Murthy Family Holding in Infosys: इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति के लिए आज का दिन कुछ राहत भरा है। शुरुआती कारोबारी में कंपनी के शेयरों में बढ़त देखने को मिल रही है। गिरावट वाले बाजार में भी इंफोसिस के शेयर का ग्रीन लाइन पर कारोबार करना उसके निवेशकों के लिए अच्छा संकेत है। इससे पहले कंपनी के स्टॉक में आई गिरावट से मूर्ति फैमिली को करीब 1900 करोड़ रुपये का बड़ा नुकसान हुआ था।
फिर रखा अपना पक्ष
नारायण मूर्ति ने 70 घंटे काम करने की सलाह पर एक बार फिर से अपना पक्ष रखा है। उनका कहना है कि वह किसी को जबरदस्ती लंबे समय तक काम करने के लिए नहीं कह सकते। हर व्यक्ति को अपनी स्थिति और जरूरतों के हिसाब से फैसला लेना चाहिए। मूर्ति का मानना है कि इस मुद्दे पर बहस नहीं, बल्कि खुद से विचार करने की जरूरत है। अब जब इंफोसिस और नारायण मूर्ति की बात फिर से चल निकली है, तो आपको यह भी बता दें कि इंफोसिस में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मूर्ति फैमिली के पास नहीं है।
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LIC के पास हिस्सेदारी
मार्च, 2024 के आंकड़ों के अनुसार, इंफोसिस में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC के पास है। भारतीय जीवन बीमा निगम यानी LIC के पास कंपनी के 38,59,52,941 शेयर हैं, जो 9.30 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी के बराबर हैं। दूसरे नंबर पर SBI MUTUAL FUND है, जिसके पास कंपनी में 4,19 % हिस्सेदारी है।
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मूर्ति फैमिली की हिस्सेदारी
कंपनी के प्रमोटर्स में नंदन नीलेकणि के पास 0.98%, एस गोपालकृष्णन के पास 0.77%, उनकी वाइफ सुधा गोपालकृष्णन के पास 2.30% हिस्सेदारी है। इंफोसिस में मूर्ति परिवार के पास कुल 4.02% हिस्सेदारी है। सितंबर तिमाही के डेटा के अनुसार, नारायण मूर्ति के पास कंपनी की 0.40% हिस्सेदारी है। इसमें पत्नी सुधा एन मूर्ति के पास 0.92%, बेटे रोहन मूर्ति के पास 1.62%, बेटी अक्षता मूर्ति के पास 1.04% और नारायण मूर्ति के पोते एकाग्र रोहन मूर्ति के पास 0.04% हिस्सेदारी है। इस तरह, मूर्ति परिवार के 5 सदस्यों के पास इंफोसिस में कुल 4.02% हिस्सेदारी है।
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बहस की जरूरत नहीं
70 घंटे काम की सलाह की बात करें, तो नारायण मूर्ति ने सोमवार को मुंबई आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि मैं सुबह साढ़े छह बजे ऑफिस पहुंचता था और रात साढ़े आठ बजे निकलता था। मैंने ऐसा किया है और मैं यह काम 40 साल से कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि जो सलाह मैंने दी, उस पर लोगों को बहुत अधिक चर्चा या बहस करने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय यह जरूरी है कि हर व्यक्ति खुद पर विचार करे और फिर अपनी सोच के आधार पर एक निष्कर्ष पर पहुंचे।
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