Game Changer PLI: देश में जॉब क्रिएशन को लेकर केंद्र सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। आंकड़े बताते हैं कि जून 2024 तक इस योजना ने कुल 5.84 लाख प्रत्यक्ष नौकरियां उत्पन्न की हैं, जो अगले पांच सालों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य का 36 प्रतिशत है। केंद्र सरकार ने अगले पांच वर्षों में 14 सेक्टर्स में कुल 16.2 लाख प्रत्यक्ष नौकरियां उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा है।
लक्ष्य के बेहद करीब
एक रिपोर्ट बताती है कि PLI स्कीम के तहत मोबाइल फोन, फूड प्रोसेसिंग और फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्रों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। इन तीनों क्षेत्रों का कुल जॉब क्रिएशन में 75% योगदान है। फूड प्रोसेसिंग यानी खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना का लक्ष्य वर्ष 2026-27 तक 2.5 लाख नौकरियां उत्पन्न करना है, जिसमें से जून 2024 तक ही 2.45 लाख नौकरियां जनरेट हो चुकी हैं। इससे इस सेक्टर के शानदार प्रदर्शन का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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यहां भी दिखा दम
जून 2004 तक मोबाइल सेक्टर में कुल 1,22,613 नौकरियां उत्पन्न हुई हैं। फार्मा में यह आंकड़ा 77,119 रहा है। टेक्सटाइल इंडस्ट्री इस योजना के तहत जॉब क्रिएशन के मामले में कुछ खास नहीं कर पाई है। इसे सितंबर 2021 में नोटिफाई किया गया था। शुरुआत में इसके तहत 7.5 लाख नौकरियां उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा गया, जिसे बाद में घटाकर 2.5 लाख किया गया। जून 2024 तक यानी पिछले दो साल और तीन महीनों में यह क्षेत्र केवल 12,607 रोजगार सृजित कर पाया है।
यहां उम्मीद से कम आंकड़े
सितंबर 2022 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा बताया गया था कि सोलर मॉड्यूल के लिए पीएलआई योजना में पांच वर्षों में 1.95 लाख नौकरियों का लक्ष्य रखा गया है। जून 2024 तक, इसमें से केवल 9,521 प्रत्यक्ष नौकरियां ही उत्पन्न हो सकी हैं। इसी तरह मेडिकल डिवाइसेस के लिए PLI स्कीम से केवल 5,596 जॉब्स ही क्रिएट हुई हैं। आंकड़े बताते हैं कि मोबाइल फोन, फूड प्रोसेसिंग और फार्मास्यूटिकल्स ने इस योजना का सबसे अच्छा रिजल्ट दिया है।
कई सेक्टर हैं कवर
इस योजना की शुरुआत अप्रैल 2020 में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए की गई थी, लेकिन 2020 के अंत में कुछ अन्य क्षेत्रों को भी इसमें शामिल किया गया। अब यह स्कीम फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, ऑटोमोटिव और रिन्यूएबल एनर्जी सहित कई उद्योगों को कवर करती है। इसकी शुरुआत के पीछे सरकार का मकसद लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाना देना और विदेशी निवेश को आकर्षित करना है।
ऐसे मिलता है लाभ
इस योजना के तहत पात्र कंपनियों को निर्धारित मानदंडों को पूरा करने पर वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो कंपनियों को उनके वृद्धिशील बिक्री राजस्व का एक निश्चित प्रतिशत बतौर इंसेंटिव मिलता है, जो आमतौर पर 4 से 6 प्रतिशत के बीच होता है। इस योजना के चलते जहां विदेशी कंपनियों को भारत में फैक्ट्री में मदद मिलती है, वहीं घरेलू कंपनियां भी सरकार की मदद से आगे बढ़ पाती हैं। इससे देश में नौकरियों के अवसर भी उत्पन्न होते हैं।