Chhannulal Mishra Death: भारतीय शास्त्रीय संगीत में महारथ हासिल करने वाले सिंगर छन्नूलाल मिश्र अब हमारे बीच इस दुनिया में नहीं रहे हैं. छन्नूलाल ने 91 की उम्र में बनारस में अंतिम सांस ली. बनारस के किराना घराने से ताल्लुक रखने वाले छन्नूलाल मिश्र ठुमरी, खयाल, भजन, कजरी, दादरा और चैती गाने के लिए जाने जाते थे. उनके निधन से संगीत की दुनिया में शौक की लहर दौड़ गई है. छन्नूलाल मिश्र अपनी कला के लिए भारत सरकार से पद्म विभूषण और पद्म भूषण भी हासिल कर चुके हैं. चलिए सिंगर के बारे में डिटेल में जानते हैं.
कहां से मिली संगीत की शिक्षा?
छन्नूलाल मिश्र संगीत जगत की एक जानी-मानी हस्ती थे. महज 6 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत की कला सीखी थी. इसके बाद उनके पहले गुरु उस्ताद गनी अली साहब ने उन्हें संगीत की बारीकियों के बारे में सिखाया. उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में जन्में छन्नूलाल मिश्र ने मुजफ्फरपुर में संगीतिक शिक्षा हासिल की थी. इसके बाद वो बनारस और किराना घराना से जुड़ गए. मशहूर तबला वादक अनोखेलाल मिश्र से भी छन्नूलाल का खास रिश्ता था, वो अनोखेलाल के दामाद थे. बता दें छन्नूलाल का मिर्जापुर से भी खास कनेक्शन रहा था, क्योंकि उनके पिता का पैतृक स्थान मिर्जापुर ही था.
इन अवॉर्ड्स से हो चुके सम्मानित
छन्नूलाल मिश्र अपने करियर में बहुत से अवॉर्ड जीत चुके थे. भारत सरकार ने साल 2010 में सिंगर को पद्मभूषण से सम्मानित किया था. इसके बाद छन्नूलाल को साल 2020 में पद्म विभूषण भी दिया गया. पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे अवॉर्ड्स हासिल करने से पहले छन्नूलाल के नाम संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी था. ये अवॉर्ड उन्हें साल 2000 में मिला था.
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कैसे हुआ निधन?
छन्नूलाल मिश्र काफी लंबे समय से बिमार चल रहे थे. बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में उनका इलाज चल रहा था. उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी नम्रता मिश्र ने दी. इलाज के दौरान डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि छन्नूलाल की चेस्ट में इंफेक्शन और खून की कमी भी थी. अब सिंगर का अंतिम संस्कार बनारस में किया जाएगा.










