अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ से भारत के ऑटो सेक्टर को करीब 4500 करोड़ के नुकसान का अनुमान है। लेकिन अब अमेरिका से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिससे नुकसान के इस अनुमान में बदलाव करना पड़ सकता है। डोनाल्ड ट्रंप विदेशी ऑटो पार्टस पर टैरिफ में कुछ कमी करने जा रहे हैं। उनका यह कदम घरेलू मार्केट पर ऑटोमोटिव टैरिफ के प्रभाव को कम करना है।
आज जारी होगा आदेश?
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन आज यानी मंगलवार को घरेलू स्तर पर निर्मित कारों में इस्तेमाल होने वाले विदेशी ऑटो पार्ट्स पर कुछ ड्यूटी को कम करने का आदेश जारी कर सकता है। हालांकि, विदेशों से अमेरिका आने वाली कारों पर फिलहाल सख्ती जारी रहेगी। वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि प्रेसिडेंट ऐसी कंपनियों को राहत देना चाहते हैं, जो घरेलू स्तर पर निर्माण को तवज्जो देती हैं। पिछले सप्ताह, अमेरिकी ऑटो इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने ट्रंप से आयातित ऑटो पार्ट्स पर 25% टैरिफ न लगाने का आग्रह किया था। साथ ही चेतावनी दी थी कि इससे वाहनों की बिक्री में कमी आएगी तथा कीमतें बढ़ेंगी।
3 मई से होना है लागू
डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ वक्त पहले 3 मई से ऑटो पार्ट्स पर नया 25% का टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। यूएस ऑटो इंडस्ट्री का कहना है कि ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ वैश्विक ऑटोमोटिव आपूर्ति श्रृंखला को अस्त-व्यस्त कर देगा। इससे उपभोक्ताओं के लिए ऑटो की कीमतें बढ़ जाएंगी, डीलरशिप पर बिक्री कम हो जाएगी और वाहनों की सर्विसिंग एवं मरम्मत दोनों अधिक महंगी हो जाएंगी। अब ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ में कमी की बात कही है। यूएस प्रेसिडेंट का यह फैसला भारत के ऑटो सेक्टर के लिए भी खुशखबरी की तरह है, क्योंकि भारत की कई कंपनियां अमेरिका को ऑटो पार्ट्स की सप्लाई करती हैं।
इतने नुकसान की आशंका
क्रेडिट एजेंसी इक्रा ने अनुमान जताया है कि वाहनों के प्रमुख पुर्जों पर टैरिफ से भारतीय वाहन पुर्जा निर्यातकों को कमाई में 2700 करोड़ रुपये से लेकर 4,500 करोड़ रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है। उनके राजस्व का बड़ा हिस्सा घरेलू मांग से आता है। लेकिन इंजन, ट्रांसमिशन और इलेक्ट्रिकल पुर्जों जैसे सामान पर 25 प्रतिशत के नए टैरिफ से वित्त वर्ष 26 में वाहन पुर्जा उद्योग की समूची राजस्व वृद्धि गिरावट के साथ छह से आठ प्रतिशत तक रहने की आशंका है,जबकि पहले इसके आठ से 10 प्रतिशत रहने का अनुमान था।
कई कंपनियों का रिश्ता
अमेरिका कई देशों से करीब 300 अरब डॉलर के ऑटो कंपोनेंट का आयात करता है, इसमें भारत का नाम भी शामिल है। भारत से इंजन पार्ट्स, ट्रांसमिशन कंपोनेंट्स और इलेक्ट्रिकल सिस्टम सहित कई तरह के प्रोडक्ट अमेरिका जाते हैं। हमारी कई कंपनियां यूएस ऑटो पार्ट्स भेजती हैं। उदाहरण के तौर पर सोना बीएलडब्ल्यू प्रिसिजन फोर्जिंग्स अपना 66% राजस्व अमेरिका और यूरोप से प्राप्त करती है। टैरिफ से इस कंपनी को मार्जिन पर दबाव का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि वैश्विक वाहन निर्माता लागत का बोझ आपूर्तिकर्ताओं पर डाल रहे हैं। इसके अलावा, संवर्धन मदरसन और बालकृष्ण इंडस्ट्रीज आदि कंपनियों का रिश्ता भी अमेरिका से मजबूत है।
खुश होने का एक मौका
भारत भले ही बड़ी संख्या में अपनी कारें अमेरिका नहीं भेजता, लेकिन हमारे ऑटो पार्ट्स अमेरिकी वाहनों के लिए दिल का काम करते हैं। इसलिए टैरिफ पर राहत उनके लिए खुश होने का एक मौका है। वित्त वर्ष 24 में इंडियन ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री के राजस्व में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 8 प्रतिशत थी। वाहन पुर्जो में स्टील और एल्युमीनियम हिस्से पर 25% टैरिफ मार्च 2025 में पहले ही लागू किया जा चुका है। ऐसे में नए 25% टैरिफ से कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि, अब जब ट्रंप ने टैरिफ में कमी की बात कही है, तो शायद स्थिति में बदलाव आए।
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