Rajiv Kapoor Birth Anniversary: हिंदी सिनेमा में कई सितारे ऐसे हैं, जो कुछ ही समय में इंडस्ट्री से गायब हो गए। हालांकि बात अगर कपूर खानदान की हो तो इंडस्ट्री में आज तक इस परिवार का जलवा है।
आज भी फिल्म इंडस्ट्री में कपूर खानदान की अलग पहचान है, लेकिन ये जरुरी तो नहीं कि जो दादा ने कमाया वो पिता कमाएं या जो पिता ने कमाया वो बेटा कमाएं। जी हां, ये हकीकत है और इसे सच साबित कपूर खानदान के चहेते चिराग ने किया है।
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Rajiv Kapoor की बर्थ एनिवर्सरी
सिनेमा के ‘शो मैन’ कहे जाने वाले अभिनेता राज कपूर के तीन बेटे थे, जिसमें रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर। आज, 25 अगस्त को राज कपूर के बेटे राजीव कपूर का जन्मदिन है। राजीव कपूर अपने परिवार का वो चिराग थे, जो कभी नहीं चमक पाएं। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे उन्होंने अपनी ही गलती की वजह से खुद का करियर खराब कर लिया।
राज कपूर ने ‘चिंपू’ रखा था अपने सबसे छोटे लाड़ले का नाम
राजीव कपूर का जन्म मुंबई में हुआ था और राज कपूर ने अपने सबसे छोटे लाड़ले का नाम ‘चिंपू’ रखा था। पिता की तरह बेटे के सपने भी बड़े थे, लेकिन जब चिंपू का पिता ने ही उनका साथ छोड़ दिया तो उन्हें बड़ा झटका लगा। दरअसल, अपने नाम की तरह राजीव कपूर काम के प्रति गंभीर नहीं थे और इसकी वजह से उन्हें अक्सर अपने पिता की नाराजगी का सामना करना पड़ता था।
मैं अपनी थाली में तुम्हारे लिए फिल्म का ऑफर सजाकर लाऊंगा- राज कपूर
चिंपू को नहीं पता था कि उनकी ये लापरवाही उन पर कितनी भारी पड़ सकती है और फिर एक दिन वही हुआ जिसका डर था। चिंपू के पिता यानी राज कपूर ने एक दिन अपने बेटे को बुलाया और कहा कि- ‘इस उम्मीद में मत रहना बेटा चिंपू कि राज कपूर अपनी थाली में तुम्हारे लिए फिल्म का ऑफर सजाकर लाएगा।’
पिता के पास आए चिंपू
इसके बाद साल 1985 में आई फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ सुपरहिट साबित हुई और इस फिल्म ने यास्मीन को मंदाकिनी के नाम से मशहूर कर दिया। इस पर चिंपू अपने पिता के पास आए और कहा कि- एक फिल्म और बना दीजिए और मंदाकिनी जैसा ही फोकस मुझे भी दीजिए, लेकिन राज कपूर ने इसके लिए साफ मना कर दिया और इसके बाद जो हुआ वो होना तो लाजमी था।
बाप और बेटे के बीच नफरत की दीवार
इस घटना के बाद बाप और बेटे के बीच नफरत की दीवार बन गई। हालांकि इसके बाद चिंपू ने एक बार फिर से पिता को कहा कि वो उन्हें उनकी फिल्में दे, लेकिन राज कपूर ने इसके लिए फिर से साफ मना कर दिया और इसका नतीजा ये निकला कि चिंपू अपने पिता से बेहद नाराज हो गए। पिता के प्रति राजीव को इतनी नाराजगी हो गई कि वो अपने पिता के अंतिम संस्कार तक में भी शामिल नहीं हुए।