Four Crore Indian Students Will Become Role Models: देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के चार करोड़ छात्र अंगदान जागरुकता के रोल मॉडल बनेंगे। युवा अंगदान की शपथ के साथ आम लोगों को जोड़ने और उनकी भ्रांतियां दूर करने में मदद करेंगे। यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को अंगदान की शपथ को लेकर पत्र लिखा है।
युवाओं में अंगदान की शपथ से सामाजिक जिम्मेदारी और करुणा की भावना भी जागृत होगी। इसके अलावा सेमिनार, वर्कशाप के माध्यम से छात्रों को अंगदान की नैतिक, चिकित्सा, सामाजिक आयामों की जानकारी भी दी जाएगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर ने बताया कि देश में रोगियों की संख्या की तुलना में प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध अंगों की भारी कमी है, जिसके परिणामस्वरूप मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है।
अंगदान को सबसे बड़ा दान माना गया है। वहीं अंगदान की कमी के कारण कई मरीज जिंदगी की जंग हार जाते हैं। इसलिए 18 से 30 आयु वर्ग के उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों के माध्यम से अंगदान की कमी को दूर करने का फैसला लिया गया है जिससे वे अपने घर, पड़ोस और आसपास के लोगों की भ्रांतियां दूर करते हुए जागरूक कर सकें। सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से आग्रह किया गया है कि वे छात्रों से अंगदान की शपथ पत्र भरवाते हुए उनसे जागरूकता की अपील करें।
एक व्यक्ति आठ को जीवनदान दे सकता है
एक व्यक्ति, अपनी मृत्यु के बाद, महत्वपूर्ण अंगों, अर्थात गुर्दे,अग्न्याशय, यकृत, फेफड़े, हृदय, और आंत को दान करके आठ लोगों को नया जीवन दे सकता है। इसके अलावा कॉर्निया, त्वचा, हड्डी जैसे ऊत्तकों को दान करके कई लोगों के जीवन को बेहतर बना सकता है।
कोविड के बाद फेफड़ों के प्रत्यारोपण की बढ़ी मांग
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक, हर साल दो लाख नए रोगियों को किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है, जिसके लिए केवल 12,000 किडनी ही उपलब्ध हो पाती हैं। इसी तरह, 40,000-50,000 लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता के लिए, केवल 4,000 उपलब्ध हैं। वहीं, कुल 50,000 हृदय प्रत्यारोपण के लिए, केवल लगभग 250 ही किए जाते हैं।