Gyaarah Gyaarah Series Review: (Ashwani Kumar) ग्यारह-ग्यारह… नाम जितना अजीब था, ट्रेलर उतना ही ज्यादा दिलचस्प। तो दिलचस्पी जागी कि आखिर ये रात 11 बजकर 11 मिनट पर वक्त के पार जाकर, दो पुलिस ऑफिसर्स – वायरलेस रेडियो फ्रीक्वेसी पर बात करते हैं और सालों पुरानी मर्डर मिस्ट्री सॉल्व करते हैं। कॉन्सेप्ट कमाल का है, और साथ ही सिक्या एंटरटेनमेंट और धर्मा प्रोडक्शन जैसे बैनर्स मिलकर ये सीरीज प्रोड्यूस कर रहे हैं तो और भी इंट्रेस्ट हुआ कि आखिर इस शो में ऐसी क्या खास बात है।
तो सीरीज देखने के पहले रिसर्च करते हुए पता चला कि साल 2000 में आई अमेरिकन साईंस फिक्शन फिल्म – फ्रेक्वेंसी, और फिर उसी फिल्म के कॉन्सेप्ट को लेकर बने – बेहद कामयाब कोरियन शो – सिग्नल का ये इंडियन एडॉप्टेशन है। ये शो इतना कामयाब रहा कि करण जौहर और गुनीत मोंगा जैसे नाम इससे जुड़ गए।
कैसी है सीरीज की कहानी?
8 एपिसोड वाले ग्यारह-ग्यारह की कहानी दरअसल दो पुलिस ऑफिसर्स की कहानी है। 1990 में इंस्पेक्टर शौर्य अंतवाल और 2016 में इंस्पेक्टर युग आर्या मंसूरी में एक बच्ची अदिति तिवारी के किडनैप होने से 15 साल बाद उसके कातिल की तलाश तक की जो कहानी आपने ट्रेलर में देखी, वो सिर्फ 2 एपिसोड में निपट जाती है। और वो आपको ऐसी सस्पेंस और थ्रिल की जर्नी पर लेकर जाती है जहां रात 11 बजकर 11 मिनट पर वॉकी टॉकी पर अचानक सिग्नल आने लगते हैं। ये सिग्नल क्यों आते हैं? अगले 8 एपिसोड में इसके जवाब तो नहीं मिलेगा, लेकिन इन सिग्नल से पास्ट बदल सकता है और जब भूत बदलता है तो वर्तमान और भविष्य भी बदलता है।
पुलिस के काम करने के तरीके, केस को निपटाने की जल्दी के बीच – एक पुलिस ऑफिसर की बेचैनी और गुत्थियों को समझ से सुलझाने की आदत, उन पुराने बंद हुए केसेज के फिर से खुलने की वजह बनती है, जिन्हे – कोल्ड केस कहा जाता है, जिनके सुलझने की उम्मीद खत्म हो चुकी होती है।
ग्यारह-ग्यारह के इन 8 एपिसोड में आपको पास्ट और प्रेजेंट को जोड़ने वाली कड़ी, यानि वॉकी टॉकी के सिग्नल के रीजन का पता भले ही ना चले, लेकिन सच ये है कि रिश्ते, इंतजार, प्यार, नफरत, और जुर्म की उलझी गुत्थियां सुलझाने के बीच, इस सवाल की ओर आप अपना दिमाग लगा भी नहीं पाएंगे।
और इसके लिए आप राइटर्स की टीम – पूजा बनर्जी और सुजॉय शेखर की तारीफ जरूर करेंगे कि उन्होने इमोशन्स के साथ इन्वेस्टीगेशन को इतना बेहतरीन तरीके से गूंथा है कि आपके दिमाग में हर वक्त ये ही चलता रहेगा कि आगे क्या होने वाला है?
उमेश बिस्ट का डायरेक्शन कमाल का है, कॉम्प्लेक्स स्टोरी को उन्होने अच्छे से सुलझाया है। कई पैरेलल ट्रैक पर चल रही स्टोरीज़ को फिसलने नहीं दिया है। मंसुरी की लोकेशन और कुलदीप ममानिया की सिनेमैटोग्राफी दोनों ने पूरे शो के स्केल को बढ़ा दिया है। प्रेरणा सैगल की एडीटिंग कसी हुई है।
कास्टिंग और परफॉरमेंस
ग्यारह-ग्यारह के स्केल को और भी शानदार बनाते हैं। किल के बाद राघव जुयाल को आप इंस्पेक्टर युग आर्या के किरदार में देखकर हैरान हो जाने वाले हैं, कि इतना शानदार एक्टर अब तक कहां था। अपनी इमेज के बिल्कुल उलट, किल के खलनायक वाली इमेज से जुदा, ये बहुत कॉम्प्लेक्स कैरेक्टर भी राघव ने ऐसे निभाया है, कि उनके आप कायल हो जाने वाले हैं। डीएसपी – वामिका के किरदार में कृतिका कामरा का काम भी बहुत शानदार है, हांलाकि फ्लैश बैक वाले सेक्वेंस में कृतिका को 15 साल यंग दिखाने में थोड़ी चूक हुई है। शौर्य अंतवाल बने धैर्य करवा ने भी शो के ग्रॉफ़ को बढ़ाया है। गौतमी कपूर अपने छोटे से रोल में बहुत कमाल लगी हैं, इस शानदार एक्ट्रेस को और देखने की चाहत होती है। बिजेन्द्र काला और हर्ष छाया ने अपनी अदाकारी का लोहा मनवा दिया है। नितेश पांडे ने एस.आई. बलवंत सिंह के किरदार में बेहतरीन परफॉरमेंस दी है।
ग्यारह-ग्यारह की ये कोल्ड केस यूनिट, बिलाशक थोक के भाव रिलीज हो रही वेब सीरीज के बीच – सबसे हॉटेस्ट स्टोरी है।
ZEE5 की ‘ग्यारह ग्यारह’ को को 3.5 स्टार।