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Tehran Movie Review : जॉन अब्राहम की सबसे संजीदा परफॉर्मेंस और एक दमदार थ्रिलर

Tehran Movie Review: 'तेहरान', जी5 पर रिलीज हो चुकी है। जॉन अब्राहम की ये फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है और ढेर सारे कट्स लगने के बाद 118 मिनट की फिल्म रिलीज हुई है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Ishika Jain Updated: Aug 14, 2025 16:26
Tehraan
फिल्म देखने से पहले पढ़ें ‘तेहरान’ का रिव्यू। (Photo Credit- Instagram)
Movie name:Tehran
Director:Arun Gopalan
Movie Cast:John Abraham, Neeru Bajwa, Manushi Chhillar, Madhurima Tuli, Elnaaz Norouzi

Tehran Movie Review: कोई टिपिकल देशभक्ति फिल्म नहीं है, ये एक रियल-लाइफ पोलिटिकल थ्रिलर है, जो 2012 में दिल्ली में हुए इजराइली राजनयिकों पर हमले की सच्ची घटना से प्रेरित है। फिल्म का नायक है DCP राजीव कुमार (जॉन अब्राहम), जो दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में काम करता है। एक बम धमाके की जांच के दौरान उसकी निजी भावनाएं और प्रोफेशनल ड्यूटी एक-दूसरे से टकराने लगती हैं। मामला साधारण नहीं है- राजनीति, विदेश नीति और आतंकवाद तीनों की परतें धीरे-धीरे खुलती हैं।

राजनीति और जासूसी के बीच झूलती है कहानी

‘तेहरान’ की कहानी राजनीति और जासूसी के बीच झूलती है। फिल्म में आपको बाहरी दिखावे से हटकर गहरी राजनीतिक सच्चाइयां दिखेंगी, जो भारत के लिए जटिल स्थिति को बयां करती हैं। पटकथा ने किसी भी तरफदारी से बचकर हर किरदार को इंसानियत के नजरिए से पेश किया है। ये फिल्म सिर्फ इमोशन या एक्शन के लिए नहीं, बल्कि सोचने और समझने के लिए बनाई गई है।

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फिल्म में दिखेगी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, छिपे एजेंडे

‘तेहरान’ एक ऐसी फिल्म है, जो तेजी से भागने की कोशिश नहीं करती। ये ठहरती है, सोचने का मौका देती है और फिर गहराई से चोट करती है। ये उन लोगों की कहानी है, जो कभी सुर्खियों में नहीं आते, लेकिन जिनकी वजह से देश चैन की सांस ले पाता है। ‘तेहरान’ के जियोपॉलिटिकल परिवेश को समझने के लिए दर्शकों को भारत, ईरान और इजराइल के संबंधों की बुनियादी समझ होनी चाहिए। पटकथा अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, छिपे एजेंडे और राष्ट्रहित की पृष्ठभूमि में व्यक्तिगत पीड़ा को इस तरह पिरोती है कि कहानी का हर मोड़ विचारोत्तेजक बन जाता है।

‘राजीव कुमार’ के किरदार को जीते दिखे जॉन अब्राहम

जॉन अब्राहम इस बार बिना चिल्लाए, बिना ढेर सारी गोलियों के एक ऐसा किरदार निभा रहे हैं, जो अपनी चुप्पी से ज्यादा असर करता है। वो दर्द और गुस्से को चेहरे और आंखों से बयां करते हैं। फिल्म में कोई ओवर-द-टॉप देशभक्ति नहीं है, लेकिन एक सच्चे अफसर की छवि जरूर उभरती है, जो सही को सही और गलत को गलत कहने से नहीं डरता। उन्होंने ‘राजीव कुमार’ के किरदार को सिर्फ निभाया नहीं, जिया है।

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कहानी में कुछ जोड़ता है हर किरदार

नीरू बाजवा एक तेज-तर्रार राजनयिक की भूमिका में प्रभावशाली हैं। उनका किरदार छोटा है, लेकिन कहानी में गहराई लाता है। मानुषी छिल्लर एक्शन सीन्स में बेहतर दिखती हैं और हादी खानजानपुर एक चुपचाप डर पैदा करने वाला विलेन साबित होते हैं। फिल्म का हर किरदार कहानी में कुछ जोड़ता है, जो हिंदी फिल्मों में कम ही देखने को मिलता है।

स्क्रिप्ट और सिनेमैटोग्राफी भी शानदार

‘तेहरान’ की स्क्रिप्ट इसकी सबसे बड़ी ताकत है। रितेश शाह और आशीष वर्मा का लेखन सरल होते हुए भी प्रभावी है। फिल्म आपको एक मिनट के लिए भी भटकने नहीं देती। अरुण गोपालन का निर्देशन सधा हुआ है। नाटकीयता से दूर रहकर उन्होंने एक ऐसी फिल्म बनाई है, जो दिमाग पर असर डालती है और दिल पर भी। सिनेमैटोग्राफी शानदार है। दिल्ली की गलियों से लेकर तेहरान की ठंडी हवाओं तक, हर लोकेशन को ईमानदारी से दिखाया गया है। तनिष्क बागची का बैकग्राउंड स्कोर कहानी में घुलता नहीं, बल्कि उसे आगे बढ़ाता है। एडिटिंग भी टाइट है, फिल्म कहीं भी खिंचती नहीं है।

अगर आप एक्शन, चेस और भारी-भरकम डायलॉग्स वाले मसाला थ्रिलर के मूड में हैं, तो शायद ये फिल्म आपको थोड़ी धीमी लगे। लेकिन अगर आप चाहते हैं एक ठोस, संवेदनशील और सोचने पर मजबूर करने वाली कहानी, तो ‘तेहरान’ जरूर देखिए। कुछ फारसी संवादों में शायद बाधा लगे, लेकिन उनका ट्रांसलेशन सबटाइटल में है।

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शांत लेकिन शार्प फिल्म है ‘तेहरान’

इस धमाकेदार थ्रिलर को मैडॉक फिल्म्स और बेक माई केक फिल्म्स ने प्रोड्यूस किया हैं, फिल्म ZEE5 पर स्ट्रीम कर रही है, आप इसे जरूर देखें, क्योंकि ‘तेहरान’ एक शांत लेकिन शार्प फिल्म है। ये चीखती नहीं, पर हर दृश्य गूंजता है। ये फिल्म उन लोगों को समर्पित है, जो अपने देश के लिए चुपचाप अपना सब कुछ कुर्बान कर देते हैं। जॉन अब्राहम का ये सबसे परिपक्व रोल है और इसे मिस करना नहीं चाहिए।

तेहरान को 3.5 स्टार।

First published on: Aug 14, 2025 03:21 PM

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