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कभी मुगलों की दवाई हुआ करती थी चाट, अब मसालों ने बढ़ा दिया जीभ का स्वाद

International Chaat Day Special : आज हम जिस चाट को खाते हैं, कभी सोचा है कि उसकी शुरुआत कब और कहां से हुई? आप शायद मानें या न मानें, लेकिन यह कभी दवाई हुआ करती थी। इसका इस्तेमाल शाहजहां के समय दवाई के रूप में किया गया था। दुनिया में अब कई तरह की चाट बनाई जाती हैं। आज इंटरनेशनल चाट डे के मौके पर जानें चाट का आविष्कार कहां और कैसे हुआ:

Edited By : Rajesh Bharti | Jun 25, 2024 08:00
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मुगलों के समय हुई थी चाट की शुरुआत

International Chaat Day Special : आज इंटरनेशनल चाट डे है। हम जिस चाट को आज ठेले पर खड़े होकर बड़े चटकारे के साथ खाते हैं, वह कभी मुगलों की दवाई हुआ करती थी। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि चाट का इतिहास कितना पुराना है। समय के साथ चाट में मसाले, चटनी और दूसरी चीजों की मात्रा बढ़ती गई, जिससे इसका स्वाद भी बढ़ गया। धीरे-धीरे यह हमारे स्वाद का हिस्सा हो गई। चाट सिर्फ भारत में ही नहीं, पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी बड़े चाव से खाई जाती है। वे भारतीय जो यूरोप सहित दूसरी जगह जाकर बस गए, वहां भी चाट धड़ल्ले से खाई जाती है। अमेरिका, ब्रिटेन में तो बाकायदा चाट की दुकानें हैं।

आगरा और दिल्ली को लेकर है कंफ्यूजन

चाट की शुरुआत कहां हुई, इसे लेकर इतिहासकारों में कन्फ्यूजन है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि चाट की शुरुआत आगरा में हुई तो वहीं कुछ के मुताबिक इसकी शुरुआत दिल्ली में हुई। ऐसे में यह सही बताना संभव नहीं है कि चाट की सही शुरुआत आगरा से हुई या दिल्ली से। हालांकि दोनों ही जगह का संबंध मुगलों से है।

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लंदन में चाट हाउस। फोटो : The Chaat House के फेसबुक पेज से।

यमुना के पानी से हुआ हैजा

बताया जाता है कि चाट की शुरुआत 16वीं शताब्दी में शाहजहां के समय हुई थी। कहा जाता है कि जब शाहजहां और उसकी सेना आगरा में यमुना किनारे आकर रहने लगी थी तो उस समय हैजा फैल गया था। इसका कारण था यमुना का पानी। दरअसल, उस समय भी यमुना का पानी पीने योग्य नहीं था। ऐसे में जब शाहजहां की सेना ने उस पानी को इस्तेमाल किया उन्हें हैजा होना शुरू हो गया।

दवाई के तौर पर इस्तेमाल

जब शाहजहां की सेना को हैजा हो गया और इसने महामारी का रूप ले लिया तो उसने शाही वैद्य से सलाह ली। वैद्य ने कहा कि हैजा के बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए ऐसी चीज बनाई जानी चाहिए जिसमें अलग-अलग तरह के स्वाद और मसाले हों। वैद्य की सलाह के मुताबिक तीखा, मीठा, खट्टा स्वाद और कई तरह के मसालों को मिलाकर एक चटनीनुमा चीज बनाई गई जिसे चाट कहा गया। ऐसे में इसका इस्तेमाल हैजा को रोकने के लिए दवा के रूप में हुआ।

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दुनिया के कई देशों में पहुंच चुका है चाट का स्वाद।

दिल्ली से भी जुड़े हैं किस्से

चाट के किस्से दिल्ली से भी जुड़े हैं। कहा यह भी जाता है कि जब शाहजहां आगरा से निकलकर दिल्ली आया और यहां बसा तो उसे यहा यमुना का पानी राय नहीं आया। इसका कारण था कि दिल्ली में यमुना का पानी एल्काइन था। ऐसे में उसे एक वैद्य ने सलाह दी कि वह खुद और सेना को इमली, लाल मिर्च, धनिया और पुदीना जैसे मसालों का इस्तेमाल किया जाए ताकि यमुना के पानी के असर को कम किया जा सके। बताया जाता है कि इस दौरान ही चाट का आविष्कार हुआ।

ऐसे पड़ा नाम चाट

अब बात आती है कि इसका नाम चाट कैसे पड़ा? कहा जाता है कि पहले लोग इसे चाट-चाट कर खाते थे। इसी कारण इसका नाम चाट रखा गया। चाट आज पूरी दुनिया में मशहूर है।

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Written By

Rajesh Bharti

First published on: Jun 25, 2024 08:00 AM

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