothing with you. For you. by you.
Everything comes fast… fame, glory, money, fans, sycophants… covers, ribbons, women,…
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 2, 2023
अग्निहोत्री ने लिखा कि- सब कुछ तेजी से आता है
सब कुछ तेजी से आता है… प्रसिद्धि, महिमा, पैसा, प्रशंसक, चापलूस… कवर, रिबन… वह सब कुछ जिसे आप सफलता के साथ जोड़ सकते हैं। साथ ही बॉलीवुड आपको किसी भी तरह के नैतिक दबाव से मुक्त करता है। आप हत्या, आतंकवाद, बलात्कार या नशे में गाड़ी चलाने से बच सकते हैं।
एक बार पैसा आता है, तो बरसता है- अग्निहोत्री
प्रसिद्धि और वित्तीय स्थिति के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि “एक बार पैसा आता है, तो बरसता है। आप हमेशा मध्यम वर्ग के रहे हैं। आप नहीं जानते कि इस पैसे का क्या करें। आप बड़ा निवेश करें, क्योंकि जिन लोगों पर आप भरोसा करते हैं, वही आपको ऐसा करने की सलाह देते हैं। जो बात कोई नहीं बताता वो ये है कि इस बुरी दुनिया में कभी किसी पर भरोसा मत करना धीरे-धीरे नई पीढ़ी आती है।
यह एक अंधेरी सुरंग है- विवेक अग्निहोत्री
आप अप्रासंगिक होने लगते हैं, लेकिन प्रसिद्धि, पैसा और प्रासंगिकता की आपकी लत इतनी तीव्र है कि आप इसकी मांग करने लगते हैं। जितना अधिक तुम मांग करते हो, उतना अधिक तुम अलग-थलग हो जाते हो। यह एक अंधेरी सुरंग है जिसमें आप अकेले ही गिरते चले जाते हैं। उस सुरंग में क्या हो रहा है ये सिर्फ आप ही जानते हैं।
आपके पास केवल आप ही हैं- विवेक
आप बात करना चाहते हैं लेकिन कोई भी स्वतंत्र नहीं है। आप अपने आप से बात करें, लेकिन आप यह भी नहीं जानते कि अपनी बात कैसे सुनी जाए। आपके पास रखने के लिए कुछ भी नहीं है। आपने कभी भी परिवार, दोस्तों, मूल्यों, नैतिकता, दया, कृतज्ञता में निवेश नहीं किया, तो आपके पास कोई नहीं है। आपके पास कुछ भी नहीं है, इसलिए पैसा और प्रसिद्धि भी नहीं है। आपने स्वयं में निवेश किया है, इसलिए आपके पास केवल आप ही हैं।
यह सामान्य अंत है- अग्निहोत्री
अपने सबसे कुरूप रूप में, लेकिन बिना मेकअप के आप खुद को पसंद नहीं करतीं। प्रशंसकों के बिना आपके ऊपर छत पर केवल एक पंखा ही बचा है। अफसोस की बात है कि यह पंखा आपका एकमात्र प्रशंसक बन जाता है जो आपके अकेले और दुखी जीवन को समाप्त करने में आपकी मदद करता है। कुछ वहीं लटके रहते हैं हर पल मरते रहते हैं। कुछ तो खुद को फांसी लगा लेते हैं, यह सामान्य अंत है।”