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हेल्थ इंश्योरेंस में मेडिकल चेकअप कितना जरूरी? इन 3 मुख्य कारणों से रिजेक्ट हो जाता है क्लेम

Health Check up For Medical Insurance : हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय काफी लोगों के दिमाग में होता है कि पहले बॉडी चेकअप कराना होगा। ज्यादातर कंपनियां इसे जरूरी नहीं मानतीं। हालांकि अगर उन्हें कोई शक होता है तो वह चेकअप के लिए कह सकती हैं। लेकिन इंश्योरेंस लेने वाले को भी अपनी पुरानी बीमारियों के बता देना चाहिए। नहीं तो मेडिक्लेम रिजेक्ट हो जाएगा। जानें, और किन कारणाें से मेडिक्लेम रिजेक्ट हो जाता है:

Edited By : Rajesh Bharti | Updated: Jun 22, 2024 18:14
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हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय पुरानी बीमारी के बारे में कंपनी को जरूर बताएं।

Health Check up For Medical Insurance : इन दिनों हेल्थ इंश्योरेंस या मेडिकल इंश्योरेंस की काफी डिमांड बढ़ गई है। काफी लोग मेडिकल इंश्योरेंस करा रहे हैं। काफी कंपनियां तरह-तरह के पैकेज दे रही हैं। अक्सर कहा जाता है कि हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले बॉडी का चेकअप जरूरी होता है। हालांकि अब ऐसा नहीं है। ज्यादातर कंपनियां बिना चेकअप के ही हेल्थ इंश्योरेंस मुहैया करा देती हैं। अब सवाल उठता है कि ऐसे में कहीं मेडिकल क्लेम रिजेक्ट न हो जाए। हां, ऐसा हो भी जाता है लेकिन उसके लिए दूसरी परिस्थितियां जिम्मेदार होती हैं।

कितना जरूरी है मेडिकल चेकअप

जब भी कोई शख्स हेल्थ इंश्योरेंस के लिए अप्लाई करता है तो उसकी उम्र और मेडिकल हिस्ट्री पूछी जाती है। साथ ही पूछा जाता है कि वह शख्स शराब या नशे की कोई दूसरी चीजों का इस्तेमाल तो नहीं करता। वहीं अगर पहले कोई सर्जरी हुई है या कोई बीमारी है तो उसके बारे में भी पूछा जाता है। ऐसे में कंपनी को सारी बातें सही-सही बतानी चाहिए। वहीं अगर कंपनी को कोई शक होता है तो वह मेडिकल चेकअप कराने और रिपोर्ट के बारे में पूछ सकती है।

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मेडिक्लेम कई कारणों से रिजेक्ट हो सकता है। फोटो : bankofbaroda.in

इन कारणों से रिजेक्ट हो जाता है मेडिक्लेम

1. पुरानी बीमारी न बताने पर

अगर मरीज किसी प्री-एग्जिस्टिंग बीमारी जैसे- डायबीटीज, अस्थमा, थॉयराइड आदि की वजह से अस्पताल में भर्ती हो जाए जिसके बारे में बीमा कंपनी को बताया नहीं था तो क्लेम रिजेक्ट हो जाएगा और इलाज का पूरा बिल अपनी जेब से भरना पड़ेगा। वहीं अगर कोई शख्स प्री-एग्जिस्टिंग बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती होता है तो 3 साल तक (अलग-अलग कंपनियों के मुताबिक अलग-अलग) क्लेम नहीं मिलता। फिर चाहे उस शख्स ने उस बीमारी के बारे में पहले से ही क्यों न बता दिया हो। हालांकि अब कंपनियां प्रीमियम की कुछ रकम ज्यादा लेकर पहले दिन से ही सभी प्रकार की बीमारियों पर क्लेम दे देती हैं।

2. वेटिंग या ग्रेस पीरियड में इलाज कराने पर

हेल्थ इंश्योरेंस देने वाली हर कंपनी शुरू के 15 या 30 दिन का वेटिंग पीरियड (लुक आउट पीरियड) देती है। वेटिंग पीरियड से मतलब है कि इंश्योरेंस लेने वाला शख्स पॉलिसी को अच्छी तरह से पढ़ ले और सभी नियमों को जान ले। अगर पॉलिसी पसंद न आए तो कस्टमर उसे वेटिंग पीरियड में वापस भी कर सकता है। वेटिंग पीरियड में ऐक्सिडेंट के अलावा अगर किसी दूसरी बीमारी का इलाज कराते हैं तो क्लेम रिजेक्ट कर दिया जाता है। वहीं अगर इंश्योरेंस की तारीख निकल चुकी है और उसे रिन्यू नहीं कराया है तो कंपनी 30 दिनों तक का ग्रेस पीरियड देती है। इन 30 दिनों में प्रीमियम भरकर इंश्योरेंस को रिन्यू करा सकते हैं। अगर ग्रेस पीरियड में इंश्योरेंस लेने वाले शख्स को मेडिकल इमरजेंसी आती है तो उसे क्लेम नहीं मिलता, फिर चाहे मरीज को अस्पताल में भर्ती करते ही तुरंत इंश्योरेंस का प्रीमियम क्यों न भर दें।

3. कम से कम 24 घंटे भर्ती न रहने पर

अगर कोई शख्स अस्पताल में 24 घंटे से कम समय तक भर्ती रहता है या किसी चेकअप के लिए भर्ती हुआ है तो क्लेम नहीं मिलेगा। कई बार मरीज को सिर्फ सामान्य जांच या ऑब्जर्वेशन के लिए भर्ती किया जाता है। भर्ती के दौरान कोई दवा दी गई और जानबूझकर 24 घंटे बाद छुट्टी दे दी गई हो। अगर ऐसा होता है तो क्लेम रिजेक्ट कर दिया जाएगा। हालांकि डे प्रसीजर के कुछ मामलों में क्लेम मिल जाता है। कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जिनमें मरीज को 24 घंटे के अंदर अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। इन बीमारियों के बारे में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से जानकारी ले लें। वहीं अब काफी कंपनियां 24 घंटे भर्ती पर भी क्लेम दे रही हैं।

यह भी पढ़ें : हेल्थ इंश्योरेंस के नए नियम : 3 घंटे में कैशलेस क्लेम का सेटलमेंट, बीमा पसंद नहीं तो 30 दिन में कर सकेंगे वापस

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Written By

Rajesh Bharti

First published on: Jun 22, 2024 06:14 PM

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