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Trade War: यूएस-चीन की लड़ाई में क्या भारत को मिलेगी मलाई? समझिए नफा-नुकसान का पूरा गणित

Donald Trump Tariffs: अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर शुरू हो गई है। अमेरिका के टैरिफ के जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया है।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Feb 5, 2025 16:21
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US-China Trade War: क्या अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर भारत के लिए एक मौका है चीनी उत्पादों को ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों से रिप्लेस करने का? क्या अमेरिका द्वारा चीनी आयात पर लगाए गए हाई टैरिफ के कारण होने वाले ट्रेड डायवर्सन से भारत को लाभ होगा? क्या दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच टैरिफ युद्ध भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभरने और देश में अधिक रोजगार सृजित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा?

एक-दूसरे पर लगाए टैरिफ

ऐसे समय में जब भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती है। ट्रेड वॉर भारत को एक अभूतपूर्व अवसर प्रदान कर सकती है। सभी की निगाहें भारत पर टिकी हैं कि इस घटनाक्रम पर वह कैसी प्रतिक्रिया देता है और इस मौके का कैसे लाभ उठाता है। अमेरिका द्वारा सभी चीनी वस्तुओं पर 10% टैरिफ लगाए जाने के बाद, बीजिंग ने भी अमेरिकी आयात पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। चीन ने पेट्रोलियम और एलएनजी पर 15% और अमेरिका से आने वाले कच्चे तेल, कृषि उपकरण, पिक-अप ट्रक और बड़े इंजन वाले वाहनों पर 10% टैरिफ लगाया है। इसके साथ ही उसने अमेरिकी कंपनी गूगल के कथित एंटी-ट्रस्ट उल्लंघनों की जांच का भी आदेश दिया है। उसने बैटरी और सेमीकंडक्टर उत्पादों में बढ़त से अमेरिका को वंचित करने के लिए लिथियम और टंगस्टन के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

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भारत के लिए फायदे की बात

यह पहली बार नहीं है जब वॉशिंगटन और बीजिंग ट्रेड वॉर में उलझे हैं। 2016 में पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने इसी तरह के कदम उठाए थे और चीनी वस्तुओं पर टैरिफ लगाया था। बीजिंग ने भी इसका जवाब दिया था। उस समय अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के परिणामस्वरूप हुए ट्रेड डायवर्सन का भारत चौथा सबसे बड़ा लाभार्थी था। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स ने अपने अध्ययन में पाया है कि यूएस ट्रेड रीरूटिंग भारत के लिए फायदेमंद रही है। खासकर बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में, क्योंकि 2017 के बाद से चीन की हिस्सेदारी 19 प्रतिशत अंकों तक गिर गई है।

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इलेक्ट्रॉनिक हब बन सकता है भारत?

भारत से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक सामानों में मोबाइल फोन, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट, कंप्यूटर हार्डवेयर और मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। 2017 में यूएस-चीन ट्रेड वॉर शुरू होने के बाद दिग्गज अमेरिकी कंपनी Apple ने अपने iPhone उत्पादन के लिए भारत को मैन्युफैक्चरिंग बेस के रूप में चुना था। 2023 में सभी इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में इसका लगभग दो-तिहाई हिस्सा था। 2017 से अमेरिका के इलेक्ट्रॉनिक्स आयात में भारत की हिस्सेदारी दस गुना बढ़ गई है और 2.1% तक पहुंच गई है।

