Success Story of Ved Krishna : कहते हैं कि होनी को कोई नहीं टाल सकता है। ऐसा ही कुछ हुआ अयोध्या के वेद कृष्ण के साथ। वह बनना तो पायलट चाहते थे लेकिन बन बैठे एक सफल बिजनसमैन। वैसे वेद कृष्ण को सफलता बहुत आसानी से नहीं मिली। पुश्तैनी बिजनेस में भी उन्हें संघर्ष का सामना करना पड़ा। लेकिन एक आइडिया ने बिजनेस को वह गति दी कि फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
विदेश में ली हायर एजुकेशन
अयोध्या में पैदा हुए वेद कृष्ण हायर एजुकेशन के लिए ब्रिटेन चले गए। लंदन मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी से उन्होंने हायर एजुकेशन ली। वेद के पिता केके झुनझुनवाला ने 1981 में अयोध्या में कागज बनाने की एक छोटी सी फैक्ट्री लगाई थी। इस कंपनी का नाम यश पेपर्स था और इसमें लिफाफे बनाने वाले बादामी रंग के कागज को बनाने का काम होता था। शुरू में तो काम सही चला लेकिन बाद में स्थिति खराब होने लगी।
पिता के फोन पर आए वापस
वेद जिस समय लंदन में पढ़ाई कर रहे थे, उसी दौरान एक दिन उनके पिता का उनके पास फोन और वापस अयोध्या आने के लिए कहा। वेद अपने पिता की बात मना नहीं कर पाए और 1999 में अयोध्या आ गए। यहां आकर वह अपने पिता के बिजनेस से जुड़ गए। वेद ने बिजनेस को रास्ते पर लाने की बहुत कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाए। एक बार उन्होंने पिता की कंपनी को बेचने की भी कोशिश की, लेकिन वह उसमें भी सफल नहीं हो पाए।
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एक आइडिया और बदल गई किस्मत
साल 2005 में वेद के पिता का निधन हो गया। उनके निधन के बाद वेद ने फिर से पुश्तैनी बिजनेस को खड़ा करने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाए। उन्होंने कई बार प्रयास किया लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली। कहते हैं कि एक आइडिया किसी की भी किस्मत बदल सकता है। ऐसा ही आइडिया वेद के दिमाग में आया। दरअसल, वेद को प्रकृति से काफी लगाव था। उन्होंने सबसे पहले अपनी कंपनी को फ्लेक्जिबल और सस्टेनेबल पैकेजिंग प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी में बदल दिया। साल 2007-08 में कंपनी ने फूड ग्रेड पेपर बनाना शुरू किया। वेद का यह आइडिया काम कर गया और कंपनी ने रफ्तार पकड़ ली। बाद में उन्होंने गन्ने की खोई से पैकेजिंग मटेरियल, फूड कैरी प्रोडक्ट और फूड सर्विस मेटेरियल बनाने शुरू किए। ये सब इको फ्रेंडली प्रोडक्ट थे। वेद का यह बिजनेस आज 40 से ज्यादा देशों में फैला है। हल्दीराम, केएफसी, गूगल, सीसीडी, पीवीआर आदि जैसे ब्रांड वेद की कंपनी के क्लाइंट रह चुके हैं। वेद ने अब कंपनी का नाम यश पेपर्स से बदलकर पैका लिमिटेड कर दिया है। आज इनकी कंपनी की वैल्यू 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा है।