नई दिल्ली: UPI पेमेंट को लेकर पिछले काफी समय से चर्चाओं का बाजार गर्म है। बताया जा रहा था कि अब हर UPI ट्रांजेक्शन पर भी चार्ज काटा जाएगा। इस बीच चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) के अध्यक्ष बृजेश गोयल ने कहा कि व्यापारी निकाय ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को डिजिटल भुगतान पर शुल्क लगाने की तैयारियों के खिलाफ एक पत्र लिखा है।
सीटीआई के अनुसार, भारत अधिकांश डिजिटल भुगतान वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है, जहां आबादी का एक बड़ा हिस्सा यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से भुगतान कर रहा है।
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हालांकि, आरबीआई ने अब भुगतान पर शुल्क लगाने की प्रक्रिया पर काम शुरू कर दिया है और इस संबंध में जनता की राय मांगी है। नागरिक 3 अक्टूबर, 2022 तक फॉर्म भरकर या आरबीआई के आधिकारिक मेल पते पर भेजकर अपने विचार भेज सकते हैं।
पीएम मोदी का अभियान है ‘डिजिटल इंडिया’
बृजेश गोयल ने कहा कि सीटीआई का मानना है कि डिजिटल भुगतान पर किसी प्रकार का शुल्क नहीं लगना चाहिए क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ‘डिजिटल इंडिया’ के तहत ऑनलाइन भुगतान मोड को अपनाने के लिए अभियान चलाया था। उन्होंने कहा, ‘पीएम मोदी ने खुद ‘Bhim’ यूपीआई ऐप लॉन्च किया।
Google Pay, Paytm, PhonePe जैसी कई कंपनियों ने भी UPI सेवाओं की पेशकश शुरू कर दी है। अब लोगों को बैंक जाने की जरूरत नहीं है। गोयल ने डिजिटल भुगतान पर शुल्क लगाने के विचार का विरोध किया और कहा कि ऐसा करने से लेनदेन प्रभावित होगा और लोग फिर से एटीएम और बैंकों में लाइन में खड़े होने के लिए मजबूर होंगे।
सीटीआई महासचिव विष्णु भार्गव ने कहा कि व्यापारियों ने यूपीआई और डिजिटल मोड को भी स्वीकार कर लिया है और हर रोज लाखों लेनदेन होते हैं। उन्होंने कहा कि कई व्यापारी चिंतित हैं और शुल्क लगाने का मतलब होगा कि उन्हें लेनदेन के पुराने नकद मोड में फिर से लौटना होगा।
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450 मिलियन लोग यूज करते हैं UPI
सीटीआई ने कहा कि भारत में लगभग 120 करोड़ मोबाइल फोन उपयोगकर्ता है। इनमें 75 करोड़ लोगों के पास स्मार्टफोन हैं। 450 मिलियन फीचर फोन उपयोगकर्ता हैं जो UPI भुगतान पसंद करते हैं। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, 338 बैंक यूपीआई सिस्टम पर काम कर रहे हैं। करीब 50 फीसदी ट्रांजैक्शन UPI के जरिए हो रहा है, जिसमें 200 रुपये से कम की पेंमेट ज्यादा है।
सीटीआई दो साल से गुहार लगा रही है कि डिजिटल लेनदेन पर लगने वाले शुल्क को पूरी तरह खत्म किया जाए। फिलहाल डेबिट कार्ड पर 1 फीसदी और क्रेडिट कार्ड पर 1 से 2 फीसदी चार्ज लगता है।
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