अमेरिका-भारत व्यापार घाटा

अमेरिका को अन्य महत्वपूर्ण निर्यातों में दवा उत्पाद, कपड़ा, रसायन, कीमती धातुएं, रत्न और आभूषण, मशीनरी, मसाले और चाय शामिल हैं। डोनाल्ड ट्रंप ट्रेड डेफिसिट यानी व्यापार घाटे को लेकर भारत से नाराज हैं। 2022-23 में वॉशिंगटन का भारत के साथ व्यापार घाटा 45.7 अरब डॉलर था। यह 2023-24 में बढ़कर 36.8 अरब डॉलर हो गया। 2023 में अमेरिका-भारत द्विपक्षीय व्यापार 190 अरब डॉलर को पार कर गया था। विश्लेषकों का मानना ​​है कि कुछ हद तक अमेरिकी दबाव में भारत ने आम बजट 2025-26 में अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ घटाया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सीसा, जस्ता, कोबाल्ट पाउडर और 12 अन्य खनिजों पर टैरिफ में कटौती की है। ये खनिज भारत-अमेरिका द्विपक्षीय साझेदारी का हिस्सा हैं।

इन पर भी कम हुई ड्यूटी

वित्त मंत्री ने सैटेलाइट ग्राउंड इंस्टॉलेशन पर इम्पोर्ट ड्यूटी को समाप्त कर दिया है, जिससे अमेरिकी निर्यातकों को लाभ होगा। क्योंकि भारत ने 2023 में 92 मिलियन डॉलर मूल्य के इन सामानों का आयात किया था। भारत ने सिंथेटिक फ्लेवरिंग एसेंस पर टैरिफ को 100% से घटाकर 20% कर दिया है। उसने 2024 में 21 मिलियन डॉलर मूल्य के इन सामानों का आयात किया था। इसी तरह, भारत ने एक्वेटिक फीड के लिए फिश Hydrolysate पर ड्यूटी को 15% से घटाकर 5% कर दिया है। नई दिल्ली ने पिछले साल 35 मिलियन डॉलर मूल्य के इस उत्पाद का आयात किया था। सीतारमण ने चुनिंदा वेस्ट और स्क्रैप आइटम्स से भी टैरिफ हटा दिया। यह एक ऐसी कैटेगरी है जिसमें 2024 में अमेरिकी निर्यात 2.5 अरब डॉलर था।

क्या भारत को रियायत देंगे ट्रंप?

विश्लेषकों का मानना ​​है कि हाल ही में दी गई रियायतों को देखते हुए ट्रंप प्रशासन भारत पर केवल प्रतीकात्मक टैरिफ लगा सकता है। ये टैरिफ चीन, मैक्सिको और कनाडा की तुलना में ज्यादा कठोर नहीं होंगे। ऐसे में भारतीय निर्यातक चीनी उत्पादों का विकल्प बन सकते हैं और भारत एक बार फिर चीन-अमेरिका ट्रेड वॉर का बड़ा लाभार्थी बनकर उभर सकता है। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी मानना ​​है कि भारत ‘यूएस फर्स्ट’ नीति का टारगेट बना रह सकता है। कृषि बाजार तक पहुंच मुख्य मुद्दों में से एक है, क्योंकि अमेरिका भारत से अपने बाजार को और खोलने के लिए कह सकता है। हालांकि भारत ने 2023 में अमेरिका में उत्पादित बादाम, सेब, छोले, दाल और अखरोट पर टैरिफ घटा दिए हैं, लेकिन अमेरिका और अधिक की मांग कर सकता है।

ये दो वजह भी हैं महत्वपूर्ण

वैसे, अमेरिका द्वारा अवैध भारतीय प्रवासियों को वापस भेजने के मुद्दे पर भारत ने जिस तरह की शांत प्रतिक्रिया व्यक्त की है, उससे टैरिफ को लेकर डोनाल्ड ट्रंप का मिजाज कुछ शांत रह सकता है। 205 अवैध भारतीय प्रवासियों का पहला जत्था अमेरिका से पंजाब पहुंच चुका है। इसके अलावा, भारत क्वाड का एक महत्वपूर्ण सदस्य है, जो चीन का मुकाबला करने के लिए चार सदस्यीय समूह है। ट्रंप इसे भी ध्यान में रख सकते हैं और भारत के खिलाफ कड़े फैलने लेने से बच सकते हैं।

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News24 हिंदी

First published on: Feb 05, 2025 04:21 PM

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