Captain Prabhakaran फिल्म अपने री रिलीज पर भी तमिल तहलका मचा रही है। ये री-रिलीज फिल्म के लीड एक्टर दिवंगत अभिनेता और राजनेता रहे विजयकांत की 73वीं बर्थ एनिवर्सरी पर उन्हें ट्रिब्यूट है। आपको बताते हैं की फिल्म में लीड रोल निभाने वाले विजयकांत कौन थे?

कौन थे विजयकांत?
विजयकांत अलगारस्वामी साउथ सिनेमा और राजनीति दोनों ही क्षेत्रों में एक जाना-पहचाना नाम हैं। उनका असली नाम वी. विजयकांत था, लेकिन दर्शकों के बीच वे ‘कैप्टन’ नाम से भी लोकप्रिय रहे। फिल्मों में दमदार एक्शन, स्टाइलिश डायलॉग डिलीवरी और दर्शकों से सीधे जुड़ने की आर्ट ने उन्हें सुपरस्टार बनाया। वहीं आगे चलकर उन्होंने राजनीति में भी अपनी खास जगह बनाने की कोशिश की

जानिए पूरा फिल्मी करियर
विजयकांत ने फिल्म ‘इनिक्कुम इलमई’ से डेब्यू किया। शुरुआती दौर में उनकी पहचान ऐक्शन हीरो की बनी। 80 और 90 के दशक में उन्होंने तमिल सिनेमा को कई हिट फिल्में दीं। उनकी कुछ यादगार फिल्में ‘चथरीयान’, ‘कपूरुषन’, ‘सेंथुरप्परई’, ‘राजा मरुधिरा’, ‘वेडिकट्टु’ हैं। उनकी फिल्में खासकर मास ऑडियंस के बीच बेहद लोकप्रिय रहीं। दर्शकों ने उन्हें “जनता का हीरो” माना। उनकी फिल्मों की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि वे अक्सर सिस्टम से लड़ते आम आदमी के किरदार निभाते थे। यही वजह थी कि वे जनता के हीरो कहलाए। विजयकांत ने करीब 150 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। उनकी इमेज एक ईमानदार, मजबूत और सच्चे हीरो की रही। यही इमेज बाद में राजनीति में उतरते वक्त उनके लिए कारगर साबित हुई।

कैसे आए राजनीति में?
2005 में विजयकांत ने अपनी राजनीतिक पार्टी देशिया मुरपोक्कु द्रविड़ कळगम (DMDK) की स्थापना की। शुरुआत में ही उनकी पार्टी ने तमिलनाडु की राजनीति में हलचल मचा दी। 2006 विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 8.4% वोट शेयर हासिल कर 1 सीट जीती, जो किसी नई पार्टी के लिए बड़ी सफलता मानी गई। 2011 में उनकी पार्टी एआईएडीएमके गठबंधन में शामिल हुई और विधानसभा चुनाव में 29 सीटें जीतने में कामयाब रही। विजयकांत खुद विपक्ष के नेता बने। हालांकि आने वाले सालों में उनकी पार्टी का दबदबा धीरे-धीरे कम होता गया।

जनता से जुड़ाव और लोकप्रियता
विजयकांत की राजनीति और उनकी फिल्मी इमेज एक-दूसरे से जुड़ी रही। जैसे फिल्मों में वे भ्रष्टाचार और अन्याय से लड़ने वाले हीरो बने, वैसे ही राजनीति में भी उन्होंने खुद को आम जनता का सेवक दिखाया। उनकी सीधी-सादी भाषा और दर्शकों से बनाए गए रिश्ते ने उन्हें लंबे समय तक सुर्खियों में रखा।
मनोरंजन से सियासत तक की खास पहचान
विजयकांत का सफर एक बेहतरीन एग्जाम्पल है कि कैसे फिल्मी पर्दे की लोकप्रियता राजनीति में हेल्प कर सकती है। फिल्मों से लेकर विधानसभा तक, उन्होंने दोनों फील्ड में अपने नाम के झंडे गाड़े।