Dilip Kumar Birth Anniversary: 50 दशक से करियर शुरू करने वाले बॉलीवुड के बादशाह दिलीप कुमार (Dilip Kumar) मे इंडस्ट्री पर पूरे पांच दशक तक राज किया। उन्होंने इंडस्ट्री को कई हिट और सुपरहिट फिल्में दी। उनके अभिनय के आज भी लोग कायल है। उस जमाने में लड़कियां दिलीप कुमार पर जान छिड़कती थी और फिल्मों में उनकी झलक की दीवानी हो जाया करती थी। 50 दशक से करियर शुरू करने वाले बॉलीवुड के बादशाह दिलीप कुमार (Dilip Kumar) मे इंडस्ट्री पर पूरे पांच दशक तक राज किया। उन्होंने इंडस्ट्री को कई हिट और सुपरहिट फिल्में दी। उनके अभिनय के आज भी लोग कायल है।
उस जमाने में लड़कियां दिलीप कुमार पर जान छिड़कती थी और फिल्मों में उनकी झलक की दीवानी हो जाया करती थी। दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर, 1922 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। उस समय पाकिस्तान भारत का हिस्सा हुआ करता था और उस समय देश पर अंग्रेजों की हुकूमत हुआ करती थी। आज दिलीप कुमार की 101वीं बर्थ एनिवर्सरी (Dilip Kumar Birth Anniversary) है।
Dilip Kumar की जिंदगी के कुछ खास पन्ने
आज इस खास मौके पर हम उनके जिंदगी के पन्नों से कुछ राज जानेंगे, जिनके बारे में बेहद ही कम लोग जानते हैं। दिलीप कुमार को बॉलीवुड का “ट्रेजेडी किंग” कहा जाता था, लेकिन इसके पीछे की वजब ज्यादातर लोगों को नहीं पता है। दिलीपल कुमार का असली नाम मुहम्मद युसुफ़ खान (Muhammed Yusuf Khan) था और उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में आने के बाद अपने नाम में बदलाव किया था।
दरअसल, अपने कई दशक लंबे करियर में दिलीप ने कई फिल्मों में काम किया, जिनमें से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने बेहद गंभीर किरदार निभाए, जिसके चलते उनकों “ट्रेजेडी किंग” कहा जाने लगा था। इतना ही नहीं, बताया जाता है कि अपने इन्हीं ट्रैजिक किरदारों के चलेत एक्टर को कुछ समय तक डिप्रेशन की समस्या का भी सामना करना पड़ा था।
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जब Dilip Kumar को जाना पड़ा था जेल
एक और किस्सा उनकी जिंदगी से जुड़ा है, जो उनके फिल्मों में आने से पहले का है। इसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब “दिलीप कुमार – द सब्सटेंस एंड द शैडो” (Dilip Kumar: The Substance and the Shadow) में किया है। दिलीप कुमार ने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत साल 1947 में आई फिल्म ‘जुगनू’ से किया था, लेकिन इससे पहले दिलीप ब्रिटिश आर्मी कैंटीन में काम करते थे। जहां उनके बनाए सैंडविच बेहद मशहूर हुआ करते थे।
अपनी किताब में इस किस्से का जिक्र करते हुए दिलीप ने बताया था, ‘एक बार उन्होंने कैंटीन में एक स्पीच दी थी, जो उन्होंने आजादी के लिए दी थी। इसके बारे में किसी ने पुलिस को बता दिया और उन्होंने मुझे येरवडा जेल भेज दिया। वहां और भी सत्याग्रही बंद थे, जिन्हें “गांधीवाले” कहा जाता था। इसके बाद मैं भी उनके साथ भूख हड़ताल पर बैठ गया। सुबह मेरे पहचान के एक मेजर आए और उन्होंने मुझे जेल से रिहा किया’।