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Exclusive: ‘मैं उदास होती थी, तो…’, Manna Dey को खुद से बेहतर मानती थीं Lata Mageshkar

स्वर कोकिला लता मंगेशकर के गाने आज भी उनके होने का अहसास कराते हैं। आज भी लता दीदी के गानों को वैसे ही सुना जाता है, जैसे सालों पहले सुना जाता था। भले ही आज वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके गानों का क्रेज आ भी वैसा ही है।

Author Written By: Subhash K Jha Author Edited By : Nancy Tomar Updated: May 1, 2025 18:12
Lata Mageshkar, Manna Dey
Lata Mageshkar, Manna Dey

हिंदी सिनेमा और म्यूजिक इंडस्ट्री के कई ऐसे कलाकार रहे हैं, जिन्होंने हमेशा ही अपने काम से लोगों के दिलों पर राज किया है। इस लिस्ट में स्वर कोकिला लता मंगेशकर भी आती हैं। भले ही आज लता दीदी हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन उनके गाने उनकी याद बनकर हमेशा लोगों के साथ रहेंगे। इस बीच हम आपको उनसे जुड़ा एक किस्सा बता रहे हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में…

कॉमेडी गाने बहुत कमाल के थे

लता दीदी एक बेहद कमाल की सिंगर थीं और इस बात को बच्चा-बच्चा जानता है। एक बार उन्होंने मन्ना डे के बारे में बात करते हुए कहा था कि ऐसा कुछ भी नहीं था, जो मन्ना दा ना कर सकें। वे अपने क्लासिक गानों के लिए मशहूर थे, लेकिन मुझे उनके कॉमेडी गाने भी बहुत पसंद थे। खास तौर पर पड़ोसन का ‘एक चतुर नार करके श्रृंगार’।

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उदास महसूस करती, तो उन्हीं को सुनती

जब भी मैं उदास महसूस करती थी, तो मैं ‘एक चतुर नार’ में मन्ना दा और किशोर दा को सुनती थी। इस गाने में वे हंसी से लोटपोट कर देने वाले थे। लताजी ने मन्ना डे के साथ अपने कुछ सबसे यादगार गानों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि जब भी मैंने उनके साथ गाया तो मुझे जोश में रहना पड़ा। हमारे कई गाने एक साथ हैं, जैसे- ‘ये रात भीगी-भीगी’ (चोरी चोरी), ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ (श्री 420), ‘सोच के ये गगन झूमे’ (ज्योति)।

Manna Dey

Manna Dey

दो गाने थे चुनौती

इसके अलावा ‘झूमता मौसम’ (उजाला), ‘दिल की ग्यारह खोल दो’ (रात और दिन), ‘धरती अंबर नींद से जगे’ (चैताली) जैसे तमाम गाने हैं, लेकिन ‘ऐसो रे पापी बिछुआ’ (मधुमती) और ‘चुनरी संभाल गोरी’ (बहारों के सपने) गाने मन्ना दा के साथ गाने में मुझे बहुत मजा आया था। मेरे लिए ये दो गाने एक चुनौती थे।लताजी ने बसु भट्टाचार्य की संगत में सलिल चौधरी की बेहतरीन रचनाओं को भी याद किया।

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हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में नहीं मिला वो सम्मान

उन्होंने कहा कि मन्ना दा और मैंने दो बेहतरीन युगल गीत ‘बलमा मोरा आचरा महके रे’ और ‘कान्हा बोले ना’ गाए हैं। हालांकि, इनमें अलग ये था कि मुझे उन्हें इन गीतों में गाना सिखाना था। नाइटिंगेल का मानना ​​है कि मन्ना डे को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में वो सम्मान नहीं मिला जिसके वो हकदार थे। हालांकि, बांग्ला सिनेमा से उन्हें खूब पहचान मिली, लेकिन हिंदी सिनेमा में उन्हें वह सम्मान नहीं मिला जो मिलना चाहिए था। इस बात का मन्ना डे को हमेशा शिकवा रहा।

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First published on: May 01, 2025 03:15 PM

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