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Bank Deposit Insurance Cover पर क्या इस आशंका से बदल जाएगा सरकार का मन?

Bank deposit insurance cover: मौजूद व्यवस्था के तहत जब कोई बैंक डूबता है, तो डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट (DICGC) के तहत खाताधारकों को 5 लाख रुपये तक का बीमा मिलता है।

Author Edited By : Neeraj Updated: Mar 6, 2025 11:50
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Deposit Insurance Limit: हाल ही में जब न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक का घोटाला सामने आया, तो खबर आई कि सरकार बैंक में जमा रकम पर मिलने वाले इंश्योरेंस कवर को बढ़ाने पर जल्द कोई फैसला ले सकती है। मौजूदा व्यवस्था के तहत बैंक डिपॉजिट पर 5 लाख तक का कवर मिलता है। यदि सरकार ऐसा करती है, तो करोड़ों बैंक ग्राहकों को राहत मिलेगी, लेकिन यह राहत बैंकों की परेशानी भी बढ़ा सकती है। इसे लेकर अब एक रिपोर्ट सामने आई है, जिससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सरकार अपना मन बदल सकती है?

कितना होगा असर?

रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA) का कहना है कि बैंक जमा पर इंश्योरेंस कवर लिमिट बढ़ाए जाने से बैंकों के मुनाफे पर असर पड़ने की आशंका है। एजेंसी के अनुसार, अगर बीमा कवर बढ़ाया, जाता है तो इससे बैंकों के मुनाफे में 12 हजार करोड़ रुपये तक की कमी आ सकती है। इक्रा का कहना है कि मार्च 2024 तक 97.8 प्रतिशत बैंक खाते पूरी तरह से कवर हो चुके थे, क्योंकि उनमें जमा की गई रकम 5 लाख रुपये की सीमा के भीतर थी। जमा राशि के मूल्य के हिसाब से 31 मार्च, 2024 तक बीमित जमा अनुपात (IDR) 43.1 प्रतिशत था। इस आईडीआर में बदलाव से बैंकों के मुनाफे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि उन्हें प्रीमियम के रूप में अधिक पैसा देना पड़ता है।

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अभी क्या है व्यवस्था?

मौजूद व्यवस्था के तहत जब कोई बैंक डूबता है, तो डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट (DICGC) के तहत खाताधारकों को 5 लाख रुपये तक का बीमा मिलता है। इसके लिए अकाउंट होल्डर को दावा प्रस्तुत करना होता है, पात्र ग्राहकों को बीमा राशि दी जाती है। इस स्थिति में उन लोगों को बड़ा नुकसान होता है, जिनके खाते में 5 लाख से ज्यादा रकम है। DICGC किसी बैंक के डूबने की स्थिति में ग्राहकों को बीमा कवर प्रदान करने के लिए बैंकों से प्रीमियम जुटाता है।

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इस बार मिलेगी मंजूरी?

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक का घोटाला उजागर होने के बाद वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू ने कहा था कि बीमा कवर बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है। सरकार की मंजूरी मिलते ही इसकी अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। वैसे यह मांग पहले भी उठती रही है। लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया। अब सामने आए बैंक घोटाले के बाद इस मांग ने फिर से जोर पकड़ लिया है। हालांकि, देखने वाली बात होगी कि बैंकों को होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए भी क्या सरकार इसे मंजूरी देती है।

पहले कब हुआ था इजाफा?

आखिरी बार साल 2020 में DICGC की इंश्योरेंस लिमिट बढ़ाई गई थी। ऐसा PMC बैंक घोटाला सामने आने के बाद हुआ था। तब इस लिमिट को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया गया था। पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC) का घोटाला सितंबर 2019 में सामने आया था। RBI को पता चला था कि PMC बैंक मुंबई के एक रियल इस्टेट डेवलेपर को करीब 6500 करोड़ रुपये लोन देने के लिए नकली बैंक खातों का उपयोग कर रहा है। इसके बाद आरबीआई ने बैंक से पैसे निकालने की एक लिमिट तय कर दी थी।

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Neeraj

First published on: Mar 06, 2025 11:50 AM

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