नई दिल्ली: कच्चे तेल की कीमतें हर थोड़े दिनों में गिरावट दर्ज कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में बुधवार को कच्चा तेल अपने छह महीनों के सबसे निचले स्तर के करीब दिखा। हालांकि, घरेलू बाजार में देखें तो ईंधन के रिटेल दाम पहले के जैसे ही बने हुए हैं। घटते कच्चे तेल के दामों से उम्मीद लगाई जा सकती है कि पेट्रोल-डीजल के दाम भी कम हो सकते हैं।
पिछले कुछ महीने पहले एक समय था जब कच्चे तेल ने 120 डॉलर तक का स्तर देखा। हालांकि, पिछले कुछ वक्त से इसमें गिरावट दर्ज की गई। मंगलवार को इसमें तेज गिरावट आई थी, जिससे अपने छह महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था। आज ब्रेंट क्रूड में बढ़त देखने को मिल रही है, लेकिन बढ़त के बाद भी कीमतें 93 डॉलर प्रति बैरल के स्तर के करीब ही बनी हुई हैं।
दरअसल, चीन के खराब आर्थिक आंकड़े मांग में हुई कमी के संकेत देते हैं। चीन का रिफाइनरी आउटपुट मार्च 2020 के निचले स्तर पर है। इसके अलावा डॉलर इंडेक्स में रिकवरी से कीमतों पर दोहरा दबाव पड़ा है। वहीं, संभावना जताई जा रही है कि US शेल ऑयल बेसिन में उत्पादन 2.5 साल के उच्चतम स्तर पर जा सकता है। सितंबर में कुल उत्पादन 90 लाख बैरल/दिन के पार जा सकते हैं।
दुनिया भर में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका के बीच कम हुए कच्चे तेल के दाम भारत जैसे कच्चे तेल के आयातकों के लिए सुखद खबर बनकर आए हैं। इससे तेल कंपनियों का घाटा कम होगा। वहीं, आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल में गिरावट की उम्मीदें बनेगी।