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जियो पेमेंट सॉल्यूशंस लिमिटेड को RBI से मिली मंजूरी, ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर की तरह करेगा काम

भारतीय रिजर्व बैंक ने जियो पेमेंट सॉल्यूशंस लिमिटेड को ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर के रूप में काम करने की मंजूरी दे दी है। आइये इसके बारे में जानते हैं।

Edited By : Ankita Pandey | Updated: Oct 29, 2024 16:24
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जियो पेमेंट सॉल्यूशंस लिमिटेड (JPSL) को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर के रूप में काम करने मंजूरी मिल गई है। यह भारत की डिजिटल पेमेंट सर्विस के लिए एक जरूरी कदम है। जियो पेमेंट सॉल्यूशंस लिमिटेड, जियो फाइनेंशियल सर्विसेज की सबसिडरी कंपनी है। JPSL ने मंगलवार को इसकी सूचना एक्सचेंज को दी है।

इसके लिए ऑथेंटिकेशन सर्टिफिकेट 28 अक्टूबर 2024 से प्रभावी हो गया है, जो जेपीएसएल को पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम एक्ट 2007 के तहत  डिजिटल ट्रांजैक्शन को मैनेज करने की अनुमति देता है। आइये इसके बारे में जानते हैं।

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शेयर्स में आई तेजी

जियो फाइनेंस के शेयर्स  में मंगलवार को 1.45 प्रतिशत की तेजी आई, जिसके साथ इसने 321.45 रुपये प्रति शेयर पर कारोबार हुआ। बता दें कि पेटीएम अभी भी RBI की रेगुलेटरी कार्रवाई से प्रभावित है, जिसके कारण फिनटेक ब्रांच नए कस्टमर्स जोड़ने में असमर्थ है। ऐसे में जियो के पास बेहतर मौका है कि वह डिजिटल फाइनेंस सर्विस मार्केट में अपनी पकड़ बना सकें।

जियो पेमेंट्स बैंक फिलहाल  बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन और एक फिजिकल डेबिट कार्ड के साथ डिजिटल सेविंग अकाउंट का विकल्प दे रहा है, जिसमें 1.5 मिलियन से ज्यादा एक्टिव यूजर हैं। ये यूजर्स जियो फाइनेंशियल सर्विसेज (JFS) की इस सेवा का इस्तेमाल करते हैं।

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क्या है JFS का लक्ष्य ?

जियो फाइनेंशियल सर्विसेज (JFS)  अपनी फाइनेंसियल सर्विस को बढ़ाना चाहता है। सेविंग अकाउंट के लिए जियो पेमेंट्स बैंक प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके यह फुल स्केल बैंकिंग का ऑप्शन देना चाहता है।

जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रॉफिट की बात करें तो वित्त वर्ष 24 में इसने 1,853 करोड़ रुपये का ऑपरेशन रेवेन्यू जनरेट किया था, वहीं इसका नेट प्रॉफिट 1,604 करोड़ रुपये रहा।  जियो ने केवल अप्रैल 2024 में लोन, बीमा ब्रोकिंग और पेमेंट कलेक्शन के लाइसेंस के साथ लगभग 1.8 मिलियन UPI  पेमेंट प्रोसेस किए।

RBI की एक स्टडी के हिसाब से मार्च 2024 तक भारत में कंज्यूमर स्पेंडिंग का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा अभी भी कैश में ही था, हालांकि यह आंकड़ा COVID-19 के बाद से घट रहा है।  2021 में डिजिटल पेमेंट (खासकर UPI) 14-19 प्रतिशत से बढ़कर 2024 तक 40-48 प्रतिशत हो गया।

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Ankita Pandey

First published on: Oct 29, 2024 04:24 PM

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