Kaalidhar Laapata Review: (By Ashwani Kumar) ओटीटी ना होता, तो क्या होता… ? ‘कालीधर लापता’ जैसी फिल्में बनाने का हौसला ना होता। तमिल डायरेक्टर मधुमिता ने अपनी ही 2019 में बनी तमिल फिल्म KD का हिंदी रीमेक बनाया है। जिसके लिए कुट्टी बने चाइल्ड ऑर्टिस्ट नाग विशाल को बेस्ट चाइल्ड एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला था। KD प्राइम वीडियो पर मौजूद है और अब ‘कालीधर लापता’, जिसे मधुमिता ने ही लिखा और डायरेक्ट किया है, वो ZEE5 पर स्ट्रीम हो रही है। 1 घंटे 49 मिनट की ‘कालीधर लापता’ की कहानी में खोखले रिश्तों का वो दर्द है, जिसमें खून का रिश्ता भले ही हो, लेकिन वो अपने फायदे के लिए उसका इस्तेमाल करने से नहीं चूकते।
कालीधर को मिला परिवार से धोखा
कालीधर जो अपनी पूरी जवानी, छोटे भाई बहनों की परवरिश, शादी और उनके परिवार के लिए दे चुका है…. अधेड़ उम्र में वो भूलने की बीमारी के साथ, एक ऐसे मोड़ पर है जहां उसकी जरूरत परिवार के लिए खत्म हो चुकी है। उसके भाई, उसके घर-जमीन को अपने नाम पर कराकर, किसी भी तरह कालीधर से छुटकारा पाने के लिए बेचैन हैं। बेहोशी की हालत में वो जमीन के कागजों पर उसके अंगूठे का निशान लेकर मारने तक की कोशिश करते हैं। फिर वहां भी नाकामयाब होने के बाद कालीधर को तब के इलाहाबाद और आज के प्रयागराज के कुंभ में छोड़कर चले आते हैं।
अनाथ बच्चा और कालीचरण का रिश्ता जीतेगा दिल
कालीधर की जिंदगी यहां से शुरु होती है और उसे बल्लू मिलता है। 8 साल का बल्लू जो एक अनाथ बच्चा है, जो मंदिर की दीवार पर सोता है, जिंदगी अपनी शर्तों पर जीता है। वो पहले तो कालीचरण को अपने लिए कॉम्पटीशन मानता है और फिर एक ऐसे रिश्ते में बंध जाता है, जिसका कोई नाम नहीं है। बल्लू, कालीचरण को जीना सिखाता है, बिना किसी की परवाह किए… खुद के लिए जीना। रीमेक ही सही, लेकिन ‘कालीधर लापता’ की कहानी में आपको अहसास होता है कि आप जिंदगी जिन वजहों से जीते आए हैं, वो कितने खोखले हैं और खुशी तो बस छोटी-छोटी बातों में मिल जाती है।
फिल्म में नहीं है कुछ भी बनावटी
मधुमिता की लिखी इस कहानी में बिरयानी और बाइक चलाने से लेकर, कूड़े से खिलौने बनाने तक… आपको अपनी ही जिंदगी में झांकने का मौका मिलता है, आप मुस्कुराते हैं। छोटे से बल्लू की बातों में आपको जिंदगी के नए मायने मिलते हैं। कालीधर और बल्लू के साथ टूटे हुए रिश्तों को बस यूं ही जोड़ देने का सलीका भी मिल जाता है। मीरा के साथ कालीधर की कहानी, इस कहानी को एक कमाल का ट्विस्ट देती है। किरदारों से लेकर, कहानी के सेटअप तक…. ‘कालीधर लापता’ में कुछ भी बनावटी नहीं है। सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है और गीत सागर के लिए लिखे गाने, अमित त्रिवेदी के म्यूजिक के साथ और भी खिल जाते हैं। एडीटिंग क्रिस्प है, जो कहानी को कहीं भी ढीला नहीं पड़ने देती।
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कैसी है स्टार्स की परफॉरमेंस?
‘घूमर’, ‘आई वॉन्ट टू टॉक’ और अब ‘कालीधर लापता’ में अभिषेक बच्चन को देखना जैसे एक तजुर्बा है कि बड़ी-बड़ी फिल्मों और बड़ी-बड़ी उम्मीदों के बोझ को उतारकर, इस एक्टर के लिए अमिताभ बच्चन के बेटे का टैग हटाकर, तालियां बजनी चाहिए। कालीधर के रोल में अभिषेक ने खुद को कहीं पीछे छोड़ दिया है। बल्लू बने मास्टर दैविक बघेला ने क्या कमाल का काम किया है कि आप इस नन्हे एक्टर के बड़े फैन हो जाएंगे। मीरा के किरदार में निम्रत कौर का डेब्यू एक सरप्राइज है और निम्रत ने छोटे से स्क्रीन टाइम को भी रौशन कर दिया है। खोया-पाया विभाग के कर्ल्क सुबोध बने जिशान अयूब का काम भी अच्छा है। एक्शन-कॉमेडी और गैंग्स्टर की कहानी से भरे OTT की दुनिया में कुछ इंस्पायरिंग, कुछ अच्छा, कुछ दिल छू लेने वाला और जिंदगी के सबक देखने का मन हो, तो ‘कालीधर लापता’ आपके लिए रिकमेंडेड है।
इस फिल्म को 3.5 स्टार