(Navin Singh Bhardwaj): एक्टर विक्रांत मैसी फिलहाल अपने फिल्म एक्सपेरिमेंट्स के जरिए लोगों को चौंका रहे हैं। बीते साल रिलीज हुई उनकी फिल्में ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’, ‘सेक्टर 36’ और ‘द साबरमती रिपोर्ट्स’ भले ही उतना सक्सेसफुल नहीं रहीं लेकिन 12th फेल एक्टर अपनी ऑडियंस की जेहन में जरूर बने रहे। आने वाली फिल्में जैसे ‘अर्जुन उस्तरा’, ‘यार जिगर’ या ‘श्री श्री रवि शंकर’ की बायोपिक ये देखकर जरूर लगता है कि विक्रांत का शेड्यूल थोड़ा बिजी चल रहा है। वैसे आपको बता दें कि आज विक्रांत मैसी की एक और फिल्म रिलीज हुई है ‘आंखों की गुस्ताखियां। इस फिल्म में विक्रांत के साथ डेब्यू करती नजर आ रही हैं, एक्टर संजय कपूर की बेटी शनाया कपूर। बीते दिनों फिल्म के प्रमोशंस के दौरान विक्रांत अपनी को-स्टार शनाया और उनके फिल्म में किए काम की काफी तारीफ करते नजर आए। पर आखिर कैसी है विक्रांत और शनाया की ये फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ उसके लिए पढ़िए News24 का रिव्यू…
क्या है ‘आंखों की गुस्ताखियां’ की कहानी?
कहानी की शुरुआत मसूरी की एक ट्रेन से होती है, जहां सबा (शनाया कपूर) अपनी आंखों पर पट्टी बंध कर बैठी हैं। सबा ने आंखों पर पट्टी इसलिए बांध रखी है क्योंकि पेशे से सबा एक एक्ट्रेस हैं और ऑडिशन में सिलेक्ट होने के लिए एक किरदार में ढलना चाहती हैं, जो किरदार दिव्यांग (अंधा) है। कैरेक्टर में ढलने के लिए सबा इसकी तैयारी में आंखों पर पट्टी बांधकर रखती हैं। ट्रेन में सबा की मुलाकात जहान (विक्रांत मैसी) से होती है। दोनों में खूब बातचीत होती है लेकिन जहान, सबा को ये नहीं बताता है कि असल जिंदगी में वो देख नहीं सकता और दिव्यांग (अंधा) है। धीरे-धीरे कहानी आगे बढ़ती है और सबा को मसूरी में कोई होटल नहीं मिलता इसलिए वो जहान के साथ कुछ दिन रहती है। चूंकि सबा बी आंखों पर पट्टी बंधी होती है इसलिए वो कभी नहीं जान पाती की जहान असल जिंदगी में देख नहीं सकता। इस दौरान दोनों धीरे-धीरे करीब आते हैं और सच्चाई ना बता पाने के कारण जहान, सबा को बिना बताए छोड़ कर चला जाता है। कहानी 3 साल बाद फिर मोड़ लेती है। सबा अब अभिनव (जैन खान दुर्रानी) के साथ यूरोप में लिव-इन में रहती है। अभिनव, सबा को प्रपोज करने वाला होता है। सबा के थिएटर प्ले के लिए एक पायनोनिस्ट की जरूरत पड़ती है और सबा की मैनेजर जहान को रख लेती है। इधर काम के सिलसिले में जहान अपना नाम बदल कर कबीर (विक्रांत मैसी) कर लेता है, पर जहान के म्यूजिक और आवाज को सबा पकड़ लेती है जिसके बाद कबीर खुद सबा को बता देता है कि वो ही जहान है। इधर अभिनव को सारी बात पता चलती है कि जहान अब सबा की लाइफ में वापस आ गया है, जिससे वो खुश नहीं दिखता है। तो क्या अभिनव फिर मिले सबा और जहान के बीच आएगा या सबा और जहान फाइनली एक हो जाएंगे? इसके लिए आपको अपने नजदीकी सिनेमाघर का रुख करना होगा।
View this post on Instagram---विज्ञापन---
डायरेक्टर राइटिंग और म्यूजिक
‘आंखों की गुस्ताखियां’ को डायरेक्टर संतोष सिंह ने डायरेक्ट किया है। संतोष सिंह इससे पहले विक्रांत मैसी की पॉपुलर वेब सीरीज ‘ब्रोकन बट ब्यूटीफुल’ को भी डायरेक्ट कर चुके हैं। फिल्म को मानसी पारेख ने लिखा है। ये फिल्म भारत के प्रसिद्ध नॉवेलिस्ट पद्मश्री रस्किन बांड की किताब ‘द आइज हैव इट बाई’ पर बेस्ड है। लेखन के मामले में मानसी ने फिल्म को बहुत खींचा है। जरूरत से ज्यादा डायलॉग्स और मोनोलॉग भर-भर के डाले हैं, जो बोर करने लग जाता है। प्यार की परिभाषा को एक अलग तरीके से दिखाने के चक्कर में मानसी ने फिल्म को शॉर्ट और क्रिस्प रखने के बजाए लंबा खींच दिया है। डायरेक्टर के मामले में संतोष ने ठीक-ठाक काम किया है। लंबी स्क्रिप्ट और डायलॉग डिलीवरी के चलते ये असर उनके डायरेक्शन पर भी प्रभाव डालता है। फिल्म में कई जगह लूप-होल्स भी है, जो साफ पता चलता है। जैसे- ‘अगर सबा को मालूम ही नहीं है कि जहान देख नहीं सकता तो फिर एक गाने के शॉर्ट में वो उसके वॉकिंग स्टिक के साथ क्यों डांस कर रही है? क्या सबा को समझ में नहीं आया को वो छड़ी क्यों है आखिर?’ इस तरह के कई लूप-होल्स फिल्म जगह-जगह देखने को मिले हैं। फिल्म में म्यूजिक विशाल मिश्रा ने और बैकग्राउंड स्कोर जोएल जो क्रस्टो ने दिया है। विशाल के गाने याद नहीं रह पाएंगे लेकिन जोएल ने बैकग्राउंड स्कोर ठीक-ठाक दिया है। ओवरऑल दोनों ने ठीक काम किया है।
यह भी पढ़ें: Maalik X Review: ‘मालिक’ बनकर आए Rajkumar Rao क्या दर्शकों को कर पाए इम्प्रेस? देखें रिएक्शन
एक्टिंग
इस फिल्म के जरिए शनाया कपूर फिल्म इंडस्ट्री में अपने कदम रख रही हैं। पहली फिल्म के हिसाब से शनाया का परफॉरमेंस एवरेज रहा लेकिन ये जरूर कहा जा सकता है कि फिलहाल फिल्म इंडस्ट्री में कर रहे डेब्यूटेंट्स के मुताबिक, शनाया ने बहुत अच्छा काम किया है। शनाया और विक्रांत की केमिस्ट्री बड़े पर्दे पर नजर नहीं आई। विक्रांत मैसी से थोड़ी ज्यादा उम्मीद थी, पर लंबी और बोरिंग स्क्रिप्ट का असर उनकी एक्टिंग पर भी पड़ा। बाकी के कलाकार जैसे जैन खान दुर्रानी, फिल्म में कहीं-कहीं ओवरएक्टिंग करते दिखे।
फाइनल वर्डिक्ट
फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ से उम्मीद थी लेकिन हताशा मिली। अगर आप इस वीक रोमांटिक-ड्रामा देखना चाहते हैं तो ये फिल्म देखी जा सकती है।