Thriving Business Hubs: कुछ समय पहले तक नौकरियों के मामले में निगाहें केवल मेट्रो शहरों पर होती थीं, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। विकास की एक नई लहर देश के एम्पलॉयमेंट लैंडस्केप को नया आकार दे रही है। जयपुर और कोयंबटूर जैसे टियर-2 शहर भी अब बिजनेस हब के रूप में उभर रहे हैं। एक रिपोर्ट बताती है कि ये शहर पर्याप्त फ्रेश टैलेंट, कम ऑपरेटिंग कॉस्ट आदि के चलते व्यवसायों को आकर्षित कर रहे हैं। यहां लॉजिस्टिक्स, इलेक्ट्रिक व्हीकल और कृषि जैसे सेक्टर्स में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है।
तेजी से दौड़ रहे ये शहर
लीडिंग रिक्रूटमेंट और HR सर्विस कंपनी टीमलीज (Teamlease) की रिपोर्ट बताती है कि टियर-2 शहर जॉब्स क्रिएशन के नए केन्द्र बनने के लिए तैयार हैं। ये शहर स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल्स के लिए मेट्रो शहरों के विकल्प के तौर पर खुद को पेश कर रहे हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है कि जॉब क्रिएशन के मामले में मेट्रो शहरों का क्रेज कम हुआ है। दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहर अब भी टॉप पर हैं। इस मामले में बेंगलुरु 53.1% के साथ सबसे आगे है, उसके बाद मुंबई 50.2% और हैदराबाद 48.2% हैं। बात केवल इतनी है कि छोटे शहर भी अब तेजी से दौड़ रहे हैं।
यहां इतनी है जॉब ग्रोथ
कोयंबटूर में 24.6% जॉब ग्रोथ देखी जा रही है। गुड़गांव में यह आंकड़ा 22.6% और जयपुर में 20.3% है। इन 3 शहरों के साथ-साथ, लखनऊ और नागपुर में भी जॉब्स के मौके बढ़े हैं। इन शहरों में जॉब ग्रोथ क्रमशः 18.5% और 16.7% है। रिपोर्ट बताती है कि ये शहर अपने लागत-प्रभावी व्यावसायिक वातावरण, पर्याप्त टैलेंट पूल और कम ऑपरेटिंग कॉस्ट के चलते कंपनियों को आकर्षित कर रहे हैं। मेट्रो मार्केट सैचुरेशन और बढ़ती लागत सामना कर रहे हैं, ऐसे में कंपनियां अपेक्षाकृत छोटे शहरों का रुख कर रही हैं। इन शहरों में कंपनियों को मेट्रो शहरों की तुलना में वर्कफ़ोर्स पर कम खर्चा करना पड़ता है। संबंधित सरकारें निवेश आकर्षित करने के लिए उद्योगों के लिए लचीली नीतियां बना रही हैं, जो कंपनियों के लिए अतिरिक्त एडवांटेज हो जाती है।
कंपनियों का भी फायदा
कोयंबटूर और गुड़गांव का जॉब क्रिएशन के लिए प्रमुख डेस्टिनेशन के रूप में उभरना कंपनियों के रणनीतिक निर्णयों में बदलाव को दर्शाता है। महानगरों में परिचालन की बढ़ती लागत के चलते कंपनियां तेजी से किफायती विकल्पों की तलाश कर रही हैं। टियर-2 शहर कंपनियों के लिए बेहतरीन विकल्प के तौर पर सामने आए हैं। यहां रियल एस्टेट लागत, यूटिलिटीज और लेबर कॉस्ट अपेक्षाकृत कम है। रिपोर्ट के अनुसार, टियर-2 शहरों की ओर कंपनियों के बढ़ते रुझान का एक और मुख्य कारण है टैलेंट पूल में बढ़ोत्तरी। कोयंबटूर और गुड़गांव दोनों ने विभिन्न क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों की संख्या में वृद्धि देखी है, विशेष रूप से IT, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज जैसे सेक्टर्स में।
एक सेक्टर तक सीमित नहीं
कोयंबटूर और गुड़गांव जैसे शहरों में एजुकेशन इंस्टिट्यूटस और स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर्स नया टैलेंट तैयार कर रहे हैं, जिससे कंपनियों को एक तैयार कार्यबल मिल रहा है जो बड़े मेट्रो शहरों के कर्मचारियों की तुलना में कियाफाती और सक्षम दोनों है। खास बात यह है कि टियर-2 शहरों ने खुद को किसी एक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रखा है। कोयंबटूर और गुड़गांव आईटी इंडस्ट्री में अपनी बढ़ती पहचान के लिए जाने जाते हैं, लेकिन नॉन-आईटी बिजनेस भी यहां बड़े पैमाने पर स्थापित हो रहे हैं। टियर-2 शहरों को लेकर यह बदलाव वहां रहने वाले स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल्स दोनों के लिए अच्छा है। क्योंकि अगर वो मेट्रो शहरों में भागदौड़ न करना चाहें तो उन्हें अपने शहरों में भी नौकरी के अच्छे विकल्प मिल सकते हैं।