Chhaava Movie Review: ‘कहते हैं हमें तो अपनों ने लूटा औरों में कहां दम था, अपनी कश्ती वहीं डूबी जहां पानी कम था’, विक्की कौशल की छावा देखकर कुछ यही आपके दिमाग में आएगा जब आप सीटें छोड़कर थिएटर से बाहर निकलेंगे। बलिदान, वीरता, शौर्ये और विश्वासघात की कहानी लेकर आए डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर ने बाखूबी मराठा साम्राज्य का गौरवान्वित करने वाला इतिहास पर्दे पर दिखाया है। उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक, सैम बहादुर, मसान जैसी कमाल की फिल्मों में अपनी एक्टिंग से दिल लूट लेने वाले विक्की कौशल ने अभिनय में अपना कौशल एक बार फिर साबित कर दिया है। छत्रपति संभाजी महाराज के रूप में उनकी डायलॉग डिलीवरी ने सीटों पर खड़े होकर तालियां बजाने को मजबूर कर दिया है।
कैसी है फिल्म की कहानी?
फिल्म की कहानी शुरू होती है मुगलों के सम्राट औरंगजेब को खबर मिलने के साथ कि मराठा साम्राज्य के छत्रपति शिवाजी महाराज का निधन हो गया है। इससे पहले कि वो खुशी मना पाता उसे पता चलता है कि मराठा साम्राज्य के छत्रपति संभाजी महाराज को बना दिया गया है। छत्रपति संभाजी महाराज, ये नाम मुगलों के दिलों में खौफ पैदा करने के लिए काफी था। औरंगजेब मराठा साम्राज्य को हथियाना चाहता है लेकिन जब तक छत्रपति संभाजी महाराज हैं, वो ऐसा नहीं कर सकता। इसलिए वो ठान लेता है कि महाराज का अंत करके रहेगा।
इधर छत्रपति संभाजी महाराज भी उसके इरादे जानते हैं इसलिए हमेशा उससे एक कदम आगे की ही सोचते हैं। छत्रपति संभाजी महाराज अपनी पत्नी येसूबाई से काफी प्रेम करते हैं। दोनों के बीच एक अटूट बंधन है, जहां मीलों दूर बैठे भी एक दूसरे से मन ही मन में बात कर लेते हैं। औरंगजेब का अपना ही बेटा अकबर उसे मारकर मुगलों का सम्राट बनना चाहता है, इसके लिए मदद मांगने वो संभाजी महाराज के पास आता है। वहां से शुरू होता है कहानी का टर्निंग प्वाइंट। जब संभाजी महाराज को पता चलता है कि उन्हीं के ही परिवार से राजमाता ही उन्हें धोखा दे रही हैं और वो चाहती हैं उनका अंत। लेकिन ये तो विश्वासघात की बस शुरुआत मात्र थी।
औरंगजेब धीरे-धीरे अपनी हजारों की फौज लेकर छत्रपति संभाजी महाराज की तरफ बढ़ता रहता है। उनका पहला लक्ष्य अकबर को मारने का होता है ताकि वो औरंगजेब की गद्दी हथिया ना सके। लेकिन संभाजी महाराज उसे वादा देते हैं कि उनके साम्राज्य में कोई भी अकबर का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा क्योंकि वो उन्हें अपने के धोखे के बारे में बताता है। हालांकि अकबर को बहुत जल्द पता चलता है कि वो कभी भी मारा जा सकता है इसलिए वो खुद ही महाराज के पास आकर उनसे विदा लेने का आग्रह करता है।
उधर एक-एक कर महाराज के करीबियों को औरंगजेब की फौज मार गिराती है और इधर महाराज का खून खौल उठता है। महाराज फैसला लेते हैं कि वो औरंगजेब का नामों-निशान ही मिटाकर रहेंगे। बस यही से शुरू होती है कि उनकी वीरता, बलिदानी और शौर्य की गाथा। हालांकि अपनों की दी हुई चोट के चलते वो बेबस हो जाते है और कहीं ना कहीं उनके लालच का ही शिकार बन जाते हैं।
विक्की कौशल की बेहतरीन एक्टिंग
पूरी फिल्म में बस एक ही आवाज गूंजती है- छत्रपति संभाजी महाराज की जय। विक्की की डायलॉग डिलीवरी हो या फिर उनकी एक्टिंग, उनकी हर बात बेहद खास है। ऐसा भी कहा जा सकता है कि ये उनके करियर की अब तक की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस है। रश्मिका मंदाना के साथ विक्की की कैमिस्ट्री काफी अच्छी है और दोनों ने एक दूसरे को बेहतर करने में मदद की है।
फिल्म का डायरेक्शन
लक्ष्मण उतेकर ने स्टोरी को पर्दे पर क्या बेहतरीन तरीके से पेश किया है। कमाल के सीन्स पिक्चराइज किए गए हैं। कुछ सीन तो फिल्म में ऐसे दिखाए गए हैं जिन्हें देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कई बार तो सीन देखकर पसीने भी छूट जाएंगे। फिल्म में बैकग्राउंड म्यूजिक का अच्छे से इस्तेमाल किया गया है।
फिल्म को 5 में से 3 स्टार्स
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