आज का दिन सभी मां के नाम है। मदर्स डे के मौके पर क्यों ना लता मंगेशकर के बताए उन किस्सों पर नजर डालें, जिनमें उन्होंने अपनी मां का जिक्र किया था। अक्सर ‘मेलोडी की रानी’ लता मंगेशकर अपने पिता की बातें करती थीं, बेहद कम मौकों पर दिवंगत सिंगर ने अपनी मां को लेकर कोई खुलासा किया होगा। एक बार लता ने जब मां को लेकर खुलकर बात की थी, तो उन्होंने बताया था कि उन्होंने अपनी मां से क्या सीखा है?
लता मंगेशकर पिता को मानती थीं हीरो
लता मंगेशकर ने बताया था कि वो अपने पिता की हीरो वर्शिप करती थीं, लेकिन लोग ये नहीं जानते कि वो अपनी मां से भी उतनी ही अटैच्ड थीं। उनकी और उनके सभी भाई-बहनों की जिंदगियों पर मां का काफी प्रभाव था। पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर को तो लता मंगेशकर ने बेहद ही कम उम्र में खो दिया था। उस वक्त वो सिर्फ 45 साल के थे, ऐसे में लता की पिता के साथ यादें म्यूजिक से ही जुड़ी रहीं। जबकि उनकी मां ने उनकी जिंदगी की डोर थामे रखी थी।
मां से लता मंगेशकर ने ली थी ये पहली सीख
अगर मां न होती तो लता मंगेशकर नहीं जान पातीं कि बाहर जाकर अपनी देखभाल कैसे करनी है, वो भी जब वो सिर्फ 16-17 साल की थीं। उस उम्र में और साल 1940 की बात थी, जब लता मंगेशकर अपनी चप्पलों और 70 रुपये की साड़ी में काम की तलाश में एक रिकॉर्डिंग स्टूडियो से दूसरे रिकॉर्डिंग स्टूडियो तक का सफर तय करती थीं। सिंगर ने अपनी मां से जो पहली बात सीखी थी, वो ये थी कभी भी झूठ मत बोलना, चाहे कुछ भी हो। मां ने उन्हें इसका एक बहुत ही आसान से कारण दिया था। उन्होंने समझाया था-, ‘एक झूठ आपकी जिंदगी को आसान बना सकता है, जब आप वो झूठ बोलते हैं। लेकिन ये टेम्पररी रिलीफ है। लंबे समय तक आपको उस झूठ को याद रखना होगा, जो आपने पहले बोला था और उसे छिपाने के लिए बाद में बोले गए सभी झूठ भी।’
Lata Mangeshkar’s Father Master Dinanath Mangeshkar with wife Shevanti and daughter Asha (on mother’s lap), Lata (to father’s right) and Meena – in Sangli, Maharashtra, 1934. pic.twitter.com/TBw9LATjlG
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लता मंगेशकर को मां ने दिया था जिंदगी का ये अहम ज्ञान
लता पूरी जिंदगी अपनी मां की ‘ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति’ पर कायम रहीं। उनका कहना था सच कुछ लोगों को आहत कर सकता है, लेकिन ये हर किसी की जिंदगी को आसान बनाता है। इसके अलावा उन्होंने अपनी मां से एक और चीज सीखी थी कि भौतिक चीजों की जगह इंसानी रिश्तों को महत्व दो। इसी कारण वो अपने दोस्तों और प्रियजनों को कभी हल्के में नहीं लेती थीं।