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Pippa Review: एक ‘वॉर टैंक’ की कहानी, जिसने लड़ी पड़ोसी मुल्क की आजादी की लड़ाई

Pippa Review: अभिनेता ईशान खट्टर की फिल्म 'पिप्पा' रिलीज हो चुकी है। दर्शक इसके रिलीज होने का इंतजार कर रह थे, जो अब खत्म हो चुका है।

Edited By : Nancy Tomar | Updated: Nov 10, 2023 16:30
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Pippa Review
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Pippa Review: अभिनेता ईशान खट्टर की फिल्म ‘पिप्पा’ रिलीज हो चुकी है। फैंस में पहले से फिल्म को लेकर क्रेज था। साथ ही दर्शक इसके रिलीज होने का भी बेसब्री से इंतजार कर रह थे, जो अब खत्म हो चुका है। एक ऐसा टैंक जो जमीन के साथ पानी पर भी चल सकता हो और दुश्मन के परखच्चे उड़ा सकता हो।

इस टैंक का नाम है PT-76 टैंक। ‘पिप्पा’ साल 1971 में यूज किया गया PT-76 टैंक है, जिसे उस समय पंजाबी साथियों ने प्यार से पिप्पा बुलाना शुरु किया था।

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बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ी लड़ाई

बता दें कि ‘पिप्पा’ ही वो टैंक्स जिन्होंने उस समय पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश की आजादी के लिए गरीबपुर में हुई जंग में अपना अहम योगदान दिया था। हालांकि ईशान खट्टर की फिल्म ‘पिप्पा’ की कहानी महज टैंक तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि इसमें लेफ्टीनेंट बल्ली यानि बलराम सिंह मेहता की भी कहानी है।

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लेफ्टीनेंट बलराम सिंह मेहता

लेफ्टीनेंट बल्ली यानि बलराम सिंह मेहता, जो रशियन के साथ ज्वाइंट मिलिट्री एक्सरसाइज के दौरान- इन-सबऑर्डिनेशन करते हुए पिप्पा को गहरे पानी में उतार देते हैं। बता दें कि बलराम सिंह मेहता मिजाज से बेफिक्रे, आदतन- सीनियर्स की नाफरमानी करने वाले नौजवान है।

एक वॉर फिल्म है ‘पिप्पा’

वैसे तो देशभक्ति से जुड़ी फिल्में आती रहती है। वहीं, हाल ही में रिलीज हुई ‘पिप्पा’ को आनन-फानन में प्राइम वीडियो पर रिलीज किया गया। बता दें कि ‘पिप्पा’ में बहुत कुछ खास है, जैसे ये एक वॉर फिल्म है। इसकी सबसे खास बात ये है कि इसका टाइटल किसी वॉर रिफरेंस या किसी वॉर हीरो के नाम पर नहीं बल्कि एक वॉर टैंक के नाम पर है, जो अपने आप में बड़ी बात है।

इतिहास में ये पहली लड़ाई थी, जो अपने नहीं दूसरे देश को हक दिलाने के लिए लड़ी गई

ये फिल्म बताती है कि पूरे इतिहास में ये पहली लड़ाई थी, जो अपने हक-अपनी जमीन और अपने फायदे के लिए नहीं बल्कि दूसरे देश को उसका हक दिलाने के लिए भारत ने लड़ी थी। बांग्लादेश की आजादी की इस लड़ाई में पाकिस्तान ने किस तरह वहां के लोगों पर ज़ुल्म किए फिल्म ‘पिप्पा’ ने उसकी तस्वीर दिखाने की कोशिश की है। इस फिल्म के लिए असल और आखिरी PT-76 टैंक को ठीक कराकर शूटिंग की गई, जो शूटिंग के दौरान ही पानी में डूब गया।

PT-76 टैंक्स की खूबियां नहीं दिखा पाए राजा कृष्णा मेनन

हालांकि सवाल ये उठता है कि क्या डायरेक्टर राजा कृष्णा मेनन ‘पिप्पा’ यानि PT-76 टैंक्स की खूबियां नहीं दिखा पाए। तो इसका जवाब है हां ‘पिप्पा’ को पानी पर तैरते देखकर थोड़ा थ्रिल आता है, लेकिन इसके बाद वो चैप्टर खत्म। वॉर सीन्स इस फिल्म में बहुत ज़्यादा फ्लैट लगते हैं। बांग्लादेश के विस्थापितों का दर्द भी सिर्फ़ तस्वीरों जैसा है, जिससे आप बस अंदाजा लगाने का काम कर सकते हैं, महसूस नहीं कर सकते।

‘पिप्पा’ को 2 स्टार

हालांकि ए.आर. रहमान का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म को ऊपर उठाने की कोशिश करता है, लेकिन ईशान खट्टर की शख़्सियत में फौजियों वाली बात नजर ही नहीं आती, लेकिन उन्होंने कोशिश बहुत की है। कास्टिंग के मामले में सिर्फ़ ईशान ही नहीं, बल्कि उनके बड़े भाई और मेजर राम बने प्रियांशु पैन्युली के साथ भी यही दिक्कत है। दोनों के एक्सप्रेशन्स शानदार हैं, लेकिन इन किरदारों के लिए कद-काठी और रौब इनमें मिसिंग है। मृणाल ठाकुर के किरदार को ज़्यादा निखरने का मौका नहीं मिला है। ‘पिप्पा’ एक कमाल कॉन्सेप्ट है, जिसे लिखा भी अच्छे से गया है, लेकिन इसका फाइनल प्रोडक्ट उम्मीदों पर ‘पिप्पा’ की तरह तैरता नहीं, बल्कि पानी फेर देता है। ‘पिप्पा’ को 2 स्टार।

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Edited By

Nancy Tomar

First published on: Nov 10, 2023 04:30 PM

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