Stock Market Update: पिछले सप्ताह निवेशकों के आंसू निकालने वाले शेयर बाजार में आज रौनक दिखाई दी। BSE सेंसेक्स 531.93 अंकों की उछाल के साथ 78,573.52 और NSE निफ्टी 174 अंकों की बढ़त के साथ 23,761.50 पर बंद हुआ। आज यानी 23 दिसंबर को लगभग सभी सेक्टर हरे निशान पर कारोबार करते नजर आए। इस दौरान, निफ्टी रियल्टी इंडेक्स में 2% की तेजी आई।
अब आगे क्या होगा?
बाजार की चाल आज पिछले हफ्ते से बिल्कुल विपरीत रही। मार्केट में आई इस तेजी के पीछे कई कारण हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है कि यहां से सब कुछ अच्छा ही अच्छा होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) के रुख और वैश्विक बाजारों के प्रदर्शन के आधार पर भारतीय बाजार की चाल निर्भर होगी। लिहाजा, इन मोर्चों पर अच्छी खबर का मिलते रहना जरूरी है।
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खौफ का असर हुआ कम
बाजार में आज आई तेजी की एक प्रमुख वजह अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा 2025 में नीतिगत ब्याज दरों में उम्मीद से कम कटौती के अनुमान से उपजे खौफ का कम होना है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाजार अब आगे की चिंता छोड़कर मौजूदा कटौती को एन्जॉय करना चाहता है। हालांकि, जैसे-जैसे कटौती का समय नजदीक आएगा, डर फिर से कायम हो सकता है। अच्छी बात यह है कि अमेरिका में महंगाई दर में कुछ नरमी के संकेत हैं। ऐसे में ब्याज दरों में कटौती को लेकर भी फेड रिजर्व नरमी बरत सकता है।
इन इंडेक्स से मजबूती
आज बाजार को पिछले दबाव से निकालने में मेटल सेक्टर का भी अच्छा योगदान रहा. दरअसल, डायरेक्टोरट जनरल ऑफ ट्रेड रेमिडीज (DGTR) की तरफ से बताया गया है कि स्टील के आयात पर 25% सेफगार्ड ड्यूटी लगाने की मांग की जांच की जा रही है। इस खबर के चलते आज मेटल, खासतौर से स्टील कंपनियों के शेयरों में तेजी देखने को मिली। निफ्टी मेटल इंडेक्स शुरुआती कारोबार में 1% तक उछल गया था। इसी तरह, निफ्टी रियल्टी इंडेक्स ने भी बाजार को मजबूती दी।
बाहर से मिले अच्छे संकेत
हमारे बाजार की तेजी के लिए वैश्विक बाजारों से मिले अच्छे संकेत भी जिम्मेदार हैं। लगभग सभी प्रमुख एशियाई बाजारों ने आज अच्छी शुरुआत के साथ कारोबार किया। अमेरिकी इंडेक्स- S&P 500, डाउ जोन्स और नैस्डैक शुक्रवार को पॉजिटिव रुख के साथ बंद हुए थे, इसका भी असर आज भारतीय बाजार पर नजर आया।
संकट टलने का असर
इसके अलावा, अमेरिकी संसद में सरकार को फंड मुहैया कराने से जुड़ा अहम बिल का पास होना भी भारत सहित एशियाई बाजारों के लिए अच्छा रहा। यदि यह बिल मंजूर नहीं होता, तो अमेरिकी सरकार संकट में पड़ जाती और इसका असर दुनिया भर के बाजारों पर नजर आता। इस बिल के पास होने से निवेशकों का उत्साह बढ़ा और मार्केट के सेंटिमेंट में सुधार हुआ।