RBI MPC Meet: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन-दिवसीय बैठक कल खत्म होगी और कल ही यह साफ हो जाएगा कि नीतिगत ब्याज दरों में कटौती होती है या नहीं। RBI के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में MPC क्या फैसला लेती है, इस पर सभी की निगाह टिकी है। वैसे उम्मीद है कि 5 साल में पहली बार नीतिगत ब्याज दरों में 25 आधार अंकों (BPS) की कटौती हो सकती है। पिछली बार MPC ने मई 2020 में कटौती की घोषणा की थी।
होगा दोतरफा फायदा
अगर RBI MPC उम्मीद के अनुरूप ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इससे सस्ते लोन का रास्ता खुलेगा। साथ ही खपत को भी बढ़ावा मिलेगा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इनकम टैक्स पर मिली बड़ी छूट के बाद ब्याज दरों में कटौती खपत को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है। बता दें कि RBI ने महंगाई को नियंत्रित करने के नाम पर पूर्व में कई बार ब्याज दरों में इजाफा किया था।
25 BPS की कटौती संभव
अधिकांश एनालिस्ट को उम्मीद है कि ब्याज दरों में 25 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती हो सकती है। रेपो रेट पिछले काफी समय से 6.5% पर स्थिर बनी हुई है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार का मानना है कि रुपये में गिरावट को लेकर चिंताओं के बावजूद कटौती की संभावना है। उन्होंने कहा कि आने वाली तिमाहियों में ग्रोथ में तेजी की उम्मीदों के कारण बाजार कंसोलिडेशन फेज में जा रहा है। बाजार को कल एमपीसी द्वारा संभावित 25 बीपीएस की कटौती से हल्का बढ़ावा मिलने की संभावना है। हालांकि लगातार गिरता हुआ रुपया दर कटौती के लिए अनुकूल पृष्ठभूमि प्रदान नहीं करता, लेकिन बजट से मिली आशावादी गति को बनाए रखने के लिए 25 बीपीएस कटौती संभव है।
यह भी है एक संभावना
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस को भी लगता है नीतिगत ब्याज दरों में कटौती हो सकती है। उन्होंने कहा कि बजट ने विकास को प्रोत्साहन दिया है और मुद्रास्फीति में कमी आने की उम्मीद है। हालांकि, वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं के कारण रुपया दबाव में है। डेलॉइट की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार को दरों में कटौती की उम्मीद कम नजर आती है। उन्होंने कहा कि इन्फ्लेशन और क्रेडिट ग्रोथ को संतुलित करना मुश्किल है। दरों में कटौती के दबाव के बावजूद आरबीआई रेपो रेट को यथावत रखना चुन सकता है। वहीं, सैमको म्यूचुअल फंड के सीआईओ उमेश कुमार मेहता का मानना है कि मुद्रास्फीति की चिंताओं के कारण अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़ रही है, जिससे भारतीय रुपये पर दबाव पड़ रहा है। आगे और गिरावट से बचने के लिए आरबीआई दरों को अपरिवर्तित रखने का विकल्प चुन सकता है।
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RBI पर बढ़ गया दबाव
केंद्रीय बजट 2025 में सरकार के राजकोषीय दृष्टिकोण ने विकास को प्रोत्साहित करने के लिए ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश प्रदान की है। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4% पर आ गई, जिससे केंद्रीय बैंक पर आर्थिक विस्तार का समर्थन करने का दबाव बढ़ गया है। बजाज ब्रोकिंग रिसर्च के अनुसार, एमपीसी से अपने तटस्थ रुख को बनाए रखने की उम्मीद है, जिससे भविष्य के नीतिगत निर्णयों में लचीलापन आएगा। दूसरी तरफ, एडलवाइस म्यूचुअल फंड ने 2025 की पहली छमाही में कुल 50 आधार अंकों की कटौती की भविष्यवाणी की है, जो मांग को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है।
महंगाई और रुपये की समस्या
आरबीआई महंगाई और रुपये की स्थिति को ध्यान में रखते हुए नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का कोई फैसला लेगा। वित्त वर्ष 26 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति 4% रहने का अनुमान है, जबकि जनवरी में मुद्रास्फीति 4.5% से कम रह सकती है। दिसंबर में मुद्रास्फीति दर 5.22% रही और खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर में 9% से कम होकर 8.4% हो गई। इस कमी के बावजूद, भारतीय करेंसी में डॉलर के मुकाबले कमजोरी चिंता का विषय बनी हुई है। अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और वैश्विक व्यापार तनाव के कारण रुपया दबाव में है। ऐसे में ब्याज दरों में कटौती से रुपया और कमजोर हो सकता है। लिहाजा, यह भी संभव है कि RBI वेट-एंड-वॉच की रणनीति अपनाए।
बाजार पर होगा असर
RBI की बैठक से कल जो फैसला बाहर आता है, उससे शेयर और बॉन्ड मार्केट प्रभावित हो सकते हैं। ब्याज दरों में कटौती से बैंकिंग शेयरों को फायदा हो सकता है और लोन सस्ते हो सकते हैं, जिससे खपत बढ़ेगी। हालांकि, अगर दरों में कोई बदलाव नहीं होता तो अस्थिरता बढ़ सकती है। पिछले काफी समय से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही है, लेकिन RBI उसे स्थिर रखता आया है। ऐसे में अगर इस बारी उम्मीद पूरी नहीं होती, तो निवेशक मायूस हो सकते हैं।