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Nadaniyaan Review: क्या बॉक्स हिट पर हिट होंगी सैफ के पुत्र की ‘नादानियां’? पढ़ें रिव्यू

Nadaniyaan Review: सैफ अली खान और अमृता सिंह के बेटे इब्राहिम अली खान की डेब्यू फिल्म नादानियां नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। दिवंगत एक्ट्रेस श्रीदेवी की छोटी बेटी खुशी कपूर के साथ इब्राहिम की जोड़ी बनी है।

Author Edited By : Himanshu Soni Updated: Mar 7, 2025 13:33
Nadaniyaan Review
Nadaniyaan Review
Movie name:Nadaniyaan
Director:Shauna Gautam
Movie Cast:Ibrahim Ali Khan, Khushi Kapoor

Nadaniyaan Review: (Ashwani Kumar) नादानियां हो जाती है, बच्चों से भी बड़ों से भी। वैसे तो नादानियां बनाने की बड़ी वजह – सैफ अली खान और अमृता सिंह के बेटे – इब्राहिम अली खान को लॉन्च करना था, जो सारा अली खान के भाईजान भी हैं। लेकिन ‘कुछ-कुछ होता है’ से लेकर ‘स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर’ में अनरियलिस्टिक कॉलेज रोमांस को दिखाने वाले धर्मा प्रोडक्शन ने इस बार नादानियां के नाम पर इंस्टाग्राम रील बना दी है, जिसके कैमरे के हर फ्रेम में बैकग्राउंड ब्लर है और कहानी का बैकग्राउंड भी उससे ज्यादा ब्लर है।

कैसा है डायरेक्टर का काम?

करण जौहर की लास्ट डायरेक्टोरियल – रॉकी और रानी की प्रेम कहानी की एसोसिएट डायरेक्टर और उससे भी पहले एक दो फिल्मों में एडी रही शौना गौतम भी नादानियां से अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू कर रही हैं। मगर डेब्यू-डेब्यू के नाम पर उन्होने धर्मा स्टाइल वाली कॉलेज रॉम-कॉम वाली फॉर्मेट स्टोरीज में सिर्फ अपने एक्टर्स को खूबसूरत दिखाने के अलावा किसी और काम पर नजर भी नहीं डाली है।

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कैसी है फिल्म की कहानी?

नादानियां की कहानी शुरु ही फ्लैश बैक से होती है, जिसमें पिया जयसिंह, जो साउथ दिल्ली के जयसिंह नाम के बहुत बड़े घराने की अकेली साहबजादी हैं, वो अपनी कॉन्ट्रैक्ट वाली लव स्टोरी से शुरु करती हैं। क्योंकि पिया की बेस्टी को जिस लड़के पर बचपन से प्यार है, वो अड़ियल-अकड़ू और घमंडी लड़का – पिया को पाना चाहता है। दोस्त के प्रोबेबल टॉक्सिक ब्वॉयफ्रेंड को खुद से दूर रखने और अपनी बेस्टीज़ के साथ दोस्ती को बनाए रखने के लिए पिया, नोएडा के उनके कंपैरिजन में गरीब, लेकिन एक चार्मिंग, इंटेलिजेंट लड़के – अर्जुन मेहता को 25 हजार रूपए पर वीक के हिसाब से ब्वॉयफ्रैंड बनाने की डील करती है।

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इमोशनलेस और केमिस्ट्री लेस दिखी फिल्म

पिया की जिंदगी में पैसा है, डिजाइनकर कपड़े हैं, महंगी कारें हैं और धर्मा के स्टाइल वाला वो कॉलेज है, जो कम से इंडिया में कहीं और नज़र नहीं आता… मगर उसके मम्मी-पापा के बीच दूरियां हैं, क्योंकि वो एक बेटे के पैरेंट नहीं बन पाएं, मतलब कुछ भी…। ये कुछ भी वाली कहानी में पिया और अर्जुन के बीच प्यार होना है, कन्फ्यूजन होना है और फिर उन्हे मिलना है… वो ये सब इतना ठंडा है, इमोशनलेस और केमिस्ट्री लेस है, कि आप कहेंगे कि असली नेपोटिज्म इसी को कहते हैं।

