गिप्पी ग्रेवाल की हाल ही में रिलीज हुई मच अवेटेड फिल्म ‘अकाल: द अनकॉन्क्वेर्ड’ इन दिनों विवादों के घेरे में आ गई है। फिल्म ने जहां एक ओर पंजाबी दर्शकों के बीच उत्सुकता जगाई, वहीं दूसरी ओर सिख संगठनों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। फिल्म की कहानी भले ही बहादुर सिख योद्धाओं पर आधारित है, लेकिन इसमें कुछ ऐसे दृश्य हैं, जिन्होंने सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। क्या है पूरा मामला, चलिए आपको बताते हैं।
फिल्म पर भावनाएं आहत करने का आरोप
फिल्म के विरोध में सबसे मुखर आवाज बनी है बाबा बख्शीश सिंह की, जिन्हें हाल ही में पटियाला पुलिस ने हिरासत में ले लिया। बाबा बख्शीश सिंह और उनकी समिति का आरोप है कि फिल्म में सिख किरदारों को गलत तरीके से दिखाया गया है। उनका कहना है कि सिख योद्धाओं को शराब पीते, तंबाकू खाते या मुंडित रूप में दिखाया गया है, जो सिख परंपराओं और मर्यादा के खिलाफ है।
बाबा बख्शीश सिंह ने फिल्म के निर्माताओं को पहले ही 150 से ज्यादा पत्र लिखकर चेताया था कि सिख इतिहास और उनके प्रतीकों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत न किया जाए, लेकिन इसके बावजूद फिल्म को विवादास्पद दृश्य समेत रिलीज किया गया। उन्होंने ये भी कहा कि अगर ये फिल्म सिख योद्धा हरि सिंह नलुआ या जस्सा सिंह आहलूवालिया पर आधारित है, तो उनके किरदारों को पूरी श्रद्धा और गरिमा के साथ दिखाया जाना चाहिए।
क्या है फिल्म पर आरोप?
संगठनों का आरोप है कि फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे फिल्मकारों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो सिख पहचान को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। बाबा बख्शीश सिंह ने ये भी आशंका जताई कि जैसे हिंदू देवी-देवताओं को फिल्मों में विवादित ढंग से प्रस्तुत किया गया, उसी राह पर अब सिख इतिहास को भी धकेला जा रहा है।
‘अकाल: द अनकॉन्क्वेर्ड’ को गिप्पी ग्रेवाल ने डायरेक्ट किया है और वो ही इसमें मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म के निर्माता करण जौहर हैं और इसमें निमरत खैरा और गुरप्रीत घुग्गी जैसे कलाकार भी शामिल हैं। फिल्म 1840 के दशक के पंजाब की कहानी है, जिसमें सरदार अकाल सिंह और उनके गांव की जंग और सम्मान की लड़ाई को दर्शाया गया है।
फिल्म ने तीन फिल्मों को किया पीछे
जहां एक ओर फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और प्रस्तुति की तारीफ हो रही है, वहीं दूसरी ओर इसका बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन कमजोर रहा। पहले दिन फिल्म ने महज 85 लाख रुपये का कलेक्शन किया, जो अपेक्षाओं से काफी कम था। हालांकि, ये फिल्म ‘मित्रां दा ना चालदा’, ‘मां’ और ‘मौजां ही मौजां’ जैसी पंजाबी फिल्मों से ज्यादा कमाई करने में सफल रही है।
फिल्म का हिंदी संस्करण खास प्रचार न मिलने की वजह से दर्शकों तक पहुंच नहीं सका। साथ ही सनी देओल की ‘जाट’ और अजीत कुमार की ‘गुड बैड अग्ली’ से टक्कर के चलते फिल्म को नुकसान उठाना पड़ा।
अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये फिल्म आने वाले दिनों में विरोध की लहर को पार कर बॉक्स ऑफिस पर अपनी पकड़ बना पाएगी या फिर ये विवादों में ही गुम होकर रह जाएगी।
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