New Income Tax Bill: केंद्र सरकार लगातार कह रही है कि नया इनकम टैक्स बिल कर कानूनों को सरल बनाने के उद्देश्य से लाया गया है। हालांकि, इसमें एक ऐसा प्रावधान शामिल किया गया है, जो कर अधिकारियों को टैक्सपेयर्स की पर्सनल डिजिटल जानकारी को एक्सेस करने का ऑप्शन देता है। फिलहाल यह प्रावधान टैक्सपेयर्स की प्राइवेसी के उल्लंघन को लेकर काफी चर्चा में है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है प्रावधान?
नए इनकम टैक्स बिल की धारा 247 के तहत आयकर अधिकारी कर चोरी या अघोषित संपत्ति के संदेह में किसी भी व्यक्ति के ईमेल, सोशल मीडिया, बैंक डिटेल्स और इंवेस्टमेंट अकाउंट को एक्सेस कर सकते हैं। यह नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा।
- इस प्रावधान के अनुसार कर अधिकारी डिजिटल स्पेस के एक्सेस की मांग कर सकते हैं।
- करदाता की मना करने पर वे पासवर्ड ब्रेक या सुरक्षा सेटिंग्स को बायपास करके डेटा अनलॉक कर सकते हैं।
- डिजिटल स्पेस में क्लाउड स्टोरेज, ईमेल, सोशल मीडिया और ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म शामिल हैं।
क्या कह रहे एक्सपर्ट?
- इस नए प्रावधान पर एक्सपर्ट ने भी अपनी राय रखी है। नंगिया एंडरसन एलएलपी के सदस्य विश्वास पंजियार ने बताया कि यह मौजूदा कानून से अलग है और यदि पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं हुए, तो इसका दुरुपयोग किया जा सकता है।
- खेतान एंड कंपनी में पार्टनर संजय सांगवी ने कहा कि पहले भी डिजिटल टूल की जांच की रिक्वेस्ट की जाती थी, लेकिन इसकी कानूनी अनुमति नहीं थी। नया कानून इसे अनिवार्य बना देगा।
- सीए कमल अग्रवाल ने कहा कि किसी भी आयकर अधिकारी को डिजिटल जानकारी तक सीधी पहुंच देना गलत है। इसे उच्च अधिकारियों की अनुमति से होना चाहिए। सोशल मीडिया जांच से करदाताओं की निजता का उल्लंघन होगा।
क्या होगा असर?
इस नए प्रावधान से करदाताओं की निजी जानकारी कर अधिकारियों की पहुंच में होगी। साथ ही, इसके साथ ही अधिकारियों द्वारा शक्ति के दुरुपयोग की संभावना रहेगी। यह प्रावधान कानूनी विवादों को जन्म दे सकता है। भले ही नया आयकर बिल पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक कदम है, लेकिन करदाताओं की डिजिटल गोपनीयता से समझौता करना चिंताजनक है। सरकार को इस नियम में संशोधन कर केवल उच्च अधिकारियों की अनुमति से ही डिजिटल जानकारी तक पहुंचने की अनुमति देनी चाहिए। इसके अलावा, सोशल मीडिया खातों को पूरी तरह जांच से बाहर रखना चाहिए।
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