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Holi 2025: अमिताभ के गाने ‘रंग बरसे’ के पीछे क्या कहानी? 44 साल बाद भी इसके बिना होली अधूरी

Holi 2025: होली का त्योहार अपने साथ हर बार लेकर आता है खुशियों के ढेर सारे रंग और मस्ती। इसी के साथ ही हर साल याद आता है अमिताभ बच्चन और रेखा का गाना रंग बरसे। इस गाने के पीछे की कहानी आखिर क्या है, चलिए आपको बताते हैं।

Author Edited By : Himanshu Soni Updated: Mar 12, 2025 14:14
Holi 2025
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Holi 2025: होली का त्योहार आते ही चारों ओर रंगों की बहार छा जाती है। मस्ती, गुलाल, गुझिया और नाच-गाने के बिना ये पर्व अधूरा लगता है। खासकर बॉलीवुड के सदाबहार होली गीत इस त्योहार की रौनक को दोगुना कर देते हैं। इनमें से एक ऐसा गाना है, जो हर साल होली पर बजता है और लोगों को झूमने पर मजबूर कर देता है- ‘रंग बरसे भीगे चुनर वाली’। ये गीत केवल एक गाना भर नहीं है, बल्कि ये भारतीय संस्कृति, परंपरा और संगीत की एक अनमोल धरोहर है।

कैसे बना ‘रंग बरसे’?

फिल्म ‘सिलसिला’ का ये गाना आज भी हर पीढ़ी के दिल के करीब है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस गाने की जड़ें 15वीं सदी के भजनों से जुड़ी हुई हैं? ‘रंग बरसे’ असल में एक पारंपरिक भजन से प्रेरित था, जिसे समय के साथ ढालकर फिल्मी गीत का रूप दिया गया।

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इस गाने के बोल फेमस कवि डॉ. हरिवंश राय बच्चन ने लिखे थे, जो अमिताभ बच्चन के पिता थे। उन्होंने इस गाने में भारतीय लोकगीतों की मिठास को बरकरार रखते हुए इसे एक नया अंदाज दिया। वहीं, संगीतकार जोड़ी शिव-हरि (शिवकुमार शर्मा और हरि प्रसाद चौरसिया) ने इसे अपने सुरों से सजाया।

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देबज्योति मिश्रा का दिलचस्प किस्सा

प्रसिद्ध संगीतकार देबज्योति मिश्रा ने इस गाने से जुड़ी एक रोचक कहानी शेयर की थी। उन्होंने बताया कि कोलकाता के टॉलीगंज इलाके में, जहां वो रहते थे, वहां गैर-बंगाली समुदाय होली के मौके पर पारंपरिक भजन गाया करते थे। जब उन्होंने ‘रंग बरसे’ पहली बार सुना, तो उन्हें ये भजन की धुन से मेल खाता लगा। बाद में, जब उन्होंने फिल्म ‘सिलसिला’ में इसे देखा, तो वो हैरान रह गए कि कैसे इस पारंपरिक धुन को खूबसूरती से फिल्मी रूप दिया गया था।

क्यों है ये गाना इतना खास?

‘रंग बरसे’ सिर्फ एक फिल्मी गाना नहीं है, बल्कि ये भारतीय लोकसंस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। अमिताभ बच्चन की दमदार आवाज़ और उनकी ऑन-स्क्रीन एनर्जी ने इस गाने को और भी यादगार बना दिया। रेखा और जया बच्चन के साथ उनकी केमिस्ट्री ने इस गाने को सिनेमाई इतिहास का एक यादगार दृश्य बना दिया।

इसके बोल सीधे दिल तक पहुंचते हैं और संगीत सुनते ही मन झूम उठता है। यही वजह है कि ये गाना दशकों से होली का पर्याय बना हुआ है। चाहे कोई भी पीढ़ी हो, ‘रंग बरसे’ बजते ही लोग अपने कदम थिरकाने से खुद को रोक नहीं पाते।

गाने की लोकप्रियता आज भी बरकरार

वक्त बदला, संगीत के ट्रेंड बदले, लेकिन ‘रंग बरसे’ की लोकप्रियता आज भी वैसी ही बनी हुई है। बॉलीवुड में समय-समय पर कई होली सॉन्ग्स बनाए गए, लेकिन ये गाना हर बार सबसे ऊपर रहता है। यहां तक कि होली पार्टी हो या फिर दोस्तों का मिलन, जब तक ‘रंग बरसे’ नहीं बजता, तब तक रंगों का यह त्योहार अधूरा लगता है।

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Edited By

Himanshu Soni

First published on: Mar 12, 2025 02:14 PM

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