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India Post ने बिना बताए बंद कर दी ये सर्विस, अब इस तरह कटेगी जेब

India Post: इंडिया पोस्ट ने हाल ही में अपनी एक महत्वपूर्ण सेवा को बंद कर दिया और किसी को इसके बारे में कोई जानकारी भी नहीं दी।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Jan 3, 2025 16:14
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Indian Postal Department
प्रतीकात्मक तस्वीर

India Post Book Post Service: भारतीय डाक विभाग ने गुपचुप एक ऐसा कदम उठाया है, जिससे बड़े पैमाने पर लोग प्रभावित हुए हैं। डाक विभाग ने बिना कोई सूचना दिए रजिस्टर्ड बुक पोस्ट सर्विस बंद कर दी गई है। इस बारे में लोगों को तब पता चला जब वे इस सेवा का लाभ उठाने पोस्ट ऑफिस पहुंचे। डाक विभाग के इस फैसले से किताबें भेजना महंगा हो गया है।

इसलिए हुई थी शुरुआत

कूरियर के जमाने में भी डाक विभाग पर विश्वास करने वालों की लंबी-चौड़ी फौज है। इसकी सबसे बड़ी वजह है किफायती सेवा। निजी कंपनियों की तुलना में पोस्ट ऑफिस से डाक आदि भेजना आज भी सस्ता है। ‘बुक पोस्ट सर्विस’ की शुरुआत भी इसलिए की गई थी कि ताकि इंडिविजुअल पब्लिशर और पुस्तक प्रेमी सस्ती दरों में किताब भेज और प्राप्त सकें। लेकिन सब डाक विभाग ने इस महत्वपूर्ण सेवा को बंद कर दिया है।

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कोई कारण नहीं बताया

डाक विभाग की तरफ से रजिस्टर्ड बुक पोस्ट सेवा (RBP) बंद करने की कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई। न ही विभाग ने अब तक इसका कोई कारण बताया है। हालांकि, ऐसी चर्चा जरूर शुरू हो गई है कि यह निजीकरण की तरफ पहला कदम है। देशभर के तमाम इंडिविजुअल पब्लिशर्स ने विभाग के इस कदम की आलोचना की है। उनका कहना है कि इस सेवा के बंद होने से किताब भेजने पर आने वाला खर्चा बढ़ जाएगा।

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कितना होता था खर्चा?

एक रिपोर्ट के अनुसार, इंडिया पोस्ट ने 18 दिसंबर को ही इस सर्विस को बंद कर दिया था, लेकिन इसकी जानकारी लोगों को तब लगी जब वे पोस्ट ऑफिस पहुंचे। इस सेवा से स्वतंत्र पुस्तक प्रकाशकों को अपने ग्राहकों को नाममात्र डाक शुल्क पर किताबें भेजने में मदद मिलती थी। लेकिन अब उनकी लागत बढ़ जाएगी। RBP के तहत पूरे भारत में कहीं भी 200 पन्नों की किताब लगभग 20-25 रुपये में भेजी जा सकती थी।

अब बचे हैं महंगे विकल्प

इस सेवा के बंद होने के बाद पुस्तक प्रेमियों और प्रकाशकों को स्पीड पोस्ट, रजिस्टर्ड पोस्ट या फिर दूसरे विकल्पों पर विचार करना होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, स्पीड पोस्ट या रजिस्टर्ड पोस्ट RBP के मुकाबले महंगे पड़ेंगे। खासकर वजन के हिसाब से उनकी दरें एकदम से ज्यादा हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में पब्लिशर्स को ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी और वह इसका कुछ हिस्सा ग्राहकों से वसूलेंगे। कुल मिलाकर इससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे।

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News24 हिंदी

First published on: Jan 03, 2025 04:14 PM

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