अश्वनी कुमार: इन दिनों ओटीटी एप्स ने कंटेंट के मामले में तूफान मचा रखा है। खास तौर पर जियो सिनेमा तो ऐसे फायर मोड में आ गया है कि हर हफ्ते उसके पिटारे से फिल्मों और वेब सीरीज का खजाना निकल रहा है।
असुर के सीजन टू के सुपरहिट रिस्पॉन्स के बाद ब्लडी डैडी ने आग लगाई और अब मनीष पॉल के कॉन ड्रामा यानि ठगी के किस्सों की नई कहानी सामने आ गई है।
जियो सिनेमा ने रिलीज किए सीरीज के दो एपिसोड
जियो सिनेमा ने 15 जून को फिलहाल अपनी पॉलिसी के तहत सिर्फ इस सीरीज के दो एपिसोड ही रिलीज किए हैं। हर दिन इस सीरीज का एक एपिसोड रिलीज करते जाएंगे, जिससे हर दिन आप इस एप पर आएं और हफ्ते भर में सीरीज़ पूरी कर लें। आइडिया तो अच्छा है, लेकिन पहले दो एपिसोड देखने और फिर हफ्ते भर तक एक-एक एपिसोड देखने का इंतजार करने लायक दम भी इस सीरीज में है या नहीं, ये तो जान लेते हैं।
पवन कुमार बावरिया की कहानी
ये कहानी है नैनीताल में रहने वाले पवन कुमार बावरिया की, जो लोन लेकर बिजनेस चला रहे हैं। लोन लेकर गाड़ी खरीद रहे हैं और क्रेडिट कॉर्ड्स से ईएमआई चुका रहे हैं। वैसे आजकल तो ये हर दूसरा शख़्स कर रहा है, लेकिन पवन को इसके लिए उसकी फैमिली से लेकर पड़ोसियों तक के ताने सुनने को मिल रहे हैं।
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करोड़ों की ठगी करने के आरोप में पवन गिरफ्तार
मम्मी-पापा की एनीवर्सरी के मौके पर ही अचानक, क्राइम ब्रांच ऑफिसर शौर्य चौटाला, पवन को देश भर में कई जगह बहरूपिया बनकर करोड़ों की ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार कर लेती है और फिर शुरु होता है, कॉन यानि ठगी की कहानियों का सिलसिला जिसके शिकार देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग बने।
दिल तोड़कर लगाया 25 करोड़ का चूना
पहले एपिसोड में दिल्ली के रसूखदार बिजनेस टाइकून सर्वेश पठानियां की बेटी को जरिया बनाकर उसका दिल तोड़कर 25 करोड़ का चूना लगाने वाले अजय चौहान के शातिर प्लान की कहानी सुनाई जानी है और कोर्ट में पूरी बहस होती है। दूसरे एपिसोड में प्रिंस बनकर धोखा देने के चैप्टर की शुरुआत भर होती है।
ठगी की कहानी
कॉन स्टोरीज तलवार की धार की तरह होती है और ऐसे में जब आपके पास अपराधी पहले से हो, जिसके ठगी की कहानी सुनाई जा रही है, तो इस तलवार से कहानी के बीच में कटने का खतरा बना रहता है, लेकिन पहले दो एपिसोड में डायरेक्टर रितम श्रीवास्तव ने कहानी को फिसलने नहीं दिया है, बल्कि एंगेजिंग बनाकर रखा है।
इंट्रेस्टिंग है सीरीज की कास्टिंग
इस सीरीज की कास्टिंग ने भी रफुचक्कर के इंट्रेस्टिंग बनाया है। कास्टिंग डायरेक्टर पराग मेहता का काम, इस सीरीज़ में आगे बढ़कर बोलता है। फिर आप मनीष पॉल को देखते रह जाते हैं। आखिर जिस शख़्स को आप कई साल तक होस्ट बनकर हंसाते और गुदगुदाते देखा हो, एक्टिंग में उसकी वर्सेटैलिटी का ऐसा नमूना देखकर आप दंग हो जाएंगे। एडवोकेट रितू अरोड़ा के कैरेक्टर में प्रिया बापट बहुत इंप्रेसिव लगी हैं। आने वाले एपिसोड में उनके कैरेक्टर के पंख और खुलेंगे।
रफूचक्कर को 3.5 स्टार
क्राइम ब्रांच ऑफिसर शौर्य चौटाला बनी अक्क्षा पारदर्शिनी का काम भी कमाल का है। फिर सुशांत सिंह तो मंझे हुए कलाकार हैं, स्क्रीन पर उनकी प्रेजेंट ही बोलती है। रफूचक्कर के पहले दो एपिसोड आपको कॉन मैन के जाल में फंसाने के लिए काफी है और आगे के एपिसोड्स का इतंजार आपको बेसब्री से रहने वाला है। रफूचक्कर को 3.5 स्टार।