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Breathe Season 2 Review: अभिषेक बच्चन का ओटीटी डेब्यू शानदार, कहानी में भी दिखा दम

Breathe into the Shadow Season 2 Review: साइकोलॉजिकल थ्रिलर्स की ओटीटी पर बाढ़ आई हुई है। जिसमें किरदारों के पीछे की कहानी को, जुर्म के पीछे का मकसद बड़े ही दिलचस्प तरीके से दिखाया जाता है और इन सीरीज़ को खूब पसंद भी किया जा रहा है। ब्रीद के पहले सीज़न से दूसरे सीज़न की […]

Edited By : Ritu Shaw | Updated: Nov 11, 2022 17:34
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Breathe Season 2 Review: अभिषेक बच्चन काओटीटी डेब्यू शानदार, कहानी में भी दिखा दम
Breathe Season 2 Review: अभिषेक बच्चन काओटीटी डेब्यू शानदार, कहानी में भी दिखा दम

Breathe into the Shadow Season 2 Review: साइकोलॉजिकल थ्रिलर्स की ओटीटी पर बाढ़ आई हुई है। जिसमें किरदारों के पीछे की कहानी को, जुर्म के पीछे का मकसद बड़े ही दिलचस्प तरीके से दिखाया जाता है और इन सीरीज़ को खूब पसंद भी किया जा रहा है। ब्रीद के पहले सीज़न से दूसरे सीज़न की कहानी बिल्कुल जुदा थी, लेकिन दूसरा सीज़न और तीसरे सीज़न के तार जुड़े हुए हैं।

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अभिषेक बच्चन का ये ओटीटी डेब्यू भी बेहद शानदार रहा है। ‘ब्रीद इन टू द शैडोज़’ में वो एक ही किरदार की दो अलग-अलग पर्सनैलिटी को ओटीटी स्क्रीन पर प्ले करते आए हैं। अभिषेक बच्चन का ये ओटीटी वर्ज़न, उनके सिनेमाई वर्ज़न से कहीं बेहतर है, जहां उन्हें अपने किरदार को समझने और निभाने का मौका मिलता है। ‘ब्रीद इन टू द शैडोज़’ के दोनों सीज़न्स इस मामले में एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी नहीं, तो किसी से कम भी नहीं।

पहले सीज़न के एंड तक आप अविनाश सबरवाल और उसकी स्प्लिट पर्सनैलिटी जे से वाकिफ़ हो चुके हैं। जे, अविनाश के बचपन के ट्रॉमा से दिमाग़ में पैदा हुआ एक ऐसा शख़्स है, जो अविनाश को भाई मानता है और उसे तकलीफ़ देने वालो को सज़ा देता है। जे, जो अविनाश का ही रूप है, वो उसी की बेटी सिया को कैद में रखकर पहले सीज़न में 5 क़त्ल कर चुका होता है और फिर उसे क्राइम ब्रांच ऑफिसर कबीर अरेस्ट कर लेता है। सेकेंड सीज़न की कहानी एक मेंटल असाइलम से शुरु होती है, जहां तीन साल तक जे, अविनाश के उपर हावी नहीं हुआ है। या फिर जे ने खुद को दुनिया से छिपाकर रखा है, अविनाश के जन्मदिन पर, जब उसकी पत्नी और बेटी उससे मिलने पहुंचती हैं, तो फिर अचानक वो जाग उठता है।

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जे, जिसे मीडिया रावण किलर कहती है, क्योंकि वो रावण के दस चेहरों वाली उन बुराइयों के प्रतीकों को ख़त्म करने पर आमादा है, जिन्होंने अविनाश की ज़िंदगी में उसे चोट पहुंचाई है। विक्टर नामके एक और साइकोलॉजिकल पेशेंट, जो अविनाश की तरह ही ट्रॉमा से बचने के लिए दिमाग़ी ख़्याल में बने एक भाई को खो चुका है, वो जे को अपना भाई मानता है और रावण के 5 और शिकार को ख़त्म करने में उसकी मदद करता है। कबीर और जे के बीच चल रही इस रैट रेस में इस बार अविनाश की पत्नी आभा और जे की दोस्त बनी शर्ली भी शामिल होती हैं और जे उन सबको अपने मकसद तक पहुंचने के लिए सीढ़ी बनाता है।

ब्रीद इन टू शैटोज़ के 8 एपिसोड में पहले हॉस्पिटल से भागना, फिर किरदारों की बैकस्टोरी से उनके बारे में समझाना, थोड़ा खींचा-खींचा सा ज़रूर लगता है। लेकिन ऐसे साइकोलॉजिकल थ्रिलर में पूरा पर्सपेक्टिव पेश करना ज़रूरी होता है। डायरेक्टर मयंक शर्मा ने कहानी को फिसलने नहीं दिया है। 40 से 42 मिनट के ये एपिसोड आपको लंबे भले ही लगे, लेकिन बोर नहीं करते।

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अभिषेक बच्चन, पिछले सीज़न के मुकाबले इस बार ज़्यादा चमके हैं। मिनटों में अविनाश से जे बन जाने का उनका अंदाज़ कमाल का है। विक्टर के रोल में नवीन कस्तुरिया ने कमाल कर दिया है। नित्या मेनन और सियामी खेर ने सीरीज़ में अपना अच्छा असर छोड़ा है।

पहले सीज़न को देख चुके हैं, तो कहानी के क्लाइमेक्स तक पहुंचने के लिए सेकेंड सीज़न को देखना तो ज़रूरी है और जिन्होंने ब्रीद इन टू शैडोज़ का पहला सीज़न नहीं देखा, उनके लिए ये साइकोलॉजिकल थ्रिलर हमारी रिकमेंडेशन है।

Ashwani kumar: ब्रीद इन टू शैडोज़ 2 को 3 स्टार।

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Written By

Ritu Shaw

First published on: Nov 11, 2022 04:51 PM

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