B. R. Chopra Birth Anniversary: बॉलीवुड की मशहूर फिल्म-निर्माण संस्था बीआर फिल्मस के संस्थापक बीआर चोपड़ा आज हमारे बीच नहीं हैं। मगर उनकी संस्था द्वारा फिल्मों और टीवी धारवाहिकों का निर्माण सतत् जारी है। अपने जीवन में कार्य को सर्वोपरि मानने वाले चोपड़ा साहब जब तक जीवित रहे सक्रिय और कर्मशील बने रहे। वे कहते भी थे कि उनके जीवन का पहला और आखिरी उद्देशय सिर्फ फिल्म निर्माण है और यही काम करते हुए उनकी मौत हो और वास्तव में ऐसा हुआ भी।
यहां पेश है बीआर चोपड़ा के कुछ ऐसी ही विचार, जो उन्होंने अपने निधन के कुछ दिन पूर्व एक साक्षात्कार के दौरान व्यक्त किए थे।
‘सिनेमा मेरे लिए वह वाहन या माध्यम है, जिसके लिए मैं स्क्रिप्ट के मृत शब्दों को फिल्म के फ्रेम में जिंदा करता हूं। अन्य कुछ वह है, जिसे मैने अचेतन या अवचेतन में ग्रहण किया है। एक पत्रकार और प्रशिक्षु होने के नाते एक अच्छी फिल्म मेरे लिए लाइब्रेरी की तरह है, जिसके हर पहलू को मैं आलोचक की नजर से देखता हूं, लेकिन मैं फिल्म को इस नजर से कभी नहीं देखता कि फिल्म का अमुक अच्छा शॉट किस ढंग से फिल्माया गया है।
फेवरिट कौन?
मेरे फेवरिट तो खुद बीआर चोपड़ा ही हैं, जो 85 वर्ष की उम्र में भी फिल्में बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है। फिल्म निर्माण को मैं एंजॉय करता हूं। हर बार मैं खुद को उन्नत करने की कोशिश करता हूं। मैं कभी भी संतुष्ट होकर नहीं कह सकता कि यह मेरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हैं क्योंकि ऐसा सोचते ही विकास की संभावनाएं खत्म हो जाती है।
जिसने सर्वाधिक प्रभावित किया?
तकनीशियन के रूप में मेरे करियर को सिर्फ एक व्यक्ति ने प्रभावित किया है, वह है दादा मुनि अशोक कुमार। इसे मैं ढंग से स्पष्ट नहीं कर सकता, लेकिन हम दोनों से अपने करियर की शुरुआत एक साथ की थी। दादा मुनि कहते थे कि उन्हें मेरा स्टाइल अच्छा लगता था, जो कि मैं आज तक नहीं समझ पाया कि वह स्टाइल क्या है।
छोड़े पर्दे और बड़े पर्दे में फर्क?
जहां तक छोड़े पर्दे और बड़े पर्दे में फर्क का सवाल है, तो छोटा पर्दा निगेटिव तो बड़ा कॉन्टेक्ट प्रिंट कहा जा सकता है। इसमें कैमरे की मोमेंट सीमित होती है, लेकिन प्रभाव ज्यादा होना जरूरी है। जबकि सिनेमा के पर्दे को जिदंगी से भी बड़ा कहा जा सकता है। जहां तक टीवी धारावाहिकों में व्यस्त होने का सवाल है, तो मेरा मानना है कि समय का फायदा उठाना चाहिए और खुद को उनके अनुसार बदलना चाहिए। वैसे भी बीआर वीडियो का जन्म दशकों पहले हो चुका था। हमने 70 के दशक कई सफल वीडियो फिल्में बनाई थीं। इसके अलावा बहुत से धारावाहिक भी बनाए हैं।
हमेशा फिल्में बनाता रहूं
मैं मानता हूं कि पिछले कुछ सालों से हम टीवी धारावाहिकों में ही व्यस्त होकर रह गए थे और उतनी फीचर फिल्में नहीं बना पा रहे थे, जितनी पहले बनाया करते थे। लेकिन अब मैंने अपने बेटे रवि से कह दिया कि हमें फिर से अपनी जड़ यानि फीचर फिल्मों की ओर लौटना चाहिए। मेरी भगवान से यही प्रार्थना है कि मेरी मौत काम करते हुए हो और मैं हमेशा फिल्में बनाता रहूं।’
बता दें कि हिंदी सिनेमा जगत के महान फिल्मकारों में से एक बी आर चोपड़ा का जन्म 22 अप्रैल 1914 पंजाब के राहों में हुआ था। उन्होंने अपने करियर में एक से एक फिल्मों का निर्माण किया। चोपड़ा ने महाभारत के साथ टेलीविजन में कदम रखा, जो भारतीय टेलीविजन इतिहास में 92% दर्शकों के रिकॉर्ड के साथ सबसे सफल टीवी धारावाहिक बन गया। इसमें नीतीश भारद्वाज ने कृष्ण की भूमिका निभाई और मुकेश खन्ना ने भीष्म पितामह की भूमिका निभाई। इसके अलावा बहादुर शाह जफर, कानून (1993), आप बीती, विष्णु पुराण (2000) और मां शक्ति पर टीवी श्रृंखला का भी निर्माण किया। चोपड़ा ने 2000 के बाद बागवान, बाबुल और भूतनाथ जैसी फिल्मों का निर्माण भी किया। चोपड़ा का 5 नवम्बर को मुंबई में 94 साल की उम्र में निधन हो गया।
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