UPSC Success Story: UPSC सिविल सेवा परीक्षा (CSE) पास करना बहुत मुश्किल माना जाता है। जिसके लिए हर साल लाखों छात्र दिन रात मेहनत करते हैं। जिनमें से कई को एक-दो बार में ही सफलता मिल जाती है, तो कई 10 बार भी फेल होते हैं। जहां एक तरफ मिल रही असफलताओं की वजह से कुछ छात्र पास होने की उम्मीद छोड़ देते हैं, तो दूसरी तरफ कुछ छात्रों को असफलताएं तोड़ नहीं पाती हैं। ऐसी ही कहानी IAS अवनीश शरण की है, जिन्होंने लगातार मिल रही नाकामी के बावजूद भी जीतने की चाह नहीं छोड़ी। जानिए अवनीश शरण की सफलता की कहानी।
अवनीश शरण कौन?
अवनीश शरण बिहार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा सरकारी स्कूल में पूरी की। वह पढ़ाई-लिखाई में औसत दर्जे के छात्र थे। जिनको 10वीं क्लास में केवल 44.7% नंबर ही मिले थे। इसके बाद उन्हें 12वीं क्लास में 65% नंबर मिले, जिसके साथ उनका पढ़ाई में प्रदर्शन पहले से बेहतर हुआ। ग्रेजुएशन में 60 % नंबर मिले। उनको पता था कि वह एक औसत दर्जे के छात्र हैं, लेकिन फिर भी उनको UPSC पास करने के बाद IAS अधिकारी बनना था।
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10 बार हुए नाकाम
अवनीश शरण ने यूपीएससी द्वारा आयोजित किए जाने वाले एग्जाम संयुक्त रक्षा सेवा (CDS) और केंद्रीय पुलिस बल (CPF) भी दिए, जिसमें वह पास नहीं हो पाए। इसके अलावा, अवनीश राज्य PCS प्रीलिम्स में 10 बार असफल हुए। इसके बाद भी उन्होंने अपनी मेहनत जारी रखी और UPSC सिविल सेवा परीक्षा के पहले प्रयास में वह इंटरव्यू राउंड तक पहुंच गए। लेकिन उनको अभी और मेहनत करनी थी, क्योंकि वह इस राउंड को क्लियर नहीं कर पाए थे। हालांकि, दूसरी बार में उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 77 के साथ सफलता हासिल की। अवनीश 2009 में IAS अधिकारी बने, जिसके बाद वह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में अपनी सेवा दे रहे हैं।
कलेक्टर @AwanishSharan ने गणतंत्र दिवस पर कम्पोजिट बिल्डिंग एवं कलेक्टोरेट में तिरंगा फहराया। अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा राष्ट्रगान गाया गया। कलेक्टोरेट परिसर में स्थापित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति पर कलेक्टर ने माल्यार्पण कर नमन किया। #Bilaspur pic.twitter.com/sCtP33eIdg
— Bilaspur (@BilaspurDist) January 26, 2025
अवनीश की कहानी उन लोगों के लिए एक सबक है, जो अपने बच्चों पर अच्छे नंबर लाने के लिए जोर डालते हैं। आमतौर पर लोगों को लगता है कि जो स्कूल-कॉलेज में अच्छे नंबर ला रहा है, वही कामयाब होगा। लेकिन कई प्रतिभाएं ऐसी होती हैं, जिनके आगे कम नंबर बाधा नहीं बनते हैं। इससे किसी छात्र की क्षमता को पूरी तरह से नहीं आंका जा सकता है।
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