अर्जुन और पिया के इंटेलिजेंस को दिखाने के चक्कर में इंटरनेशनल डिबेट चैंपियनशिप और स्कॉलरशिप के स्टैंडर्ड को इतना नीचा कर दिया गया है, जितना धर्मा के स्टाइलिश स्कूल से स्टूडेंट ऑफ द ईयर बनकर निकले किसी स्टूडेंट के लिए नहीं किया गया था। सबसे चीप तब लगता है, जब पिया जयसिंह की पार्टी में किराए का सूट पहनकर गए – अर्जुन यानि सैफ अली खान के साहबजादे के चार्म को बताने के लिए स्क्रीनप्ले राइटर ने जबरदस्ती सुनील शेट्टी से लेकर, महिमा चौधरी और दूसरे जूनियर आर्टिस्ट के ज़ुबान से बार-बार – He Is Royalty जोर-जोर से बुलवाया। ऐसे में आपको लगता है कि ये फिल्म इंडस्ट्री वाले – दशकों पहले खत्म हो चुके रॉयल फीवर से अब तक बाहर नहीं निकले हैं।

फिल्म में दिखी घिसी-पिटी कहानी

लोकेशन के नाम पर एक होटल सा दिखने वाला स्कूल, स्टोरी के नाम पर कुछ-कुछ होता है कि मिसेज ब्रिगेंजा, पिया जयसिंह का महल जैसा घर, अर्जुन मेहता का नोएडा का घर, जहां से रिक्शे पर बिठाकर डॉक्टर मेहता, बेटे को लाल किले पर कुल्फी के साथ फालूदा खिलाने पर पहुंच जाते हैं।

इंडिया गेट, लाल किला और हौज खास दिखाने के चक्कर में  ऐसी गलतियां कम से कम दिल्ली-एनसीआर वालों को खूब खटकने वाली हैं। गाना कोई आपको अपनी ओर खींचता नहीं, बस आप ये सोचने रहते हैं, कि नादानिंया को स्टूडेंट ऑफ द ईयर बनाने की कोशिश क्यों चल रही है। और हां दिल्ली-एनसीआर की कहानी दिखाना ही था, तो मनीष मल्होत्रा का स्टोर भी दिखाकर करण जौहर ने अपनी दोस्ती का हक़ पूरा कर दिया है।

इब्राहिम ने नहीं किया इंप्रेस

नादानियां का पूरा प्रोजेक्ट दोस्ती और फैमिली के इर्द-गिर्द नहीं, बल्कि उसी के लिए बुना गया लगता है। इब्राहिम को लॉन्च करने के लिए प्रोजेक्ट में सब साथ आ गए हैं, धर्मा – नेटफ्लिकस, मनीष मल्होत्रा… मगर इब्राहिम फिट लगे हैं, फ्रेम्स डिफोकस करके, बैकग्राउंड ब्लर करके – इब्राहिम को चार्मिंग भी दिखाया गया है। लेकिन एक्टिंग क्लासेस पर मेहनत करा दी जाती, तो ये तैयारी अध-कच्ची नहीं लगती। खुशी ने कोशिश की है, लेकिन स्क्रिप्ट और कैरेक्टर दोनो जैसा लिखा गया है, उसने उनका साथ नहीं दिया है। दिया मिर्ज़ा का काम अच्छा है, सुनील शेट्टी भी इप्रेंसिव लगे हैं…

लेकिन बिलो एवरेज कहानी और स्क्रिप्ट के दाग़ उनके कैरेक्टर भी लगे हैं। महिमा चौधरी का किरदार बहुत ही बुरा लिखा गया है, जुगल हंसराज भी असर नहीं छोड़ पाए हैं। और मिसेज ब्रिंगेजा बनी – अर्चना पूरन सिंह ने ये किरदार दोबारा करके, कुछ-कुछ होता है का नोस्टॉल्जिया हमेशा के लिए खराब कर दिया है। नादानियां को इसलिए देखना चाहिए, कि जब स्टार किड्स को लॉन्च करने के लिए, बिना तैयारी के कोई प्रोजेक्ट बनाया जाता है, तो वो कितना सोल-लेस होता है।

इन ‘नादानियों’ को 1.5 स्टार।

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Edited By

Himanshu Soni

First published on: Mar 07, 2025 01:33 PM

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